
लंदन के ऐतिहासिक ‘ग्रेज इन’ में आयोजित एक विशेष व्याख्यान में, भारत के CJI B R Gavai ने भारतीय संविधान के 75 वर्षों की यात्रा पर प्रकाश डाला और डॉ. बी. आर. आंबेडकर की विरासत को सम्मानित किया।
भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ पर विशेष व्याख्यान
गुरुवार शाम लंदन के ‘ग्रेज इन’ में आयोजित कार्यक्रम में, CJI B R Gavai ने भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में एक विशेष व्याख्यान दिया। यह वही स्थान है जहां डॉ. आंबेडकर ने लगभग एक सदी पहले बैरिस्टर की डिग्री प्राप्त की थी। गवई ने कहा कि आज भारत में वंचित समुदायों के प्रतिनिधि सर्वोच्च संवैधानिक पदों पर आसीन हैं, जो डॉ. आंबेडकर के समानता, स्वतंत्रता, न्याय और बंधुत्व के दृष्टिकोण का प्रतीक है।
🧒 “मैं भारत का नागरिक बना, न कि अछूत”
CJI B R Gavai ने अपने व्यक्तिगत अनुभव साझा करते हुए कहा, “मैं 1960 में पैदा हुआ था, डॉ. आंबेडकर के निधन के चार साल बाद। मैं भारत का नागरिक बना, न कि अछूत। मेरे घर में डॉ. आंबेडकर की उपस्थिति हमेशा महसूस की जाती थी। छोटी उम्र से ही मैं उनकी हिम्मत, बुद्धिमत्ता और समानता से जुड़ी कहानियां सुनता था। ये कहानियां मेरे मूल्यों, दृष्टिकोण और उद्देश्य का हिस्सा बन गईं।”
👨⚖️ न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता
CJI B R Gavai ने न्यायपालिका की स्वतंत्रता और पारदर्शिता पर जोर देते हुए कहा कि रिटायरमेंट के बाद जजों का सरकारी पद स्वीकार करना न्यायपालिका की ईमानदारी पर सवाल उठाता है। उन्होंने यह भी स्वीकार किया कि कॉलेजियम सिस्टम में खामियां हैं, लेकिन सुधार ऐसे होने चाहिए जो न्यायपालिका की स्वतंत्रता को प्रभावित न करे
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🏛️ डॉ. आंबेडकर की विरासत
डॉ. बी. आर. आंबेडकर को याद करते हुए, सीजेआई गवई ने कहा कि वह न केवल संविधान के मुख्य शिल्पकार थे, बल्कि सामाजिक न्याय के महान सुधारक भी थे। उन्होंने समाज के कमजोर वर्गों के अधिकारों की सुरक्षा और राष्ट्रीय एकता के संरक्षण को सुनिश्चित करने के लिए लोकतंत्र, धर्मनिरपेक्षता और संवैधानिकता के सिद्धांतों को बनाए रखने पर जोर दिया।
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