ज्ञानवापी मस्जिद विवाद में कौन- कौन हैं मुख्य किरदार…जानिए इस विवाद से जुड़े कानूनी जानकारों के बारे में

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अयोध्या के रामजन्मभूमि-बाबरी मस्जिद विवाद की तर्ज पर ही अब ज्ञानवापी मस्जिद को लेकर विवाद एक अदालत से दूसरी अदालत पहुंच रहा है। 1991 में वाराणसी कोर्ट से शुरू हुआ यह मामला अब सुप्रीम कोर्ट तक पहुँच चुका है। 

1664 में औरंगज़ेब द्वारा बनवायी गयी इस मस्जिद के ख़िलाफ़ सबसे पहले पंडित सोमनाथ व्यास और 3 अन्य लोगों ने याचिका दाखिल की थी, लेकिन इस मामले ने तूल 2021 में पकड़ा। 

साल 2021 के अगस्त महीने में 5 महिलाओं ने वाराणसी की सिविल कोर्ट में एक नई याचिका डालकर ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर स्थित श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा करने की माँग की। सिविल जज रवि कुमार दिवाकर ने याचिका पर सुनवाई कर कोर्ट कमिश्नर वकील अजय मिश्रा व अन्य दो लोगों को बनाया और साथ ही सर्वे और विडियोग्राफ़ी कराने का निर्देश दिया। तीन दिनों तक चला सर्वे का काम पूरा कर लिया गया है जिसकी रिपोर्ट कोर्ट में पेश की जाएगी।

2021 में मात्र 5 महिलाओं ने याचिका डाली थी लेकिन आज इस मामले को लेकर करोड़ों लोग पक्ष और विपक्ष में खड़े नज़र आ रहे हैं। आईये जानते हैं इस विवाद के पीछे अब कौन लोग लगातार चर्चा में बने हुए हैं। 

सिविल जज रवि कुमार दिवाकर

वाराणसी न्यायालय के सिविल जज रवि कुमार दिवाकर अब तक इस पूरे मामले के केंद्र में रहे हैं। 13 मई को सुनवाई के दौरान उन्होंने अपने परिवार की सुरक्षा को लेकर चिंता भी व्यक्त की थी। उन्होंने कहा- ‘इस साधारण से सिविल वाद को बहुत ही असाधारण बनाकर एक डर का माहौल बना दिया गया है’। 

लखनऊ के मूल निवासी रवि कुमार दिवाकर का जन्म 5 जुलाई 1980 को हुआ था। स्व पूट्टु लाल के घर में जन्मे श्री दिवाकर ने बीकाम, एलएलबी और 2007 में एलएलएम किया। 2009 में उनको मुंसिफ़ के पद पर आज़मगढ़ ज़िले में पोस्टिंग मिली।

एडिशनल सिविल जज के पद पर 4 साल आज़मगढ़ में रहने के बाद उनका ट्रांसफ़र पहले सुल्तानपुर और फिर बदायूँ ज़िले में हुआ। बदायूँ में उनका प्रमोशन सीनियर डिविज़न के लिए हुआ। 2019 में वो वाराणसी गए और वहां सिविल जज बनने से पहले स्पेशल सीजेएम के रूप में कार्य किया।

ज्ञानवापी मस्जिद का मामला अब वाराणसी के ज़िला न्यायालय से निकलकर सुप्रीम कोर्ट में आ चुका है। सुप्रीम कोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान दो सीनियर एडवोकेट एक दूसरे के आमने सामने होंगे। जिनके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं। 

हुफेजा अहमदी 

सुप्रीम कोर्ट में याचिकाकर्ता अंजुमन इंतेजमिया मस्जिद कमेटी का प्रतिनिधित्व वरिष्ठ वकील हूजेफा अहमदी कर रहे हैं। वह भारत के 26वें मुख्य न्यायाधीश अज़ीज़ मुसब्बर अहमदी के पुत्र व अपने घर के तीसरी पीढ़ी के वकील हैं। दिल्ली यूनिवर्सिटी से लॉ की डिग्री लेने के बाद वह 1991 में बार काउंसिल के सदस्य बने।

अपने कैरियर के शुरुआती दौर में वो सीनियर एडवोकेट महेश्वर दयाल और एम चंद्रशेखरन के सानिध्य में हाईकोर्ट और ट्रीब्यूनल में काम देखते रहे। कुछ समय के लिए वह अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त लॉ फ़र्म क्लिफ़र्ड चान्स के लिए काम करने विदेश भी गए। वहां से लौटने के बाद उन्होंने सुप्रीम कोर्ट में प्रैक्टिस करना शुरू किया। आज वह कॉन्स्टिटूशनल लॉ, एडमिनिस्ट्रेटिव लॉ, टैक्स, सिविल और क्रिमिनल मामलों के विशेषज्ञ हैं।

इस सुनवाई में हुफेजा अहमदी के सामने सीनियर एडवोकेट हरिशंकर जैन होंगे।

हरिशंकर जैन

अयोध्या राममंदिर-बाबरी मस्जिद सुनवाई के दौरान हिंदू पक्ष की पैरवी करने वाले वकीलों में  हरिशंकर जैन का भी नाम शामिल है। 1992 में बाबरी विंध्वंस के बाद से वो इस मुद्दे के मूल से जुड़े रहे हैं। विध्वंश के 13 दिनों बाद राम जन्मभूमि स्थल पर पूजा की माँग को लेकर उन्होंने याचिका दायर की थी। हिंदू फ़्रंट फ़ोर जस्टिस के अध्यक्ष हरिशंकर जैन पिछले 20 सालों से भी ज़्यादा समय से कोर्ट में हिंदू महासभा के लिए लड़ रहे हैं।

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