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पत्नी को कोर्ट से मिला न्याय, 25 साल घरेलू काम करने पर मिलेंगे करोड़ों रुपये

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स्पेन की कोर्ट एक मामले पर सुनवाई करते हुए एक व्यक्ति को यह आदेश दिया है कि वह अपनी एक्स वाइफ को 25 साल तक घरेलू काम करने के 2 लाख यूरो यानि 1 करोड़ 73 लाख का भुगतान करेगा. कोर्ट के तरफ से कहा गया है कि ये राशि शादी के दौरान काम करने के न्यूनतम मजदूरी के आधार पर तय की गई है. इससे जुड़े सारे दस्तावेज कोर्ट ने 7 मार्च को दिखाए गए।

CJI को Sorry कहने पर कपिल सिब्बल फंसे मुश्किल में,SCBA नाराज: पत्नी को कोर्ट से मिला न्याय, 25 साल घरेलू काम करने पर मिलेंगे करोड़ों रुपये

ये फैसला स्पेन के दक्षिणी अंडालूसिया क्षेत्र की एक कोर्ट ने सुनाया. कोर्ट ने सला सुनाते हुए कहा कि व्यक्ति को शादी के बाद से सालाना बेसिक सैलरी के आधार पर अपनी पत्नी को 2 लाख यूरो का भुगतान करना होगा।

जिस दंपति के मामले पर कोर्ट ने फैसला सुनाया है, उनकी दो बेटियां है. दोनों की शादी प्रॉपर्टी बेस्ड कानून के तहत हुई थी, जिसका मतलब है कि दोनों पक्षों ने जो कुछ भी कमाया है वो उनका खुद का होगा.लीगल पेपर्स में दिखाया गया है कि जून 1995 और दिसंबर 2020 के बीच के सालों में उसने सालाना कितनी कमाई की होगी, उतनी पत्नी को मिलेगी.वहीं कोर्ट ने पिता को बेटियों के लिए मासिक चाइल्डकेअर भत्ता देने का भी आदेश दिया गया है. बेटियों में से एक नाबालिग है, जबकि दूसरी 18 वर्ष से अधिक है.

CJI को Sorry कहने पर कपिल सिब्बल फंसे मुश्किल में,SCBA नाराज

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CJI डीवाई चंद्रचूड़ और सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (SCBA) के अध्यक्ष विकास सिंह के बीच हुए विवाद के मामले में सीनियर वकील कपिल सिब्बल और नीरज किशन कौल बुरे फंसते नज़र आ रहे हैं, क्योंकि बार के 235 सदस्यों को यह लगता है कि दोनों सीनियर वकीलों ने CJI से माफी मांगकर गलती की हैं। उन्होंने प्रस्ताव दिया है कि सिब्बल और कौल के खिलाफ इस मामले में एक्शन लिया जाए। उनका कहना है कि माफी मांगने से पहले एग्जीक्यूटिव कमेटी के सदस्यों से दोनों को सलाह लेनी चाहिए थी। 6 मार्च को हुई SCBA की एग्जीक्यूटिव कमेटी की बैठक में 184 सदस्य विकास सिंह के पक्ष में मजबूती से खड़े दिखें। इसमें फैसला लिया गया कि 16 मार्च को मीटिंग बुलाई जाए जिसमें तीन बातों पर विचार हो।

न्यायपालिका को कभी भी विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है-केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू: CJI को Sorry कहने पर कपिल सिब्बल फंसे मुश्किल में,SCBA नाराज

दरअसल, वकीलों के चैंबर के लिए जमीन आवंटन से जुड़े एक मामले की सुनवाई के लिए केस मेंशनिंग के समय CJI चंद्रचूड़ और SCBA के प्रेसिडेंट विकास सिंह के बीच तीखी बहस हो गई थी। गुरुवार को CJI की अगुवाई वाली बेंच के सामने विकास सिंह ने यह मामला मेंशन किया और जल्द सुनवाई की मांग की। उनका कहना था कि वह पिछले छह महीने से इस मामले को लिस्ट कराने के लिए कड़ी मशक्कत कर रहे हैं।

सोशल मीडिया ट्रोलिंग और फेक न्यूज पर बोले CJI: CJI को Sorry कहने पर कपिल सिब्बल फंसे मुश्किल में,SCBA नाराज

