कैबिनेट मंत्री के बराबर है अटॉर्नी जनरल का रूतबा, जानिए क्या है जिम्मेदारी और कितना मिलता है वेतन

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R Venkataramani

देश के जाने माने वकील मुकुल रोहतगी ने केंद्र सरकार के प्रस्ताव को अस्वीकार कर दोबारा अटॉर्नी जनरल का पद ग्रहण करने से मना कर दिया है, हालांकि मुकुल रोहतगी पहले भी साल 2014 से 2017 तक इस पद पर रह चुके हैं। 

लेकिन क्या आप जानते हैं आखिर अटॉर्नी जनरल कौन बनता है और अटॉर्नी जनरल का क्या काम होता है. तो आज हम आपको अटॉर्नी जनरल के पद से जुड़ी खास बात बताते हैं ताकि आपको इस पद के बारे में पता चल सके.

Attorney General

आइए जानते हैं कौन बनता है अटॉर्नी जनरल?

देश का सर्वोच्च कानूनी अधिकारी जो भारत सरकार का मुख्य कानूनी सलाहकार (Legal Advisor) भी होता है. AG बनने के लिए किसी हाईकोर्ट में जज के रूप में 5 वर्ष की सेवा या फिर 10 वर्ष वकालत करने का अनुभव अनिवार्य है । भारत के अटॉर्नी जनरल (Attorney General) सुप्रीम कोर्ट में सरकार का मुख्य वकील होता है। संविधान की धारा 76 (2) के तहत वरिष्ठ वकील को राष्ट्रपति के द्वारा AG (Attorney General) नियुक्त किया जाता है और इसे हटाने का अधिकार भी सिर्फ राष्ट्रपति के पास ही होता है।

क्या होता है अटॉर्नी जनरल का काम?

भारत सरकार के मुख्य कानूनी सलाहकार के साथ ही अटॉर्नी जनरल का काम सरकार को विधि सलाह देना होता है जैसे धारा 370 में कैसे संशोधन किया जा सकता है या सरकार के बड़े फैसलों में भी कानून के आधार पर अटॉर्नी जनरल की ओर से सलाह दी जाती है। सरकार से संबं धित किसी भी कानूनी मामले में, अटॉर्नी जनरल को सुप्रीम कोर्ट में पेश होना पड़ता है। वहीं एजी को संविधान के अनुच्छेद 143 के तहत राष्ट्रपति द्वारा सुप्रीम कोर्ट में किए गए किसी भी संदर्भ में केंद्र सरकार का प्रतिनिधित्व करना होता है और यदि कोई मामला भारत सरकार से संबंधित है तो एजी को भी उच्च न्यायालय में हाजिर होना पड़ेगा है।

अटॉर्नी जनरल की सीमाएं —

बात करें सीमाओं की तो अटॉर्नी जनरल की कुछ ऐसी सीमाएं हैं, जिसे उन्हें पालन करना ही होता है। जैसे AG कभी भी भारत सरकार के खिलाफ सलाह नहीं दे सकता है। AG के पद पर बैठा वकील सरकार के खिलाफ कोई मुकदमा भी नहीं लड़ सकता है। अटॉर्नी जनरल संसद की कार्यवाही में हिस्सा ले सकते हैं, लेकिन वहीं उन्हें वोट देने का अधिकार नहीं होता है। साथ ही उनके पास संसद की किसी भी समिति में जिसमें वह सदस्य के रूप में नामांकित हो उसमे उन्हे बोलने का अधिकार भी होता है। AG उन सभी विशेषाधिकारों और प्रतिरक्षाओं को प्राप्त करता है जो संसद के एक सदस्य के लिए उपलब्ध होतीं है| हालांकि, उनके कार्य की कई सीमाएं भी होती हैं, जैसे अटॉर्नी जनरल अपनी राय को सरकार पर थोप नहीं सकते और कानूनी पहलू के बारे में वे जानकारी देते हैं। AG का कोई निश्चित कार्यकाल नहीं होता है। आपको बात दें देश के पहले एजी एम सी सीतलवाड़ थे, जिनका कार्यकाल सबसे लंबा भी था. वे 28 जनवरी 1950 से 1 मार्च 1963 तक एजी रहे थे।

जानते हैं अटॉर्नी जनरल को मिलने वाली सैलरी व सुविधाएं–

आपको बात दें सुप्रीम कोर्ट के सभी जजों की तरह अटॉर्नी जनरल को भी 2.50 लाख रुपये प्रतिमाह सैलरी मिलती है। इसके अलावा उनकी तरह ही इन्‍हें भी सत्कार भत्‍ते के रूप में 34,000 रुपये प्रतिमाह मिलता है साथ ही इन्‍हें कई तरह की भी सुविधाएं मिलती हैं। जिसमें आवास, सिक्योरिटी, कार, कर्मचारी, बिल पेमेंट आदि की सुविधा दी जाती है।

Prakher Pandey
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