जकिया जाफ़री की याचिका ख़ारिज होने के बाद सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और आईपीएस आरबी श्रीकुमार की गिरफ्तारी पर चिंता व्यक्त करते हुए पूर्व जजों, वकीलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं सहित 300 से अधिक लोगों ने भारत के मुख्य न्यायाधीश एनवी रमना को पत्र लिखा है।
सीजेआई को स्वतः संज्ञान से यह स्पष्ट करने को कहा है कि जकिया जाफरी के फैसले का कोई प्रतिकूल परिणाम नहीं होगा। ख़त में इस गिरफ़्तारी से देश में क़ानून के शासन को लेकर एक डरावना संदेश जाने की आशंका जताई गई है।
पूर्व कांग्रेस सांसद एहसान जाफरी की पत्नी जकिया जाफ़री की याचिका ख़ारिज होने के एक दिन बाद 25 जून को तीस्ता सीतलवाड़ और आरबी श्रीकुमार को गुजरात की एटीएस टीम ने गिरफ्तार किया था। सुप्रीम कोर्ट ने जकिया जाफरी की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें 2002 के गुजरात दंगे के संबंध में विशेष जांच दल (एसआईटी) द्वारा तत्कालीन नरेंद्र मोदी व अन्य को दी गई क्लीन चिट को चुनौती दी गई थी।
CJI को लिखे खत में जकिया जाफरी की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के आधार पर गुजरात पुलिस द्वारा गिरफ्तारी को सही ठहराने पर दुःख जताया गया है। पत्र में कहा गया है कि इस कार्रवाई से ऐसा लगता है कि अगर कोई भी याचिकाकर्ता या गवाह, जो कोर्ट में जाता है, अगर उसकी याचिका खारिज होती है, तो उस पर जेल जाने का खतरा मंडराने लगेगा।
कानून के मुताबिक, किसी व्यक्ति के खिलाफ कार्रवाई नोटिस देने के बाद ही शुरू की जा सकती है। जबकि कोर्ट ने तीस्ता सीतलवाड़ और आरबी श्रीकुमार को न तो झूठी गवाही और न ही अवमानना का नोटिस जारी किया था, न ही कोर्ट ने चेतावनी दी थी।
इस ख़त पर हस्ताक्षर करने वालों में से एक दलित अधिकार कार्यकर्ता लेनिन रघुवंशी ने कार्रवाई के दौरान तय प्रक्रिया का इस्तेमाल नहीं होने पर आपत्ति जताई है। Legal Observer से बातचीत के दौरान उन्होंने ने कहा कि जकिया जाफ़री की याचिका पर सुप्रीम कोर्ट ने बहुत ही गहनता से जाँच करने के बाद फ़ैसले सुनाया है, जिसका हम पूरा सम्मान करते हैं, लेकिन किसी की गिरफ़्तारी या कार्रवाई के दौरान पुलिस को रूल ऑफ़ लॉ के जो बुनियादी मूल्य हैं, उनके तहत तय प्रक्रिया का पालन करते हुए कार्रवाई करना चाहिए था।

लेनिन रघुवंशी ने कहा कि CJI को ख़त लिखने का मक़सद यह है कि आगे किसी मामले में ऐसी स्थिति आए तो पुलिस द्वारा तय क़ानूनी प्रक्रिया के तहत कार्रवाई की जाए।
CJI को लिखे ख़त पर हस्ताक्षर करने वालों में पटना हाईकोर्ट की पूर्व जस्टिस अंजना प्रकाश, इलाहाबाद हाईकोर्ट के पूर्व जस्टिस अमर सरन, प्रख्यात वकील इंदिरा जयसिंह, सीनियर एडवोकेट आनंद ग्रोवर और संजय हेगड़े सुप्रीम कोर्ट एडवोकेट अवनी बंसल, एडवोकेट के.एस. चौहान, इतिहासकार रामचंद्र गुहा, राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा, परंजॉय गुहा ठाकुरता, नवरोज सेरवई, अंजना मिश्रा, राज्यसभा सांसद मनोज कुमार झा और कविता कृष्णन का नाम शामिल है।
नीचे पत्र की कॉपी दी गई है-