बता दें, कपिल सिब्बल ने किसी दूसरे मामले में सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट में कहा कि सुबह जो कुछ भी हुआ उसके लिए उन्हें खेद है। उन्होंने कहा कि बार को मर्यादा की सीमाओं का उल्लंघन नहीं करना चाहिए। सिब्बल के साथ-साथ सीनियर एडवोकेट नीरज किशन कौल ने भी इस मामले में खेद व्यक्त किया। सिब्बल ने कहा कि सुबह जो भी हुआ उसके लिए हमे खेद है और हम आपसे माफी चाहते हैं।

न्यायपालिका को कभी भी विपक्षी पार्टी की भूमिका निभाने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता है-केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू

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न्यायपालिका स्वतंत्रता से अपना काम करती हैं.क्या कोई न्यायपालिका पर दबाव बना सकता हैं? या यूं कहे कि क्या विपक्ष न्यायपालिका पर दबाव बना रहा है? केंद्रीय कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कुछ ऐसी ही बड़ी बात कह दी है। केन्द्रिय कानून मंत्री ने एक ट्वीट करते हुए कहा कि आजादी के नाम पर अगर हर कोई स्वतंत्र रूप से कार्य करता है तो कानून और व्यवस्था का क्या होगा। कोई भी राजनीतिक दल न्यायपालिका की स्वतंत्रता पर सवाल नहीं उठा सकता।

कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने कहा, ‘भारतीय न्यायपालिका स्वतंत्र है। और भारतीय न्यायपालिका को कभी भी विपक्षी दल की भूमिका निभाने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है। कोई भी भारतीय लोकतंत्र पर सवाल भी नहीं उठा सकता क्योंकि लोकतंत्र हमारे खून में दौड़ता है।’उन्होंने अगले ट्वीट में कहा, ‘इन गिरोहों को भारत विरोधी विदेशी संस्थाओं का भारत के खिलाफ मोर्चा खोलने के लिए सक्रिय समर्थन मिलता है। व्यवस्थित रूप से वे भारतीय लोकतंत्र, भारतीय सरकार, न्यायपालिका और रक्षा, चुनाव आयोग, जांच एजेंसियों जैसे सभी महत्वपूर्ण अंगों की विश्वसनीयता पर हमला करेंगे।’

उन्होंने आगे कहा, ‘टुकड़े-टुकड़े गैंग के सदस्यों को बेहतर ढंग से समझना चाहिए कि भारत पीएम नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में महान कायाकल्प की यात्रा पर निकल पड़ा है। हम भारत के लोग उन्हें मुंहतोड़ जवाब देंगे।’

स्कूल में जरुर हो स्पोर्ट्स ग्राउंड-सुप्रीम कोर्ट

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बच्चों के लिए एक खेल का मैदान खेलने के लिए सबसे अच्छी जगह होती है. सुप्रीम कोर्ट ने इस बात पर चिंता जताई कि स्कूल में बच्चों को पढ़ने के लिए अच्छा माहौल नहीं मिल रहा है, क्योंकि बिना स्कूल की अनुमति के खेल के मैदान का इस्तेमाल कोई और कर रहा है. कोर्ट ने जमीन खाली कर वापस स्कूल को देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने फैसला दिया है कि जमीन पर अवैध (Illegal) रूप से रह रहे लोग अगर एक निश्चित अवधि के भीतर जगह नहीं छोड़ते हैं तो राज्य उनके खिलाफ कार्रवाई करेगा. यह निर्णय 3 मार्च को किया गया था।

बता दें, हाई कोर्ट (High Court) ने भगवानपुर गाँव में रहने वाले लोगों को स्कूल की जमीन पर निर्माण जारी रखने की अनुमति दी, और उन्हें स्कूल के खेल के मैदान के रूप में उपयोग करने के लिए जमीन का एक और टुकड़ा खरीदने के लिए पैसे की पेशकश भी की गई। हाई कोर्ट ने अनाधिकृत कब्जाधारियों (Unauthorized Occupants) को छोड़ने का आदेश दिया, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट द्वारा दिए गए आदेशों का पालन नहीं किया जाना चाहिए क्योंकि वे गलत सूचना पर आधारित थे.

