रुस के राष्ट्रपति क्या हो सकते है अरेस्ट? ICC का पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट,कौन से पुलिस कर सकती है पुतिन को अरेस्ट?

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17 मार्च 2023, इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी ICC ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया। पुतिन के खिलाफ युक्रेन मे हुए हमले को लेकर वॉर क्राइम के तहत वारंट जारी किया गया। अगले ही दिन पुतिन यूक्रेन में मारियोपोल शहर की सड़कों पर घूमते देखे गए। जंग के बाद इस शहर पर अब रूस का कब्जा है।

इस रिपोर्ट मे आपको बताएंगे कि ICC कौन है, जिसने पुतिन के खिलाफ अरेस्ट वारंट जारी किया? पुतिन को कौन कर सकता है अरेस्ट? क्या भारत आने पर भी पुतिन की बढ़ सकती है मुश्किलें?

प्रश्न 1: इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट (ICC) ने पुतिन के खिलाफ क्यो जारी किया वांरट?

उत्तर: ICC ने रुस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन (Vladimir Putin) को वॉर क्राइम का आरोपी बनाया है। पुतिन पर आरोप है कि वो यूक्रेनी बच्चों को गैर-कानूनी और अवैध तरीके से रूस ले जा रहे हैं। ICC ने इसके ये करने की वजहें बताई हैं…

1.ICC का मानना है कि पुतिन के पास यूक्रेन से बच्चों को किडनैप कर रूस भेजे जाने की पूरी जानकारी थी। साथ ही बच्चों की किडनैपिंग के कई केस मेंं पुतिन सीधे-सीधे मिले हुए थे।

2.इसके साथ ही ये भी माना जा रहा है कि पुतिन ने इन सब बातों की जानकारी होने के बावजूद भी अपने सैन्य अधिकारियों और लोगों को ऐसा करने से नहीं रोका।

इन आरोपों को लेकर इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने पुतिन के अलावा रूस के चिल्ड्रन राइट कमिश्नर मारिया लावोवा-बेलोवा के खिलाफ भी वारंट जारी किया है। न्यूयॉर्क टाइम्स की एक रिपोर्ट के हवाले से ICC ने कहा कि 16 हजार से ज्यादा यूक्रेनी बच्चे रूस भेजे गए हैं। पुतिन के खिलाफ इस केस की जांच पाकिस्तानी मूल के ब्रिटिश नागरिक और ICC के प्रॉसिक्यूटर करीम अहमद खान कर रहे हैं।

प्रश्न 2: क्या है ICC और इसकी संस्था की ताकत कितनी है?

उत्तर: 1 जुलाई 2002 को इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट यानी ICC की नींव रखी गई थी। ICC दुनियाभर में होने वाले वॉर क्राइम, नरसंहार और मानवता के खिलाफ अपराधों की जांच करती है। ये संस्था 1998 के रोम समझौते पर तैयार किए गए नियमों के आधार पर कार्रवाई करती है। इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट का मुख्यालय “द हेग” में है। ब्रिटेन, कनाडा, जापान समेत 123 देश रोम समझौते के तहत इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के सदस्य हैं।

इस कोर्ट की ताकत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि इसकी वजह से यूगोस्लाविया के प्रेसिडेंट स्लोबोदान मिलोसेविच को जेल तक जाना पड़ा था। कार्रवाई के टाइम ही मिलोसेविच की जेल में मौत हो गई थी। हालांकि, ये बात अलग है कि परमाणु संपन्न देश रूस की तुलना कोई यूगोस्लाविया से नहीं कर सकता है।

बता दें,इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट आरोपियों की गिरफ्तारी के लिए सभी सदस्य देशों को वारंट भेजता है।ये वारंट सदस्य देशों के लिए सलाह की तरह होता है और वो इसे मानने के लिए कोई बाध्य नहीं होता हैं। इसकी वजह यह है कि हर संप्रभु देश अपने आतंरिक और विदेश मामलों में नीति बनाने के लिए स्वतंत्र है। दूसरी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं की तरह ही ICC भी हर देश की संप्रभुता का सम्मान करती है।

प्रश्न 3: ICC के वारंट जारी होने के बाद क्या पुतिन हो सकते है गिरफ्तार?

