सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज ने कहा ,सरकार कॉलेजियम में अपना आदमी चाहती है,इसमे कोई परेशानी नहीं

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केंद्र सरकार और न्यायपालिका के बीच जजों की नियुक्ति को लेकर पिछले कुछ समय से लगातार खींचतान चल रही है। कानून मंत्री का कहना है क‍ि जजों की न‍ियुक्‍त‍ि का हक सरकार को होना चाहिए। सरकार की यह भी मांग रही है कि जजों की नियुक्ति करने के मौजूदा सिस्टम कॉलेजियम सिस्टम में सरकार के भी प्रतिनिधि शामिल रहें। कानून मंत्री किरेन रिजीजू द्वारा कई बार कॉलेजियम सिस्टम में पारदर्श‍िता की कमी का आरोप भी लगाया जा चुका है। दूसरी तरफ, न्यायिक क्षेत्र के लोग कॉलेज‍ियम स‍िस्‍टम को बेहतर बताते हैं। हालांक‍ि, वे यह भी कहते रहे हैं क‍ि इसे लगातार और बेहतर बनाया जा सकता है।  

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कॉलेज‍ियम स‍िस्‍टम में सरकार के प्रत‍िन‍िध‍ि को शाम‍िल क‍िए जाने की मांग के बारे में न्‍याय‍िक ब‍िरादरी के लोगों का मानना है क‍ि प्रत्‍यक्ष न सही, पर परोक्ष रूप से तो न‍ियुक्‍त‍ि प्रक्र‍िया में सरकार की भागीदारी है ही। सभी फाइलें सरकार से होकर ही गुजरती हैं। ऐसे में कॉलेजियम में सरकार के प्रतिनिधि की मांग गैर जरूरी है।

लेक‍िन, एक अखबार और वेबसाइट जनसत्ता डॉट कॉम को इंटरव्यू में पूर्व जज दीपक गुप्‍ता ने कहा है क‍ि अगर कॉलेज‍ियम में सरकार चाहती है क‍ि उसका प्रत‍िन‍िध‍ि सीधे तौर पर शाम‍िल हो, तो इसमें कोई बुराई नहीं है. जस्‍ट‍िस (र‍ि.) दीपक गुप्ता ने यह बात कही, ले‍क‍िन एक शर्त भी जोड़ी।

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