गौरी खान पर लगा धोखा देना का आरोप, केस दर्ज

सर्वोच्च न्यायालय ने पाया कि उच्च न्यायालय में याचिका दायर करने वाले मूल याचिकाकर्ता (Petitioner) ग्राम पंचायत की भूमि पर अवैध रूप से कब्जा कर रहे थे, और स्कूल में कोई खेल का मैदान नहीं है क्योंकि स्कूल अनधिकृत निर्माण से घिरा हुआ है। शीर्ष अदालत ने फैसला सुनाया किस, क्योंकि स्कूल और स्कूल के खेल के मैदान के लिए आरक्षित (Reserved) भूमि का अभी भी अवैध कब्जाधारियों द्वारा उपयोग किया जा रहा है, इसलिए उस भूमि को नियमित करने का कोई आदेश नहीं दिया जा सकता है। इसका मतलब यह है कि स्कूल खेल के मैदान के बिना काम नहीं कर सकता है, और वहां पढ़ने वाले छात्र भी एक अच्छे वातावरण के हकदार हैं।

शीर्ष अदालत (Supreme Court) ने कहा कि बाजार मूल्य वसूल कर अवैध कब्जाधारियों के कब्जे को वैध बनाने का उच्च न्यायालय का फैसला एक गलती थी। उच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया कि स्कूल का खेल का मैदान उस भूमि पर होना चाहिए जो अन्य लोगों के स्वामित्व (Ownership) में नहीं है, लेकिन स्कूल के स्वामित्व वाली भूमि खेल के मैदान के लिए काफी बड़ी नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया है कि, स्कूल के पास खेल के मैदान के लिए दूसरी जगह खोजने के लिए बारह महीने का समय है, या खेल के मैदान की जमीन पर अवैध कब्जा करने वालों को छोड़ना होगा।

सोशल मीडिया ट्रोलिंग और फेक न्यूज पर बोले CJI

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सोशल मीडिया ट्रोलिंग और फेक न्यूज पर बोले CJI

भारत का संविधान विशेष हैं. संविधान और उसकी मूल संरचना को कई देशों ने अपने संविधान का आधार बनाया है. यह कहना है CJI D Y चंद्रचूड़ का. अमेरिकन बार एसोसिएशन की तीन दिवसीय कॉन्फ्रेंस का उद्घाटन करते हुए समय CJI ने यह बात कही. इस सम्मेलन का विषय “लॉ इन एज ऑफ ग्लोकलाइजेशन: कन्वर्जेंस ऑफ इंडिया एंड द वेस्ट” था.

संविधान का जिक्र करते हुए CJI ने कहा कि जब इसका स्ट्रक्चर तैयार किया गया था तो संविधान निर्माताओं को नहीं पता था कि हम किस दिशा में आगे बढ़ने वाले है. उस समय कोई इंटरनेट, एल्गोरिदम और सोशल मीडिया नहीं था. “वैश्वीकरण ने अपने आप के असंतोष को जन्म दिया है. दुनियाभर में मंदी का अनुभव होने के कई कारण हैं. वैश्वीकरण विरोधी भावना में उछाल आया है जिसकी शुरुआत माने तो 2001 के आतंकी हमलों में दिखी हैं.

2001 मे हुए हमले ने दुनिया के सामने ऐसी कड़वी सच्चाई ला दि, जिसे भारत देखता आ रहा था. CJI ने सोशल मीडिया पर फैल रही झूठी खबरों के बारे मे कही कि इस दौर में सच का ही शिकार हो गया है. आप जो कुछ भी करते हैं उसके लिए आपको किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा ट्रोल किए जाने का खतरा होता है जो आपसे सहमत नहीं है.आजकललोगों में धैर्य और सहनशीलता की कमी हो रही है. कोविड महामारी को जिक्र करते हुए CJI ने कहा, “कोविड के समय देशों को अपनी सीमा बंद करने पर मजबूर होना पड़ा. आबादी में निचले स्तर पर रहने वाली आधी दुनिया को ग्लोबलाइजेशन का ज्यादा फायदा नहीं मिला. उनके लिए लोकलाइजेशन से उम्मीद बढ़ी लेकिन ग्लोबलाइजेशन से उनको काफी फायदा मिलेगा.

