दिल्ली- हरिद्वार में धर्म संसद में हेट स्पीच देने के आरोपी जीतेन्द्र त्यागी उर्फ वसीम रिजवी को सुप्रीम कोर्ट ने मेडिकल ग्राउंड पर तीन महीने के लिए जमानत पर रिहा करने का आदेश दिया है।
हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने जीतेन्द्र त्यागी को कहा है कि वो निचली अदालत में एक हलफनामा दें कि वो इस दौरान इलेक्ट्रानिक/डिजिटल/सोशल मीडिया में कोई बयान नहीं देंगे।

उत्तराखंड हाईकोर्ट ने 8 मार्च को जीतेन्द्र त्यागी की जमानत अर्जी को खारिज कर दिया था, जिसके खिलाफ जीतेन्द्र त्यागी ने सुप्रीम कोर्ट में विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर जमानत की मांग की थी।
सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस अजय रस्तोगी और विक्रम नाथ की कोर्ट में पेश होते हुए उत्तराखंड राज्य की तरफ से पेश वकील ने कहा कि हेट स्पीच के मामले में जो एफआईआर दर्ज की गयी है उसमें अधिकतम 3 साल तक की सजा का प्रावधान है, अगर जितेन्द्र त्यागी सही रास्ते पर चलते हैं तो उन्हें जमानत दी जा सकती है।
“ हमको किसी भी कीमत पर सांप्रदायिक सौहार्द बना के रखना है। जीतेन्द्र त्यागी को हेट स्पीच से बचना चाहिए और अगर वो देते हैं, तो हम उन्हें गिरफ्तार करेंगे। बेल अपने आप खारिज हो जाएगी और हम सीआरपीसी की धारा 41 बी के तहत उन्हे गिरफ्तार करने के लिए स्वतंत्र है। जहां तक जीतेन्द्र त्यागी के स्वास्थ्य स्थितियों का सवाल है, वो ठीक है। उनको कुछ ह्दय से संबंधित दिक्कतें हैं। हम उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर पर जांच कर रहे हैं” राज्य सरकार की ओर से पेश वकील ने सुप्रीम कोर्ट को बताया।
सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया गया कि इसी मामले मे गिरफ्तार दूसरे सह-अभियुक्तों को जमानत मिल चुकी है।
जीतेन्द्र त्यागी को हेट स्पीच देने के मामले में 13 जनवरी को गिरफ्तार किया गया था। उन पर भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 153ए और 298 के तहत एफआईआर दर्ज की गयी थी। उत्तराखंड हाईकोर्ट की एकल पीठ के सामने दाखिल की गयी जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान कोर्ट ने टिप्पणी करते हुए कहा था कि “जीतेन्द्र त्यागी ने बहुत अपमानजनक बातें कही हैं, मुहम्मद साहब को गाली दी गयी, जिसका तात्पर्य एक संप्रदाय के लोगों की धार्मिक भावनाओं को भड़काना था, भाषणों ने नफरत फैलाई है और ये हेट स्पीच के दायरे में आता है”।
शिया वक्फ बोर्ड के पूर्व चैयरमैन वसीम रिजवी ने पिछले साल दिसम्बर में हिन्दु धर्म को अपना लिया था और अपना नाम वसीम रिजवी से बदलकर जीतेन्द्र नारायण सिंह रख लिया था।