दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) ने अपने अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच संबंधी लोकपाल के आदेश को हाईकोर्ट में चुनौती दी है। उसने इसको लेकर याचिका दाखिल की और लोकपाल के आदेश पर रोक लगाने की मांग की। लोकपाल ने शहर में कथित रूप से अनाधिकृत निर्माण को लेकर मिली शिकायत के आधार पर निगम के अधिकारियों के खिलाफ सीबीआई जांच के निर्देश दिए थे।
न्यायमूर्ति प्रतिबा मनिंदर सिंह ने फिलहाल रोक लगाने से इनकार कर दिया और निगम के वकील से याचिका की एक प्रति लोकपाल को देने को कहा। उन्होंने कहा कि अगर सुनवाई के अगले दिन निगम के पक्ष में मामला बनता है तो वह उचित आदेश पारित करेंगी। साथ ही अवैध संरचनाओं पर अपनी चिंता व्यक्त की। न्यायमूर्ति ने इसके साथ ही सुनवाई 5 जनवरी के लिए स्थगित कर दिया।
नगर निगम की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने न्यायमूर्ति से आगे की कार्यवाही पर रोक लगाने का आग्रह किया। न्यायमूर्ति ने कहा कि वह सुनवाई की अगली तारीख पर उचित आदेश पारित करेंगी। उन्होंने कहा कि लोकपाल में हाईकोर्ट के एक सेवानिवृत्त न्यायमूर्ति के साथ तीन सदस्य होते हैं..। लोकपाल ने इस मामले पर विचार किया है, तो इसके कुछ कारण होंगे। मुझे उन्हें भी सुनना है। न्यायमूर्ति ने मामले को 5 जनवरी के लिए सूचीबद्ध करने का निर्देश दिया। साथ ही प्रतिवादी लोकपाल को अग्रिम सूचना देने की बात कही।
निगम के वकील ने यह भी कहा था कि यदि मौजूदा मामले में सीबीआई जांच की जाती है, तो कोई भी अपना काम नहीं कर पाएगा। अगर यही बात है तो शहर में अपराधोेंक लिए पुलिस के खिलाफ भी जांच का आदेश दिया जाना चाहिए। कोर्ट ने कहा कि एमसीडी की तुलना दिल्ली पुलिस से नहीं की जा सकती है। शिकायतकर्ता समाजवादी युवजन सभा के पूर्व महासचिव विक्रम सिंह सैनी ने दिसंबर 2021 में एमसीडी के कुछ अधिकारियों के खिलाफ शिकायत की थी।
शिकायत में आरोप लगाया गया था कि दक्षिण दिल्ली में कुछ अवैध निर्माण अधिकारियों के गलत रवैए के कारण हुए हैं। वकील संजय वशिष्ठ के माध्यम से दाखिल याचिका में निगम ने दावा किया कि शिकायतकर्ता ने आवश्यक प्रक्रिया का पालन किए बिना लोकपाल के समक्ष निराधार और अस्पष्ट शिकायत की है। याचिका में आरोप लगाया गया है कि शिकायतकर्ता कई सूचना का अधिकार (आरटीआई) आवेदन दाखिल कर अनुचित लाभ लेने के लिए निगम के अधिकारियों को प्रभावित करने की कोशिश कर रहा था।