शिवसेना के उद्धव ठाकरे गुट ने महाराष्ट्र के नवनियुक्त मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे और 15 अन्य विधायकों को विधानसभा से निलंबित करने की मांग को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। सुप्रीम कोर्ट 11 जुलाई को इस मामले पर सुनवाई करेगा।
एडवोकेट कपिल सिब्बल ने शिवसेना के चीफ़ व्हिप सुनील प्रभु की तरफ़ से इस याचिका को अर्जेंट लिस्टिंग के लिए लगाया था। जस्टिस सूर्यकांत और जस्टिस जेबी पारदीवाला की अवकाश पीठ ने बागी विधायकों की अयोग्यता को लेकर लंबित मामले के साथ इस याचिका को अटैच कर 11 जुलाई की तारीख़ दी है।
याचिका में सिब्बल ने कहा की “शिंदे पार्टी नहीं हैं, उन्होंने ने जैसे ही मुख्यमंत्री पद की शपथ ली वह पैरा 2(1) (ए) के तहत महाराष्ट्र विधान सभा के सदस्य के रूप में अयोग्य हो गए। उन्होंने ने कोर्ट को बताया कि बागी गुट का किसी पार्टी के साथ विलय नहीं हुआ है। व्हिप किस का मान्य होगा यह भी स्पष्ट नहीं है।”
सिब्बल की दलील के बाद जस्टिस सुर्यकांत कहा कि “हमने अपनी आंखें बंद नहीं की है। वह मामले से अवगत हैं और वह 11 जुलाई को इस पर विचार करेंगे।”
कपिल सिब्बल ने एकनाथ शिंदे गुट पर भाजपा के मोहरे के रूप में काम करने का आरोप लगाया। उन्होंने ने कहा कि “विद्रोह के बावजूद वह शिवसेना में उद्धव ठाकरे के नेतृत्व में बने हुए हैं।” दल बदल को संवैधानिक पाप बताते हुए कपिल सिब्बल ने कोर्ट से उन्हें सदन में भाग लेने की अनुमति नहीं दिए जाने की अपील की।