अंधेरे के उस पार की चीजें भी दिखने लगेंगी और मिलेंगी. कोविड ने डिजिटल मार्केट प्लेस और नए आइडियाज दिए, सस्टेनेबल डिवेलपमेंट के एजेंडा दिए. नए फ्रेम वर्क और टास्क दिए. कोविड महामारी को जिक्र करते हुए CJI ने कहा, “कोविड के समय देशों को अपनी सीमा बंद करने पर मजबूर होना पड़ा. आबादी में निचले स्तर पर रहने वाली आधी दुनिया को ग्लोबलाइजेशन का ज्यादा फायदा नहीं मिला. उनके लिए लोकलाइजेशन से उम्मीद बढ़ी लेकिन ग्लोबलाइजेशन से उनको काफी फायदा मिलेगा. अंधेरे के उस पार की चीजें भी दिखने लगेंगी और मिलेंगी. कोविड ने डिजिटल मार्केट प्लेस और नए आइडियाज दिए, सस्टेनेबल डिवेलपमेंट के एजेंडा दिए. नए फ्रेम वर्क और टास्क दिए.

सुकेश चंद्रशेखर का दिल्ली सरकार के खिलाफ एक ओर चिट्ठी बम

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सुकेश चंद्रशेखर का दिल्ली सरकार के खिलाफ एक ओर चिट्ठी बम

200 करोड़ की ठगी के आरोप में जेल में बंद सुकेश चंद्रशेखर ने एक बार फिर मीडिया को चिट्ठी लिखकर दिल्ली सरकार पर गंभीर आरोप लगाए हैं. सुकेश ने इस चिट्ठी में लिखा है कि दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल, मनीष सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने गरीब बच्चों को मिलने वाली शिक्षा में भी घोटाला किया है। सुकेश ने इसमें दावा किया है कि बच्चों को टैबलेट बांटे जाने को लेकर जो स्ट्रक्चर तैयार हुआ था, उसमें टैबलेट मेरे जरिए एक चाइना कि कंपनी से खरीदे जा रहे थे, लेकिन किसी ओर ने दूसरी कंपनी से 20 परसेंट ज्यादा कमीशन देने का लालच दिया तो दिल्ली सरकार ने टेंडर मुझे न देकर किसी दूसरे को देने का फैसला लिया था.

सुकेश ने साथ ही स्कूली बच्चों को मिलने वाली स्टेशनरी में भी घोटाला करने का आरोप लगाया. यही नहीं सुकेश ने अलग-अलग कॉन्ट्रैक्ट के जरिए केजरीवाल पर एक हजार करोड़ रुपए का कमीशन लेने का आरोप लगाया है. सुकेश ने दावा किया है कि 25 मार्च 2017 को केजरीवाल, सिसोदिया और सत्येंद्र जैन ने मेरे जन्मदिन पर गाना गया था, ‘ये दोस्ती हम नहीं छोड़ेंगे’, लेकिन पैसों के लालच में अपना वादा तोड़ दिया. सुकेश ने सीएम केजरीवाल को कहा कि, “आप मुझे ठग कहते हो, लेकिन आप सबसे बड़े घोटालेबाज हो.” सुकेश अब तक दिल्ली सरकार के खिलाफ कई चिट्ठी लिखकर खुलासे कर चुका है.

गौरी खान पर लगा धोखा देना का आरोप, केस दर्ज

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बॉलीवुड के पठान यानि शाहरुख खान अपनी फिल्म पठान की कामयाबी के कारण सुर्खिया में बने हुए हैं. लेकिन मुश्किलें है कि किंग खान का पीछा छोड़ने का नाम ही नहीं ले रही हैं.पहले बेटे आर्यन खान, फिर फिल्म पठान को लेकर उठा विवाद और अब उनकी पत्नी गौरी खान विवादों में आ गई हैं.दरअसल मामला ये है कि गौरी खान के खिलाफ IPC की गैर जामनती धारा 409 के तहत धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया हैं.

गौरी खान के खिलाफ लखनऊ पुलिस ने केस दर्ज किया है. लखनऊ के सुशांत गोल्फ सिटी थाने में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज हुआ है.गौरी के साथ ही तुलसियानी कंस्ट्रक्शन एंड डेवलपर्स लिमिटेड के सीएमडी अनिल कुमार तुलसियानी, डायरेक्टर महेश तुलसियानी पर भी केस दर्ज किया गया है. गौरी खान समेत कंपनी के कई लोगों के खिलाफ ये बड़ी कानूनी कार्रवाई मुंबई के रहने वाले किरीट जसवंत शाह की शिकायत पर हुई है. पीड़ित का कहना है कि उनको लगा कि गौरी खान एक विश्वसनीय चेहरा हैं, ऐसे में उन्होंने सुशांत गोल्फ सिटी सेक्टर-1 पॉकेट डी में फ्लैट बुक करवा लिया, लेकिन उनके साथ धोखा हो गया.

