सुप्रीम कोर्ट ने वन रैंक वन पेंशन (OROP) के अंतर्गत पूर्व सैन्य कर्मियों को बकाये का भुगतान करने के संबंध में केंद्र द्वारा सीलबंद लिफाफे में दिए गए जवाब को मानने से सोमवार को इनकार कर दिया है। कोर्ट ने कहा कि केंद्र सरकार OROP योजना के संदर्भ में 2022 के फैसले का पालन करने के लिए बाध्य है।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र को निर्देश देते हुए कहा कि, ‘छह लाख पेंशनभोगी परिवार और वीरता पदक विजेताओं को 30 अप्रैल तक OROP के बकाये का भुगतान किया जाए। वहीं 70 वर्ष और उससे ज्यादा उम्र के रिटार्यड सैन्य कर्मियों को इस साल 30 जून तक एक या उससे अधिक किस्तों में OROP के बकाये का भुगतान किया जाए।

‘CJI D Y चंद्रचूड़, जस्टिस पी एस नरसिम्हा और जे बी पारदीवाला की पीठ ने कहा कि, ‘हमें सुप्रीम कोर्ट में सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के चलन पर रोक लगाने की जरूरत है.यह मूल रूप से निष्पक्ष न्याय दिए जाने की बुनियादी प्रक्रिया से अलग है।’ CJI चंद्रचूड़ ने कहा, ‘मैं व्यक्तिगत रूप से सीलबंद लिफाफे में जवाब दिए जाने के खिलाफ हूं। अदालत में पारदर्शिता होनी चाहिए.यह आदेशों को अमल में लाने को लेकर है। इसमें गोपनीय क्या हो सकता है।’
सुप्रीम कोर्ट OROP बकाये के भुगतान को लेकर ‘इंडियन एक्स-सर्विसमैन मूवमेंट’ (IESM) की याचिका पर सुनवाई कर रहा है। अदालत ने OROP के बकाये का चार किश्तों में भुगतान करने का ‘एकतरफा’ फैसला करने के लिए 13 मार्च को सरकार को कहा था।