एडवोकेट लक्ष्मणा चंद्रा विक्टोरिया गौरी ने मंगलवार को मद्रास हाईकोर्ट के जज के रूप में शपथ ली. गौरी की नियुक्ति को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने वाली याचिका को कोर्ट ने खारिज कर दिया है. मद्रास हाई कोर्ट के 21 वकीलों ने ही उन्हें जज बनाए जाने को लेकर विरोध दर्ज कराया था. इन्होंने राष्ट्रपति Draupadi Murmu को पत्र लिखकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की तरफ से सौंपी गई फाइल को वापस करने की मांग की थी. उन्होंने कॉलेजियम की इस सिफारिश को परेशान करने वाला और न्यायपालिका की स्वतंत्रता के खिलाफ बताया था.
Read Also:सुप्रीम कोर्ट को मिले 5 नए जज,CJI D Y Chandrachud ने दिलाई शपथ
विरोध का कारण
जजों की नियुक्ति पर सरकार और सुप्रीम कोर्ट में तनातनी के बीच गरमाया विक्टोरिया गौरी का मामला सुप्रीम कोर्ट में खारिज हो गया है। विक्टोरिया को जज बनाने से रोकने के मामले में भाजपा कनेक्शन भी सामने आया था। जी हां, सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की गई याचिका में भाजपा से उनके जुड़ाव और मुस्लिम-ईसाई समुदाय के खिलाफ दिए गए बयानों का जिक्र किया गया था। मद्रास हाई कोर्ट के तीन वकीलों ने याचिका दाखिल की थी लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने इन तर्कों को नहीं माना
इस मामले पर विक्टोरिया गौरी का बयान
विक्टोरिया गौरी का कहना है कि उन्होंने बीजेपी के सभी पदों से जून 2020 में ही इस्तीफा दे दिया था. वर्तमान में वह किसी भी तरह से राजनीति से नहीं जुड़ी हैं. वह बस अभी वकालत पर ध्यान दे रही हैं. कई विपक्षी नेताओं ने भी इस सिफारिश की निंदा की और कॉलेजियम के फैसले पर सवाल उठाया है. हालांकि, इस सबके बाद भी आज विक्टोरिया गौरी सुबह 10.35 बजे जज के रूप में शपथ लेने जा रही हैं.
Read Also:6 भारतीय वकील NISAU India-UK Achievers Award से सम्मानित
कौन हैं लक्ष्मणा चंद्रा विक्टोरिया गौरी?
1995 में तमिलनाडु बार एसोसिएशन में एडवोकेट के तौर पर रजिस्ट्रेशन कराने वाली एल विक्टोरिया गौरी ने मदुरई लॉ यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई पूरी की. गौरी को वकालत में 21 साल से ज्यादा का अनुभव है. वी विक्ट्री लीगल एसोसिएट्स की वेबसाइट के मुताबिक गौरी पहली महिला वकील हैं जिन्होंने कन्याकुमारी जिले में अपना कार्यालय बनाया था. उन्हें साल 2020 में मद्रास हाईकोर्ट का असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल नियुक्त किया गया था. गौरी ने ‘जननी जननम’ सहित कई किताबें भी लिखी हैं.