सुप्रीम कोर्ट ने एनजीटी के ऊपर हाईकोर्ट को दी वरीयता, कहा- संवैधानिक कोर्ट का फ़ैसला अधिक प्रभावी

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अब एक ही मामले में हाईकोर्ट और एनजीटी द्वारा पारित आदेशों में हाईकोर्ट के आदेश अधिक प्रभावी होंगे, इस आधार पर विशाखापत्तनम के रुशिकोंडा हिल्स में निर्माण कार्यों को रोकने के नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश को सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट और नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल के विरोधाभासी आदेश से अधिकारियों के लिए असामान्य स्थिति पैदा होगी। ऐसे मामले में, संवैधानिक न्यायालय का आदेश ट्रिब्यूनल के आदेश पर प्रभावी होगा।

एनजीटी द्वारा पर्यटन परियोजना के तहत विशाखापत्तनम के रुशिकोंडा हिल्स में निर्माण कार्य पर लगाई गई रोक के ख़िलाफ़ आंध्र प्रदेश राज्य ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दी थी। जिस पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने यह आदेश दिया।

जस्टिस बीआर गवई और हिमा कोहली की पीठ ने कहा कि हाईकोर्ट के आदेश पारित करने के बाद एनजीटी की ओर से कार्यवाही जारी रखना उचित नहीं था। पीठ ने दोनों पक्षों को उचित आदेश के लिए हाईकोर्ट जाने का निर्देश दिया है। 

सांसद रामकृष्ण राजू को सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के समक्ष एक अभियोग आवेदन दाखिल करने की स्वतंत्रता दी है। पीठ ने कहा कि भले ही हाईकोर्ट ने निर्माण की अनुमति दी हो लेकिन यह उचित होगा कि लगाए गए गंभीर आरोपों को हाईकोर्ट के समक्ष रखा जाए और हाईकोर्ट एक निर्णय ले, ताकि विकास और पर्यावरण के मुद्दे पर संतुलन स्थापित किया जा सके। 

सुप्रीम कोर्ट ने राष्ट्र के आर्थिक विकास को आवश्यक बताया लेकिन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रदूषण मुक्त पर्यावरण को संरक्षित करने हेतु पर्यावरण की रक्षा करने पर भी ज़ोर दिया।

निर्माण के मुद्दे पर हाईकोर्ट की तरफ़ से कोई नया फ़ैसला आने तक पीठ ने आदेश दिया कि निर्माण की अनुमति केवल समतल क्षेत्रों पर होगी, जिस क्षेत्र में निर्माण पहले से मौजूद था और जिसे पहले ही ध्वस्त कर दिया गया था। सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया कि जब तक हाईकोर्ट इस मुद्दे पर विचार नहीं करता, तब तक पहाड़ी क्षेत्र पर कोई निर्माण नहीं किया जाएगा।

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