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सुप्रीम कोर्ट ने शिवसेना को व्हिप का पालन करने का दिया आदेश

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मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट ने फैसला दिया कि सदन के अंदर सत्ताधारी गठबंधन में शामिल राजनीतिक दल के किसी भी सदस्य को व्हिप का पालन करना जरूरी है. अगर वह इसका पालन नहीं करते हैं तो सदन में उनकी सदस्यता जा सकती है। विधायिका के सदस्य उस पार्टी के साथ मतदान करने के लिए बाध्य हैं जिसके साथ वो हैं। इसमें विधायिका में एक ही पार्टी के साथ मतदान करना और गठबंधन समझौते का पालन करना भी शामिल है। यदि कोई सदस्य इस समझौते का पालन नहीं करता है, तो उसे विधायिका से अयोग्य ठहराया जा सकता है।

चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड की संविधान पीठ महाराष्ट्र में राजनीतिक संकट के मामले पर सुनवाई कर रही हैं. सुनवाई के दौरान उन्होंने विवाद के एक पक्ष के वकील को सुना। कोर्ट ने कहा कि किसी भी विधायक या उसके समूह को यह अधिकार नहीं है कि वह राज्यपाल को यह कहे कि वह गठबंधन के साथ नहीं जाना चाहता। जब तक आप विधायक हैं, आप राजनीतिक दल के नियंत्रण में हैं और आपको उनके साथ मतदान करना चाहिए। अगर आप गठबंधन के साथ नहीं जाना चाहते हैं तो जाइए अपने नेता से बात कीजिए और मिलकर फैसला लीजिए.

कोर्ट ने सुना कि एक ही दिन दो राजनीतिक व्हिप नियुक्त किए गए थे। हम पार्टी के जनादेश का पालन कर रहे हैं, और अहम सवाल यह है कि दोनों में से कौन सा व्हिप मूल है। जिस पार्टी को आधिकारिक तौर पर पहले मान्यता मिली थी, उसके पास बहुमत था, इसलिए इस बहस के दौरान यह दलील दी गई कि विधायकों में असंतोष है और बगावत को देखते हुए फ्लोर टेस्ट का आदेश देना राज्यपाल के लिए सही था.

एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी और उनकी पत्नी आलिया को हाई कोर्ट की सलाह

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बॉलीवुड एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी कई दिनों से सुर्खियों में बने हुए है. एक्टर अपनी पर्सनल लाइफ को लेकर लगातार चर्चा में बने ही रहते हैं. दरअसल मामला ये है कि नवाज पर उनकी पूर्व पत्नी ने कई गंभीर आरोप लगाए हैं. दोनों के बीच कई दिनों से लगातार बयानबाजी का सिलसिला जारी है. इसी बीच बॉम्बे हाईकोर्ट ने एक्टर नवाज और उनकी पत्नी आलिया को सलाह देते हुए कहा हैं, कि आप दोनों बच्चों के लिए आपसी झगड़े को सुलझाने की कोशिश करें.नवाजुद्दीन सिद्दीकी ने कोर्ट में हैबियस कॉर्पस याचिका दायर कर अपने दोनों नाबालिग बच्चों के रहने की जगह के बारे में पता लगाने की मांग की थी. नवाजुद्दीन के दो बच्चें हैं, जिसमें एक 12 साल की बेटी और एक 7 साल का बेटा है. दोनों बच्चों की कस्टडी उनकी मां आलिया के पास हैं.

यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले पर लगा एक लाख का जुर्माना

अब इस मामले में जस्टिस एएस गडकरी और पीडी नाइक ने नवाजुद्दीन सिद्दीकी और उनकी पत्नी आलिया को आपस में बातचीत करने की सलाह दी है. जस्टिस एएस गडकरी और पीडी नाइक ने कहा है कि, नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी अपने बच्चों और उनकी शिक्षा को लेकर परेशान हैं. ऐसे में एक दूसरे के साथ बात करें, साथ ही पिता और बच्चों के बीच मसलों और कम्यूनिकेशन के मामलों को भी सुलझाए. अगर यह काम करता है तो अच्छा है.’

