लोगों को डरा धमका कर,प्रलोभन देकर हो रहे धर्मान्तरण को रोकने के लिए क़ानून बनाने की वकील अश्विनी उपाध्यय की याचिका पर केंद्र सरकार ने जवाब दाखिल किया।
केंद्र सरकार ने अपने हलफनामे में कहा -वो इस मसले की गम्भीरता और इसको रोकने के लिए क़ानून की ज़रूरत को समझती है।याचिका में रखी मांग को गम्भीरता से लेते हुए ज़रूरी कदम उठाएगी.जस्टिस एमआर शाह और जस्टिस सीटी रवि कुमार की बेंच में जबरन धर्मांतरण मामले पर सुनवाई शुरू की..सॉलिसीटर जनरल तुषार मेहता ने कहा कि केंद्र ने जवाब दाखिल किया है। जस्टिस एम आर शाह ने कहा कि यह बहुत ही गंभीर मसला है।
वकील संजय हेगड़े ने कहा कि ऐसी याचिका पहले तीन जजों की पीठ खारिज कर चुकी है।वकील अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि ये वकील कनवरटेड हिन्दू है।पीठ ने कहा कि मामले पर हम सुनवाई करें या कोई और, क्या फर्क पड़ता है। वकील संजय हेगड़े ने कहा कि अश्वनी एक राजनीतिक फेस है।बेंच ने संजय हेगड़े से कहा कि हम धर्मांतरण के खिलाफ नहीं है। लेकिन जबरन धर्मांतरण का मसला तो देखेंगे।
अश्वनी उपाध्याय ने कहा कि इस मामले में बहुत सारे आवेदक हैं। बेंच ने कहा हम देखेंगे। एसजी ने कहा कि कई राज्यों में इसके खिलाफ कानून है। कई में नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को डिटेल हलफनामा देने को कहा। कोर्ट ने सॉलिसिटर जनरल से कहा कि राज्यों से जानकारी लेकर डिटेल हलफनामा दाखिल करें। कोर्ट 5 दिसंबर को इस मामले में सुनवाई करेगा।