गुरुवार को हल्द्वानी में रेलवे की जमीन से अतिक्रमण हटाने के उत्तराखंड हाईकोर्ट के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा दी हैं. बता दें, हाईकोर्ट ने रेलवे की जमीन पर रह रहें 4000 से अधिक परिवारों को वहां से जगह खाली करने के लिए नोटिस जारी किया था. वहां रहने वाले लोग यह दावा कर रहे हैं कि वह वर्षों से इस जगह पर रह रहे हैं। उनके पास सरकार द्वारा दिए गए मान्यता प्राप्त वैध दस्तावेज भी हैं.
याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ वकील कोलिन गोंजाल्विस ने बहस की शुरुआत की. हाई कोर्ट के आदेश की काफी पढ़ते हुए वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने तर्क दिया कि करीब 50 हजार लोगों का वहां घर है. वकील ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले भी इस मामले पर हाईकोर्ट को पूरा पक्ष सुनने के लिए कह चुका है. उस जगह पर स्कूल, सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र, बैंक सब बने हुए हैं और हाईकोर्ट के आदेश के बाद 50 हजार लोग प्रभावित होंगे।
वकील ने कहा कि राज्य सरकार कह रही है कि वह जमीन रेलवे की है लेकिन इस आदेश से प्रभावित होने वाले लोगों के पक्ष को पहले भी सुना नहीं गया था और फिर से वही हो रहा हैं. रेलवे के स्पेशल एक्ट के तहत हाईकोर्ट ने कार्रवाई करके अतिक्रमण हटाने का आदेश दिया. हमने राज्य सरकार से हस्तक्षेप करने की मांग की थी.कोर्ट ने पूछा- उत्तराखंड या रेलवे की तरफ से यहां कौन उपस्थित है. इसपर ASG ऐश्वर्या भाटी ने कहा कि कुछ अपील पेंडिंग है, लेकिन किसी भी मामले में कोई रोक नहीं है.
वकील प्रशांत भूषण ने कहा कि राज्य सरकार का सीमांकन कोविड काल में किया गया. इससे ज्यादा समय ही नहीं दिया गया. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि लोग इतने समय से रह रहे हैं. आप कैसे कह सकते हैं कि 7 दिन में हटा दीजिए. लोग कई सालों से वहाँ रह रहे है उनके पुनर्वास के लिए सरकार के पास कोई स्किम हैं? या आप केवल 7 दिनों का समय दे रहे है और कह रहे है खाली करो.

सुप्रीम कोर्ट ने कहा 7 दिनों में लैंड को खाली कराने का फैसला सही नहीं है. सुप्रीम कोर्ट ने यह भी कहा कि यह मानवता से जुड़ा मामला है.उत्तराखंड सरकार की तरफ से कौन है? सुप्रीम कोर्ट ने पूछा- जिन लोगों ने नीलामी में जमीन खरीदा है, उसे आप कैसे डील करेंगे? लोग 50/60 साल से वहां रह रहे है इसके लिए कोई तो पुनर्वास की योजना होना चहिए. सुप्रीम कोर्ट ने कहा ऐसा नही है कि आप विकास के लिए हटा रहे है. आप सिर्फ अतिक्रमण हटा रहे है.
रेलवे की तरफ से पेश एडिशनल सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी की दलील, यह रातों रात नहीं हुआ हैं, नियमों का पालन हुआ है लेकिन ये मामला अवैध खनन से शुरू हुआ था. याचिकाकर्ता के वकील कॉलिन गोंजाल्विस ने कहा कि लैंड का बड़ा हिस्सा राज्य सरकार का है. रेलवे के पास जमीन कम है. जस्टिस कॉल ने कहा है कि हमें इस मामले को सुलझाने के लिए प्रैक्टिकल एस्पेक्ट्स अपनाना होगा.
किसी को स्थिति और समस्याओं का मूल्यांकन करना चाहिए.आप यह सुनिश्चित कीजिए कि वहाँ आगे से कोई अतिक्रमण न हो.वकील ने कहा है इस मामले में कुछ लोगों ने नीलामी में जमीन को खरीदा है.सुप्रीम कोर्ट ने रेलवे और उत्तराखंड सरकार को नोटिस जारी किया. सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर फिलहाल रोक लग दी हैं. एक महीने बाद 7 फरवरी को इस मामले में कोर्ट अगली सुनवाई करेगा.