बता दें,नवाजुद्दीन सिद्दीकी के वकील ने कोर्ट से कहा कि पिता होने के नाते नवाज को उनके बच्चो के रहने की जगह का पता होना चाहिए, अभिनेता इस बात से अनजान है कि उनके बच्चे कहा रहते हैं. वकील ने आगे बताया कि, एक्टर को ये लगा कि उनके बच्चे दुबई में है. लेकिन उन्हें स्कूल की तरफ से एक मेल मिला, जिसमें बच्चों को स्कूल से निकाले जाने की चेतावनी दी गई है. मेल में ये भी लिखा है कि उनके बच्चे काफी दिनों से स्कूल नहीं पहुंचे हैं.

हालांकि इस मामले पर आलिया का कहना है कि उनके बच्चे उनके साथ ही रहना चाहते हैं. वह दुबई वापस नहीं जाना चाहते हैं. आलिया के वकील ने कोर्ट से कहा कि बच्चे अपनी मां के साथ भारत में रहकर ही अपनी पढ़ाई करना चाहते हैं.

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यूपी सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ याचिका दाखिल करने वाले पर लगा एक लाख का जुर्माना

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यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 2007 में दर्ज हुए एक मामले को खुलवाने को लेकर बार-बार याचिका दायर करने वाले व्यक्ति पर इलाहाबाद हाई कोर्ट ने एक लाख का जुर्माना लगाया है. हाई कोर्ट ने अधिकारियों को इस व्यक्ति के बैंक अकाउंट की जांच करने के लिए भी निर्देश दिया.यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के खिलाफ 2007 में दर्ज हुए एक मामले को फिर से खुलवाने के लिए एक याचिकाकर्ता इलाहाबाद हाई कोर्ट पहुंचा. कोर्ट ने उसकी याचिका खारिज करते हुए, उल्टा एक लाख का जुर्माना लगा दिया.

इलाहाबाद हाई कोर्ट जज दिनेश कुमार सिंह ने आपराधिक प्रक्रिया संहिता की धारा 482 (हाई कोर्ट की शक्तियां) के तहत परवाज़ और अन्य की याचिका को खारिज कर दिया और एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया, जिसे चार सप्ताह के भीतर सेना कल्याण कोष में जमा करना होगा. ऐसा न करने पर याचिकाकर्ता की संपत्ति से भू-राजस्व के बकाया के रूप में वसूल किया जाएगा.

जानें पूरा मामला

गोरखपुर में 27 जनवरी, 2007 में मुहर्रम के जुलूस के दौरान दो समूहों के बीच झड़प हुई. जिसमें एक हिंदू युवक की मौत हो गई थी. याचिकाकर्ता परवेज परवाज जो पेशे से पत्रकार हैं, ने 26 सितंबर, 2008 को एक शिकायत दर्ज की, जिसमें उन्होने आरोप लगाया कि बीजेपी के तत्कालीन स्थानीय सांसद योगी आदित्यनाथ ने युवक की मौत का बदला लेने के लिए विवादित भाषण दिया था और उसका वीडियो भी उनके पास है. इसके बाद राज्य सरकार ने मुकदमा चलाने की मंजूरी देने से इनकार कर दिया. सरकार के फैसले को याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट में चुनौती दी.

हाई कोर्ट ने भी इस याचिका खारिज कर दिया हैं. याचिकाकर्ता ने हाई कोर्ट के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की. सुप्रीम कोर्ट ने भी याचिका को खारिज कर दिया हैं. याचिकाकर्ता ने ट्रायल कोर्ट के 11 अक्टूबर, 2022 के उस फैसले को चुनौती दी थी, जिसमें कोर्ट ने दंगा मामले में पुलिस की फाइनल रिपोर्ट के खिलाफ विरोध याचिका खारिज कर दी थी.

राज्य सरकार की ओर से पेश हुए अतिरिक्त महाधिवक्ता मनीष गोयल ने तर्क दिया कि याचिका में उठाए गए मुद्दे और इस याचिका में सुप्रीम कोर्ट तक अंतिम रूप प्राप्त कर चुके थे. उन्होंने कहा कि याचिकाकर्ता को एक ही मुद्दे को बार-बार उठाने की अनुमति नहीं दी जा सकती है. याचिका में कहा गया कि मामले की विवेचना ठीक से नहीं हो रही. हाई कोर्ट ने संबंधित पक्षों को सुनने के बाद योगी के खिलाफ दर्ज मामले में जांच के लिए मंजूरी देने से इनकार कर दिया.