जानिए FIR दर्ज कराने का प्रोसेस और आपके अधिकार

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हॉस्पिटल, कोर्ट और पुलिस स्टेशन, ये तीन जगह ऐसी हैं। जहाँ जीवन में एक बार ही सही लेकिन हर आदमी का पाला कभी ना कभी पड़ता ही है। थाने का नाम सुनते ही पुलिस का खौफनाक चेहरा लोगों के सामने आ जाता है। आपने सुना होगा कि पुलिस ने दबाव बनाकर FIR (First Information Report) बदल दी है या फिर पुलिस ने FIR को NCR  में बदल दिया। कभी-कभी पुलिस आम नागरिकों को कानून की कम जानकारी होने का फायदा उठाती है।

क्या आपको पता हैं आपके अधिकार

ध्यान रखें, FIR में आपका नाम, पता, तारीख और स्थान आदि के बारे में दि हुई जानकरी सही होनी चाहिए। और घटना की सच्‍ची जानकारी, तथ्‍य व शामिल व्‍यक्तियों के नाम, अन्‍य जानकारी और अगर कोई गवाह है तो उसकी जानकारी भी FIR में देनी चाहिए।

FIR दर्ज कराते समय आपको कोई भी गलत जानकारी या तथ्‍यों को बदलकर नहीं बताना है। क्यूंकी इसके लिए भारतीय दंड संहिता, 1860 के सेक्‍शन 203 के तहत 1आप पर ही कार्रवाई की जा सकती है। साथ ही इसमें कोई ऐसा बयान भी नहीं होना चाहिए, जिसके बारे में आपको पूरी जानकारी न हो।

अगर Police आपकी FIR दर्ज नहीं कर रही तो क्‍या करना चाहिए?

अगर पुलिस स्‍टेशन में आपकी FIR रजिस्टर नहीं रही है, तो आप सीनियर अधिकारियों से अपनी शिकायत लिखकर पोस्‍ट के जरिए भेज सकते हैं। जिसके  बाद मामले की जांच होगी या जांच का निर्देश दिया जाएगा। और आप चाहें तो क्षेत्र में आने वाले कोर्ट में भी इसकी शिकायत कर सकते हैं।  दिल्ली पुलिस नागरिकों को ऑनलाइन एफआईआर दर्ज करने की bhi सुविधा देती है। इसके लिए आप www.delhipolice.nic.in पर लॉगइन कर सकते हैं।

और यदि FIR दर्ज कराने के बाद भी पुलिस का एक्शन न लेना

आपके द्वारा FIR दर्ज कराने के बाद पुलिस एक्शन तब नही लेती है। जब केस बहुत गंभीर न हो या फिर पुलिस को लगे कि मामले की जांच के लिए पर्याप्‍त कारण नहीं है। हालांकि, इसके लिए भी पुलिस को रिकॉर्ड करना होता है कि वो क्‍यों इस मामले की जांच नहीं कर रहे हैं। उन्‍हें इस बारे में आपको जानकारी भी देनी होती है।

Prakher Pandey
Prakher Pandey

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