टोल टैक्स में लगातार हो रही बढ़ोतरी का खामियाजा भुगत रहे वाहन चालकों को जल्द ही महंगे टोल से निजात मिल सकती है। कुछ ही वर्ष पुरानी FASTag सिस्टम को समाप्त कर सरकार अब टोल वसूली की नई व्यवस्था लाने की तैयारी कर रही है।
नेविगेशन सिस्टम (GPS) की सहायता से अब राष्ट्रीय राजमार्ग और एक्सप्रेस-वे पर आपकी कार जितने किलोमीटर चलेगी, आपको उतने ही टोल का भुगतान करना होगा।
इस सिस्टम की सहायता से जर्मनी और रूस जैसे यूरोपीय देशों में टोल वसूला जा रहा है। इन देशों में सफलता के बाद भारत सरकार नेविगेशन सिस्टम को यहां भी लागू करने की तैयारी कर रही है।
FASTag सिस्टम में वाहनों से एक टोल से दूसरे टोल तक की दूरी की पूरी राशि वसूल की जाती है। भले ही आपकी यात्रा बीच में कहीं पूरी हो रही हो, लेकिन टोल का पूरा भुगतान करना पड़ता है। लेकिन नई व्यवस्था में वाहन द्वारा हाइवे पर जितने किलोमीटर का सफर तय किया जाएगा, उतना ही टोल देना होगा।
फ़िलहाल केंद्र सरकार इस व्यवस्था को अपनाने के लिए पायलट प्रोजेक्ट पर काम कर रही है। पायलट प्रोजेक्ट में देश भर में 1.37 लाख वाहनों को शामिल किया गया है।
जर्मनी में लगभग सभी वाहनों (98.8 प्रतिशत) में सैटेलाइट नेविगेशन सिस्टम लगाए गए हैं। वाहन द्वारा टोल रोड में प्रवेश करते ही टैक्स की गणना शुरू हो जाती है और जैसे ही वाहन हाईवे से बिना टोल की सड़क पर जाता है, उसके खाते से उतने किलोमीटर का टोल काट लिया जाता है। इस प्रणाली में भी टोल काटने की व्यवस्था FASTag की तरह ही है।
केंद्र सरकार के लिए नई व्यवस्था को लागू करने से पहले परिवहन नीति में भी बदलाव करना जरूरी है। विशेषज्ञ इसके लिए आवश्यक बिंदु तैयार कर रहे हैं। रूस के विशेषज्ञों द्वारा एक अध्ययन रिपोर्ट तैयार की जा रही है और दक्षिण कोरिया में यह रिपोर्ट अगले कुछ हफ्तों में जारी हो सकती है।
वर्तमान में, भारत में 97 प्रतिशत वाहनों पर FASTag से टोल लिया जा रहा है। इस व्यवस्था को 16 फ़रवरी 2021 से सभी वाहनों के लिए अनिवार्य कर दिया गया था। केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी के मुताबिक़ सरकार को देश भर में टोल से ₹34 हज़ार करोड़ का राजस्व प्राप्त होता है।