बिहार की राजनीति में अप्रत्याशित चीजें देखने को मिलना अब आम बात हो गई है। 2015 में आरजेडी और जेडीयू के गठबंधन के बाद अब कुछ भी देख लोगों को आश्चर्य नहीं होता। यही कारण है कि बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने के नितीश कुमार के निर्णय ने लोगों को अचरज में नहीं डाला। लेकिन इस स्टोरी में जो तथ्य हम बताने जा रहे हैं वो आपको आश्चर्यचकित ज़रूर कर सकते हैं।
10 अगस्त 2022 को मुख्यमंत्री पद की शपथ लेने के बाद नितीश कुमार देश में सर्वाधिक बार इस पद की शपथ लेने वाले नेता बन गए हैं। एक बार मुख्यमंत्री बनने की हसरत लिए पूरी ज़िंदगी राजनीति में गुजारने वाले नेताओं के लिए यह तथ्य नागवार गुजरेगा। मुख्यमंत्री नितीश कुमार एक दो बार नहीं पूरे 8 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ले चुके हैं।
सन 2000 में पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री के पद पर शपथ ग्रहण करने के बाद नितीश कुमार अब तक 8 बार इस पद की शपथ ले चुके हैं। भाजपा, कांग्रेस, राजद जैसी बड़ी पार्टियों के अलावा जीतन राम माँझी की पार्टी हिंदुस्तान मोर्चा और मुकेश साहनी की पार्टी वीआईपी भी उनके गठबंधन का हिस्सा रही हैं।
मुख्यमंत्री के पद पर सबसे लंबे समय तक क़ाबिज़ रहने के मामले में नितीश कुमार अभी 12वें स्थान पर हैं। इसी महीने(अगस्त) उनके कार्यकाल को 16 वर्ष पूरे हो जाएंगे। लगभग 12 वर्षों तक उन्होंने भाजपा के साथ सरकार चलाई है।
इससे पहले सर्वाधिक बार शपथ लेने का रिकार्ड गोवा के पूर्व मुख्यमंत्री प्रताप सिंह राणे के नाम पर दर्ज था। कांग्रेस नेता प्रताप सिंह राणे ने अपने राजनीतिक जीवन में कुल 7 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। 1980 से लेकर 2007 के बीच वह 15 साल 250 दिन तक गोवा के सीएम रहे।
1987 में गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा मिलने के पहले वह 7 वर्षों तक गोवा, दमन-दीव केंद्र शासित प्रदेश के मुखिया रहे। हालाँकि पूर्ण राज्य के गठन के बाद वह एक बार भी 5 वर्ष का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके। 1987 से लेकर 2007 के बीच में उन्होंने ने 5 अलग-अलग मौक़ों पर पद की शपथ ली।
इस लिस्ट में अगला नाम अरुणाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री गेगांग अपांग का है। उन्होंने ने लगभग 23 वर्षों तक राज्य के मुख्यमंत्री के रूप में सेवा दी। 1980 से लेकर 2007 के बीच तक उन्होंने 6 बार इस पद की शपथ ली।
इनके अलावा ऐसे भी कई मुख्यमंत्री हुए जिन्होंने ने 5 बार मुख्यमंत्री पद की शपथ ली। इनमें सर्वाधिक समय तक मुख्यमंत्री रहने वालों की लिस्ट में दूसरे नम्बर पर शुमार पश्चिम बंगाल के पूर्व सीएम ज्योति बसु शामिल हैं। 23 साल से लंबे कार्यकाल के दौरान उन्होंने 5 बार इस पद की शपथ ली।
इनके अलावा इस लिस्ट में तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री के करुणानिधि और जयललिता, हिमाचल प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह, मिज़ोरम के पूर्व मुख्यमंत्री पु ललथनहवला, उड़ीसा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक और नारायण दत्त तिवारी का नाम शामिल है।
इन सब में कांग्रेस नेता नारायण दत्त तिवारी का इतिहास थोड़ा अलग है। उन्होंने ने दो अलग-अलग राज्यों के मुखिया के रूप में ज़िम्मेदारी निभाई। उत्तराखंड के अलग होने से पहले वह अलग-अलग मौक़ों पर लगभग साढ़े तीन साल तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे। 1976 में वह पहली बार मुख्यमंत्री बने।
उत्तराखंड राज्य के गठन के बाद वह राज्य के तीसरे और जनता द्वारा चुने गए पहले मुख्यमंत्री बने। इस दौरान उन्होंने मुख्यमंत्री के रूप में अपने पांच साल के कार्यकाल को पूर्ण किया। उनके अलावा आज तक उत्तराखंड का और कोई भी मुख्यमंत्री अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर सका है।