आर्टिकल 370 पर लगातार सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही हैं.सोमवार को आर्टिकल 370 पर 11वें दिन भी सुनवाई हुई. सोमवार को सुनवाई शुरू होते ही सबसे पहले CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने जम्मू-कश्मीर के शिक्षा विभाग से सस्पेंड किए गए लेक्चरर जहूर अहमद भट के बारे में बात की. CJI ने सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता को निर्देश दिया कि वह जम्मू-कश्मीर के उप-राज्यपाल मनोज सिन्हा से बात करें और पता लगाएं कि आर्टिकल 370 हटाए जाने के खिलाफ कोर्ट में दलीलें देने के कुछ दिन बाद ही भट को उनके पद से क्यों हटाया गया।
याचिकाकर्ताओं के वकील कपिल सिब्बल ने कोर्ट को इस बात की जानकारी दी थी कि जहूर भट 23 अगस्त को कुछ देर के लिए कोर्ट आए थे और 25 अगस्त को उन्हें सस्पेंड कर दिया गया. इस पर जजों ने चिंता जाहिर की और ऐसा कहीं जहूर से बदला लेने की नीयत से तो ऐसा नहीं किया गया है।
23 अगस्त को कोर्ट में दलीलें, 25 अगस्त को J&K एजुकेशन विभाग से सस्पेंड
पिछले हफ्ते बुधवार यानी 23 अगस्त को पॉलिटिकल साइंस के एक सीनियर लेक्चरर जहूर भट ने पांच जजों की संवैधानिक बेंच के सामने पेश होकर आर्टिकल 370 हटाए जाने के खिलाफ अपनी दलीलें दी थीं. उन्होंने पांच मिनट अपनी बात रखी और बताया कि, अगस्त 2019 के बाद से जम्मू-कश्मीर में स्टूडेंट्स को इंडियन पॉलिटिक्स पढ़ाना मुश्किल हो गया है. छात्र पूछते हैं कि क्या देश में अब भी लोकतंत्र है? इसी के दो दिन बाद ही शुक्रवार को जम्मू-कश्मीर एजुकेशन डिपार्टमेंट ने जम्मू-कश्मीर गवर्नमेंट एम्पलॉयीज कंडक्ट रूल्स, जम्मू-कश्मीर सिविल सर्विस रेगुलेशंस और जम्मू-कश्मीर लीव रूल्स का उल्लंघन करने के का हवाला देते हुए भट को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड करने का आदेश जारी कर दिया. एजुकेशन डिपार्टमेंट के प्रिंसिपल सेक्रेटरी की तरफ से जारी किए इस आदेश में कहा गया कि, सस्पेंशन की अवधि में आरोपी डायरेक्टोरेट ऑफ स्कूल एजुकेशन जम्मू के ऑफिस से अटैच रहेंगे।
आइए जानते है कोर्ट में क्या हुआ आज की सुनवाई में
कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, इसके साथ ही पक्ष-विपक्ष लेकर सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने अपना-अपना तर्क रखना शुरू किया।
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता: CJI की बात पर तुषार मेहता ने कहा कि जहूर को सस्पेंड किए जाने का जरूर कोई और कारण होगा. उनके साथ कुछ और मुद्दे भी हैं।
कपिल सिब्बल, वरिष्ठ वकील: अगर ऐसा है तो उन्हें इस कोर्ट में दलील देने से पहले सस्पेंड क्यों नहीं किया गया। ये ठीक नहीं है। हमारे लोकतंत्र को ऐसे तो काम नहीं करना चाहिए।
इसी दौरान CJI: अगर कोई और वजह है तो अलग बात है। लेकिन, उनकी इस कोर्ट में पेशी और उनके सस्पेंशन के बीच समय का ज्यादा फर्क नहीं है।
जस्टिस एसके कॉल: मेहता जी, दलीलों और ऑर्डर के बीच अंतराल कम है….
तुषार मेहता: टाइमिंग तो वाकई सही नहीं है, मैं अपनी बात वापस लेता हूं।
जस्टिस गवई: अगर ये पेशी के दौरान हुआ है, तो ये बदला लेने या सजा देने के लिए उठाया गया कदम हो सकता है। आजादी की भावना को क्या हुआ?
इसके बाद तुषार मेहता ने आर्टिकल 370 से जुड़ी याचिकाओं पर सुनवाई हुई.