MAHA Political Crisis: गवर्नर के फ़्लोर टेस्ट के आदेश पर क़ानून विशेषज्ञों ने जताई आपत्ति

0
213

39 बागी विधायकों द्वारा महाअघाड़ी गठबंधन के ख़िलाफ़ शुरू की गई मुहिम गुजरात, असम और सुप्रीम कोर्ट के रास्ते अब महाराष्ट्र विधानसभा तक पहुँच गई है। गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी ने गठबंधन की सरकार को सदन में बहुमत परीक्षण के लिए बोला है। 

गवर्नर के इस आदेश के बाद राजनीतिक गलियारे में चर्चा शुरू हो गई है। गवर्नर के इस फ़ैसले की वैधानिकता पर भी अलग-अलग राय सामने आ रहे हैं। अब SC में शिवसेना के चीफ़ व्हिप सुनील प्रभु द्वारा डाली गई याचिका पर सुनवाई के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी।

भारत के पूर्व एडिशनल सॉलिसिटर जनरल के सी कौशिक ने गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी के निर्णय से असहमति जताई है। उनके अनुसार इस समस्या की शुरुआत 27 जून को SC में एकनाथ शिंदे की याचिका पर सुनवाई के बाद शुरू हुई थी। चूँकि एंटी डिफ़ेक्शन क़ानून पर 16 विधायकों को अयोग्य करार देने का मामला SC में लंबित है इसलिए राज्यपाल इस मामले की सुनवाई पूरी होने के पहले फ़्लोर टेस्ट के लिए नहीं बोल सकते हैं।

महाराष्ट्र के गवर्नर भगत सिंह कोश्यारी को अपने पद की गरिमा बनाए रखने की सलाह देते हुए सीनियर एडवोकेट केसी कौशिक ने कहा कि “ 30 जून को होने वाले फ़्लोर टेस्ट में अगर यह विधायक शामिल होते हैं और आगे चल कर इन्हें अयोग्य घोषित कर दिया गया तो क्या उस परिस्थिति में SC फ़्लोर टेस्ट कराने के अपने फ़ैसले को बदलेगा?” 

SC के पुराने फ़ैसलों के आधार पर केसी कौशिक ने जानकारी दी कि अगर 11 जुलाई को SC में सुनवाई के बाद डेप्युटी स्पीकर द्वारा 16 विधायकों को एंटी डिफ़ेक्शन क़ानून के तहत अयोग्य ठहराया जाता है तो अयोग्यता का आदेश उस दिन से लागू होगा जिस दिन के कृत्य के लिए उन्हें अयोग्यता का नोटिस भेजा गया था, अथार्त उन्हें 21 जून से अयोग्य माना जाएगा।

मध्य प्रदेश के पूर्व एडवोकेट जेनरल अनूप जार्ज चौधरी ने राज्यपाल पर लीडर ऑफ़ ओपोज़िशन के आदेश पर काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने ने के सी कौशिक की बातों से सहमति जताते हुए कहा कि “जब तक 16 विधायकों के ऊपर SC में एंटी डेफ़ेक्शन की सुनवाई लंबित है तब तक गवर्नर को इंतज़ार करना चाहिए था। अभी फ़्लोर टेस्ट कराने का मक़सद बागी विधायकों को बचाना है, जिससे स्पीकर के नोटिस को बायपास किया जा सके और SC में डाली गई पिटिशन निरर्थक हो जाए।” 

सीनियर एडवोकेट अनूप जार्ज चौधरी ने राज्यपाल द्वारा फ़्लोर टेस्ट के लिए बोले जाने के तरीक़े पर भी आपत्ति जताई। उन्होंने ने कहा कि “स्पीकर और गवर्नर के अधिकार क्षेत्र अलग-अलग हैं। सैंवेधनिक रूप से गवर्नर सीधा विधानसभा के सेक्रेटरी जेनरल को फ़्लोर टेस्ट के लिए नहीं बोल सकता है, स्पीकर के अनुपस्थिति में उन्हें डेप्युटी स्पीकर के माध्यम से कम्यूनिकेट करना चाहिए था। विधानसभा के सेक्रेटरी जेनरल का पद गवर्नर के अधीन काम नहीं करता है।”

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here