उत्तर:पुतिन एक महाशक्ति और ताकतवर देश रुस के राष्ट्रपति हैं और साथ ही दुनिया के टॉप पावरफुल नेताओं में से एक हैं। ऐसे में रूस में रहते हुए उनको अरेस्ट नहीं किया जा सकता है, ये तो लगभग तय है। वहीं, पुतिन अगर रूस के बाहर किसी दूसरे देश में जाते हैं तो हो सकता है कि उन्हें हिरासत में लिया जा सकता है। बता दें, पुतिन के विदेश दौरे पर कई तरह के अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हैं।

इस वजह से ये संभावनाएं भी कम ही है कि वो रूस के बाहर किसी दूसरे देश के दौरे पर जाएंगे। अगर पुतिन ICC के सदस्य देशों का दौरा करते हैं तो वो हिरासत में लिए जा सकते हैं, लेकिन शायद पुतिन ये गलती न करें। उनके दौरे में शामिल ईरान इकलौता ऐसा देश है जो कभी USSR का हिस्सा नहीं रहा।

अमेरिका ICC का हिस्सा नहीं है। ऐसे में वॉर क्राइम के सबूत ICC को देने के मुद्दे पर बाइडन प्रशासन में ही टकराव की स्थिति बनी हुई है। पेंटागन ने ICC के साथ रिपोर्ट शेयर नहीं करने की सलाह दी है। अमेरिकी रक्षा विभाग का मानना है कि ऐसा करने से एक गलत ट्रेंड की शुरुआत होगी। आने वाले समय में ICC अमेरिकी नेताओं और अधिकारियों के खिलाफ भी इस तरह की कार्रवाई कर सकता है।

प्रश्न 4: भारत आने पर क्या गिरफ्तार हो सकते हैं पुतिन?

उत्तर: ICC के वारंट जारी होने के बाद भी भारत आने पर पुतिन नहीं होंगे गिरफ्तार नहीं क्यों जानिए वजह?

वजह ये है कि भारत अभी तक ICC के सदस्य देशों में शामिल नहीं है। न ही भारत ने 1998 के रोम समझौते पर हस्ताक्षर किया है। ऐसे में ICC ने जो वारंट जारी किया है, वो भारत के लिए मान्य नहीं है। अगर भारत ICC का सदस्य होता, फिर भी वह इस आदेश को मानने के लिए बाध्य नहीं होता। इसकी वजह ये है कि ICC का वारंट उसके सदस्य देशों के लिए भी एक सलाह की तरह होता है।

2015 में एक ऐसा ही मौका आया, जब उस वक्त के सूडान के राष्ट्रपति उमर हसन अहमद अल-बशीर भारत के दौरे पर आए थे। वो भारत में होने वाली इंडिया-अफ्रीका समिट में हिस्सा लेने के लिए दिल्ली आए थे। उस वक्त इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट ने उमर हसन को हिरासत में लेकर उसे सौंपने के लिए कहा। दरअसल, 2009 में ICC ने बशीर के खिलाफ सूडान में वॉर क्राइम के आरोप में अरेस्ट वारंट जारी किया था।

प्रश्न 5: गिरफ्तारी इतनी मुश्किल तो फिर वारंट का क्या मतलब?

उत्तर:बता दें, पुतिन को गिरफ्तार करना तो दूर, उससे पहले उनके खिलाफ मुकदमा चलाना भी ICC के लिए बेहद मुश्किलों भरा है। जानिए इसकी वजह;

सबसे पहले रूस ICC के सदस्य देशों का हिस्सा नहीं है। ऐसे में वहां से पुतिन को हिरासत में लेना लगभग नामुमकिन है। साथ ही पुतिन को हिरासत में लिए बिना इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट उनके खिलाफ केस नहीं चला सकती है। ICC के नियम के माने तो बिना उस व्यक्ति को हिरासत में लिए जिसे आरोपी माना गया है या आरोपी की अनुपस्थिति में मुकदमे का ट्रायल शुरू नहीं किया जा सकता है।

प्रश्न 6: क्या ICC पुतिन को कभी अरेस्ट कर सकती है?

उत्तर: इंटरनेशनल क्रिमिनल कोर्ट के पास राष्ट्रपति पद पर बैठे किसी व्यक्ति को गिरफ्तार करने का पावर नहीं है। हालांकि, ये हो सकता है कि राष्ट्रपति पद से हटने के बाद पुतिन ICC के सदस्य देशों के दौरे पर जाएं तो उन्हें हिरासत में लेकर ट्रायल शुरू किया जा सकता है। लेकिन इसकी संभावना कम है कि पुतिन ऐसी गलती करेंगे। ऐसे में हिरासत में लेकर ट्रायल चलाए बिना उनकी गिरफ्तारी की कोई संभावना ही नहीं है।

प्रश्न7: क्या पहले भी किसी ने ICC के मुकदमे का सामना किया है?

उत्तर: ICC के 20 सालों के इतिहास को देखे तो मार्च 2012 में कोर्ट ने अपना पहला फैसला सुनाया था। ICC ने ये फैसला डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कॉन्गो के उग्रवादी नेता थॉमस लुबांगा के खिलाफ सुनाया था। कोर्ट ने जंग में बच्चों को भेजे जाने के आरोप में उसके खिलाफ केस चलाया गया था। इस आरोप में उसे 14 साल के लिए जेल की सजा सुनाई गई थी।

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Bhawna
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