दिल्ली- Amazon Prime पर रिलीज़ हुई The Guilty Minds वेब सीरिज़ की कामयाबी के बाद दर्शक सीज़न 2 का इंतज़ार कर रहे हैं। कोर्ट रूम ड्रामा पर आधारित इस सीरिज़ के दृश्यों में फ़िल्मी दुनिया की कोर्ट की बजाए रियल कोर्ट दिखाया गया। हालाँकि आम दर्शकों को निर्देशक शेफाली भूषण से उम्मीद क्यों ना हो जब वो खुद एक ऐसे परिवार से आती हैं जिसने देश को जाने-माने वकील दिए हैं। निर्देशक शेफाली भूषण पूर्व केंद्रीय क़ानून मंत्री शांति भूषण की बेटी और मानवाधिकार मामलों के बड़े वकील प्रशांत भूषण की बहन हैं।
दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट में बने फ़ायर प्लेस जैसी बारीकियों को सीरिज़ के दृश्य में समाहित करने वाली निर्देशक शेफाली भूषण से The Legal Observer के अंकित मिश्रा ने लंबी बातचीत की। शेफाली भूषण ने फ़िल्म के हर एक पहलू पर बात की। बातचीत के कुछ प्रमुख अंश यहाँ दिए गए हैं।
सवाल: फ़िल्म की सफलता के बाद कैसा महसूस हो रहा है?
शेफाली: दर्शक, क्रिटिक और फ़िल्म इंडस्ट्री से इस सीरीज़ को बहुत प्यार मिला है, लोगों ने हमारे काम को बहुत पसंद किया है। इस सीरिज़ में हमने homosexuality, sexual consent व gaming addiction जैसे गंभीर व आर्टिफ़िशल इंटेलिजेन्स(AI) जैसे फ़्यूचरिस्टिक मुद्दे उठाए हैं। यह देखना सुखद है कि लोग अब इन मुद्दों पर चर्चा कर रहे हैं।
सवाल: सीरिज़ के 10 एपिसोड में 10 अलग-अलग केस और समाज से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों को दिखाया गया है। इन मुद्दों के चयन के पीछे क्या सोच थी।
शेफाली: वेब सीरिज़ में फ़िल्मों के मुक़ाबले ज़्यादा काम होता है, एक अच्छा कंटेंट तैयार करने के लिए एक साथ कई पैरेलेल ट्रैक्स पर काम करना होता है। कहानी लेखन में मानव भूषण, जयंत सोमलकर और दीक्षा गुजराल ने मेरे साथ काम किया। सभी मुद्दों पर हमने कलेक्टिव ब्रेन स्ट्रोमिंग कर कंटेंट तैयार किया।

टीम के सदस्यों ने अपने-अपने मुद्दे रखे जिसमें वो बेहतर समझ और जानकारी रखते हैं। जैसे प्रणव मैथ्स से पीएचडी है और टेक्निकल फ़ील्ड में बेहतर समझ रखता है, ड्राइवरलेस व्हीकल, एआई और गेमिंग एडिक्शन जैसे मुद्दे मानव के आइडिया थे, जिस पर पूरी टीम ने रीसर्च किया और फिर लेखन का काम हुआ।
सवाल: किरदार गढ़ते समय कौन सी बाते ध्यान में रखी, कशफ का किरदार एक वकील के तौर पर बहुत मज़बूत है लेकिन अपने साथ हुई sexual assault की घटना के ख़िलाफ़ आवाज़ उठाने में देर करती है।
शेफाली: राइटर्स रूम में सबके अनुभवों का समायोजन होता है। आप अपने किरदारों में तभी जान डाल पाते हो जब दर्शक उस किरदार के साथ एक जुड़ाव महसूस करे या वह अपने आसपास किसी व्यक्ति को जनता हो जिसकी कहानी उस किरदार की कहानी से मेल खाती हो। जब एक इंसान की रोज़मर्रा की परेशानियों या मुद्दों को आप किरदार में डालते हैं तो धीरे धीरे वह रियल होने लगती है और मुझे इस बात पर गर्व है कि मेरी टीम ऐसा कर सकी।

सवाल: सीरिज़ में दीपक का किरदार आपके रियल लाइफ़ से इन्स्पाइअर्ड तो नहीं?
शेफाली: मैंने ऐसे परिवार में जन्म लिया जहां बहुत सारे वकील हैं। तो ज़ाहिर है घर पर बहुत सारे लीगल से जुड़े मुद्दों पर चर्चा होती है और आप अपने sub conscience माइंड में उसे ग्रहण कर रहे होते हैं। इस सिरीज़ में दीपक का किरदार थोड़ा टेढ़ा है वह केस जितने के लिए सारे हथकंडे अपनाता है और मैं स्पष्ट करना चाहूँगी, यह किरदार मेरे रियल लाइफ़ से इन्स्पाइअर्ड नहीं है, मेरे परिवार से तो बिलकुल भी नहीं है।
सवाल: कास्टिंग कैसे की? स्टोरी लिखते समय कोई स्टार आपके मन में था?
शेफाली: लेखन के समय कोई स्टार मेरे दिमाग में नहीं था। स्टोरी लिखने के बाद ऑडिशन हुआ, इस प्रॉसेस में कशफ के लिए श्रिया पिलगांवकर और दीपक के लिए वरुण मित्रा सहित सारे युवा किरदारों का चयन हुआ। केवल कूलभूशन खरबंदा सर और सतीश कौशिक सर को लेकर स्पष्टता थी। उन्होंने ने इतना काम किया है कि आप उनको किरदार में विजुअलाइज कर सकते हैं।

