सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि साल2012 की एक जमानत याचिका इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है जबकि इस दौरान हाईकोर्ट में 1980 की अपील सुनी जा रही हैं, साथ ही 12 साल से जेल में बंद याचिकाकर्ता को जमानत अभी भी लंबित पड़ी हुई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा यह एक निराशानजनक स्थिति है।

दिल्ली- सालों से जेल में रहे रहे कैदियों की रिहाई को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ये एक दुखद स्थिति है कि जो 16 साल से जेल में बंद हैं उनकी जमानत पर हाईकोर्ट में सुनवाई नहीं हो पा रही है, साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने स्थिति को निराशाजनक बताते हुए आश्चर्य व्यक्त किया कि पिछले 25 दिनों से इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में आपराधिक अपीलों की सुनवाई नहीं हो रही है। सुप्रीम कोर्ट ने ये बातें एक आपराधिक अपील की सुनवाई के दौरान कही जिसे इलाहाबाद हाईकोर्ट ने जमानत देने से इंकार कर दिया था जो कि 12 साल से जेल में बंद है।

स्थिति निराशाजनक- सुप्रीम कोर्ट
12 साल से जेल में बंद और जमानत खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट पहुंचे एक याचिकाकर्ता की अपील पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाईकोर्ट की स्थिति ये है कि साल 1980 की अपीलों पर 2022 में सुनवाई की जा रहीं हैं। याचिकाकर्ता की तरफ से बताया गया है कि जेलों में ऐसे बहुत से कैदी रह रहे हैं जो 16 साल से ज्यादा की सजा काट चुके हैं, फिर भी उन्हें जमानत देने से इंकार किया जा रहा है। सुप्रीम कोर्ट को ये भी बताया गया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में पिछले25 दिनों से आपराधिक अपीलों पर सुनवाई नहीं हो पा रही है। सुप्रीम कोर्ट ने 12 साल से जेल में बंद याचिकाकर्ता की जमानत मंजूर करते हुए हाईकोर्ट की स्थिति पर चिंता जताते हुए कहा कि ये निराशाजनक स्थिति है।
आंकड़े बताये लखनऊ हाईकोर्ट- सुप्रीम कोर्ट
जमानत याचिकाओं की सुनवाई न होने को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच के रजिस्ट्रार को 4 हफ्ते में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा है जिसमें कितने बैंचों की कमी हो रही है और आपराधिक मामलों की सुनवाई के लिए गठित बैंच पिछले 25 दिनों से सुनवाई क्यों नहीं कर पा रही हैं।
जेल में बंद लोगों पर सुप्रीम कोर्ट ने मांगी थी रिपोर्ट
इससे पहले सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एस के कौल ने निर्देश जारी करते हुए उन लोगों की सूची तैयार करने को कहा था जो कि 14 साल से ज्यादा कैद की सजा काट चुके हैं साथ ही वो लोग भी जो 10 साल से ज्यादा जेलों में बंद हैं और उनके मामलों की सुनवाई नहीं हो पा रही है।