Places of Worship act के ख़िलाफ़ 8वीं याचिका दाखिल, रिटायर्ड ले॰ कर्नल ने सुप्रीम कोर्ट में दाखिल की याचिका

0
164

The Places of worship act 1991 की कुछ धाराओं की संवैधानिक वैधता को चुनौती देते हुए सुप्रीम कोर्ट में सेवानिवृत्त सेना अधिकारी अनिल काबोत्रा ​​ने एक याचिका दायर की है, इस अधिनियम के खिलाफ अब तक कुल आठ याचिकाएं दायर की जा चुकी हैं। 

18 सितम्बर 1991 को नरसिम्हा रॉव की सरकार द्वारा The Places of worship act 1991 लाया गया था। इसके ज़रिए सरकार ने 15 अगस्त, 1947 से पहले की धार्मिक स्थलों की यथास्थिति को बनाए रखने का क़ानून बनाया था।

सेवानिवृत सेना अधिकारी के अनुसार यह क़ानून सेक्यूलरिज़म के मूल सिद्धांतों का उल्लंघन करती है। उन्होंने अपने याचिका में कहा है कि ‘बर्बर आक्रमणकारियों के अवैध कृत्यों को वैध बनाने के लिए इस एक्ट का निर्माण किया गया था। 

अधिवक्ता अश्विनी कुमार दुबे के माध्यम से दायर इस याचिका में The Places of worship act 1991 की धारा 2, 3 और 4 की संवैधानिक वैधता को चुनौती दी गई है। इस याचिका के अनुसार, ”यह आर्टीकल 14, 15, 21, 25, 26, और 29 का उल्लंघन करता है। हिंदू, जैन, बौद्ध, सिख धर्म के धार्मिक ग्रंथों के अनुसार, उन्हें धर्म को मानने और प्रचार करने का अधिकार है और अनुच्छेद 13 ऐसा कोई कानून बनाने से रोकता है जो उनके अधिकारों को छीन लेता है।”

इससे पहले The Places of worship act 1991 के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में 7 याचिकाएँ डाली गई हैं। भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय, पूर्व राज्यसभा सांसद सुब्रमण्यम स्वामी, अधिवक्ता रुद्र विक्रम सिंह, धार्मिक नेता स्वामी जितेंद्रानंद सरस्वती, विश्व पुजारी पुरोहित महासंघ, एडवोकेट चंद्र्शेखर, गुरु देवकीनन्दन ठाकुर, ने इस एक्ट के ख़िलाफ़ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की है। 

हाल ही में, मुस्लिम संगठन जमीयत उलमा-ए-हिंद ने भाजपा नेता अश्विनी उपाध्याय द्वारा दायर जनहित याचिका में पक्ष बनाने की मांग को लेकर शीर्ष अदालत में याचिका दाखिल की थी। जिस पर कोर्ट ने नोटिस जारी किया था। हालाँकि अश्विनी उपाध्याय की याचिका पर अब तक कोई सुनवाई नहीं हुई है।

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here