सवाल: सीरिज़ के मुख्य किरदार वरुण और श्रिया ने अपने रोल में ढलने के लिया क्या कुछ किया।
शेफाली: दोनों ने बहुत मेहनत की, वो कोर्ट गए अपने वकील दोस्तों से बातचीत की, अपने किरदार से मिलते-जुलते वकीलों को ढूँढा, मुझसे उन्होंने ने अपने किरदार को लेकर चर्चा की। दोनों ने पूरी ईमानदारी और शिद्धत के साथ अपने किरदार को समझा और निभाया है।
सवाल: सीरीज़ में कोर्ट के जो दृश्य दिखाए गए हैं वो वास्तविक हैं, अमूनन ऐसा भारतीय सिनेमा में नहीं दिखाया जाता। कोर्ट रूम के वास्तविक दृश्यों को दिखाने को लेकर क्या आप शुरू से ही स्पष्ट थी।
शेफाली: इस बात को लेकर पहले दिन से स्पष्टता थी। हमने अपनी टीम के साथ पटियाला हाउस, तीस हज़ारी और साकेत कोर्ट सहित सारे न्यायालयों को देखा। हमने कोर्ट के छोटे छोटे एलिमेंट्स को स्क्रीन पर उतारने का प्रयास किया। जैसे पटियाला हाउस कोर्ट पहले पैलेस था वहां कोर्ट रूम के अंदर छोटे छोटे फ़ायर प्लेस हैं वह दिखाने का प्रयास किया।

सवाल: OTT के चलन के बाद से वास्तविक फ़िल्मों का चलन बढ़ गया है। क्या आपके जैसे रीलिस्टिक फ़िल्में बनाने वाले निर्देशकों को अब कॉन्फ़िडेन्स आता है।
शेफाली: OTT गेम चेंजर है, निर्देशकों को OTT ने बहुत कॉन्फ़िडेन्स दिया है। पर्दे पर जो फ़िल्में आ रही हैं वहां भी बदलाव आया है, अब वो भी रीयलिज़म की तरफ़ जा रही हैं। दर्शकों के अंदर भी मैच्युरिटी आयी है, वो अब ऐसी फ़िल्में देखना चाहते हैं जिससे उन्हें जानकारी मिले या वो खुद को रिलेट कर पाए।
OTT के कारण काम का स्केल भी बढा है, अब कांटेंट के लिए ज़्यादा स्पेस है। छोटे शहरों और गांवों तक हमारा कांटेंट पहुँच रहा है। इस platform पर शुरू में स्टार्स नहीं आना चाहते थे लेकिन अब वह भी आ रहे हैं। अब अच्छी कहानी, अच्छे निर्देशन और प्रोडक्शन के साथ हम लोगों तक पहुँच पा रहे हैं। इससे फ़िल्म इंडस्ट्री का कॉन्फ़िडेन्स भी बढ़ रहा है। अलग-अलग मुद्दों पर छोटे और अच्छे अभिनेताओं के साथ फ़िल्में करने का रिवाज बढ़ गया है।
सवाल: आपके घर में अधिकत्तर लोग वकालत के पेशे से जुड़े हैं कभी घर वालों ने वकालत करने के लिए नहीं कहा?
शेफाली: घर वालों ने कभी दबाव नहीं बनाया। कॉलेज के दिनों में लॉ करने का सोचा था, पिता जी भी लॉ से जुड़ी चीजें बताते रहते थे लेकिन फिर मैंने थिएटर जाना शुरू कर दिया। दिल्ली में पहले ड्रामा एक्ट जॉइन किया और फिर एनके शर्मा जी द्वारा संचालित ऐक्ट वन जाने लगी। वहां काफ़ी कुछ सीखने और समझने को मिला। एक्ट वन से निकलने वाले लोग फ़िल्म इंडस्ट्री में अच्छे पायदान पर हैं।

सवाल: आपने जामिया मिलिया इस्लामिया से भी पढ़ाई की, वहां का माहौल कैसा रहा?
शेफाली: जामिया में कई डिसिप्लिन में पढ़ाई होती है। रेडियो, फ़िल्म, और टीवी की पढ़ाई के दौरान प्राजेक्ट्स पर आप टीम वर्क में काम करते हैं, जो फ़िल्म इंडस्ट्री में बहुत ज़रूरी होता है। लेकिन फिर भी आप कितने भी अच्छे संस्थान से पढ़ो असली सिख तभी मिलती है जब आप काम पर आते है।
सवाल: Guilty Minds season 2 को लेकर क्या अपडेट है।
शेफाली: शो के फ़ॉरमेट के कारण कहानी को और बढ़ाने का स्कोप है। दर्शकों का रेस्पॉन्स भी अच्छा आया है, अब यह amazon prime पर निर्भर करता है कि वह क्या करते हैं। फ़िलहाल इस पर मैं कोई अधिकारिक टिप्पणी नहीं करूँगी।

सवाल: आगे और कौन से प्राजेक्ट्स पाइपलाइन में हैं
शेफाली: पाइपलाइन में बहुत सारी चीजें हैं, नए प्राजेक्ट्स को लेकर बहुत से लोग सम्पर्क भी कर रहे हैं लेकिन कई सारी चीजें एक साथ नहीं कर सकते इससे काम की क्वालिटी पर असर पड़ता है। आइडीया बहुत सारे हैं लेकिन किस क्रम में आएँगे ये देखने वाली बात होगी।