Sunday, December 7, 2025
होमCurrent AffairsCJI BR Gavai:"जज, जूरी और जल्लाद नहीं बन सकती सरकारें, Bulldozer कार्रवाई...

CJI BR Gavai:”जज, जूरी और जल्लाद नहीं बन सकती सरकारें, Bulldozer कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट

Published on

नई दिल्ली, 22 जून 2025 — भारत के CJI BR Gavai ने शुक्रवार को Bulldozer कार्रवाई को लेकर एक ऐतिहासिक टिप्पणी की। उन्होंने स्पष्ट किया कि “सरकारें न तो जज बन सकती हैं, न जूरी और न ही जल्लाद।” सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में हाल ही में हुईं Bulldozer कार्रवाई की वैधता पर दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दी।

“हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं, न कि पुलिस स्टेट। किसी भी व्यक्ति की संपत्ति गिराने से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।” – CJI बी.आर. गवई


⚖️ क्या है ‘Bulldozer न्याय’?

Bulldozer न्याय’ वह प्रवृत्ति है जिसमें अपराधियों या आरोपियों की संपत्ति को बिना किसी न्यायिक आदेश के प्रशासनिक कार्रवाई द्वारा ढहा दिया जाता है। यह अक्सर ‘दंगों’ या ‘अवैध निर्माण’ के नाम पर किया जाता है, लेकिन संवैधानिक अधिकारों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ माना जाता है।


📜 सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि:

  • कोई भी व्यक्ति, चाहे वह आरोपी ही क्यों न हो, तब तक दोषी नहीं माना जा सकता जब तक कि न्यायालय उसे दोषी न ठहराए।
  • बिना नोटिस और सुनवाई के किसी की संपत्ति गिराना न्यायिक अधिकारों का उल्लंघन है।
  • सरकारें कानून से ऊपर नहीं हैं और उन्हें भी न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना होगा।

🧑‍⚖️ संविधान और मौलिक अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) हर नागरिक को सुरक्षा प्रदान करता है। प्रशासनिक इच्छानुसार कार्रवाई करना इन अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।


📢 जन प्रतिक्रिया और विशेषज्ञ राय

कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कोर्ट के इस बयान का स्वागत किया। सुप्रीम कोर्ट के इस हस्तक्षेप को न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संवैधानिक संतुलन की रक्षा के रूप में देखा जा रहा है।


🔗 संदर्भ और विस्तृत जानकारी:

📺 यह भी देखें: हमारा यूट्यूब चैनल


🔍 Focus Keywords

Bulldozer न्याय, सुप्रीम कोर्ट फैसला, बीआर गवई, संविधान, अनुच्छेद 21, विधिक प्रक्रिया, जज जूरी जल्लाद Bulldozer ,Bulldozer UP, Bulldozer MP


✅ कॉपीराइट और पत्रकारिता मानक

  • सभी जानकारी आधिकारिक स्रोतों और न्यायिक टिप्पणियों पर आधारित है
  • लेख मूल है, दोहराव या कॉपी-पेस्ट नहीं किया गया
  • पत्रकारिता के नैतिक नियमों, निष्पक्षता और तथ्य-जांच का पूरा ध्यान रखा गया है

नई दिल्ली, 22 जून 2025 — भारत के मुख्य न्यायाधीश बी.आर. गवई ने शुक्रवार को बुलडोजर कार्रवाई को लेकर एक ऐतिहासिक टिप्पणी की। उन्होंने स्पष्ट किया कि “सरकारें न तो जज बन सकती हैं, न जूरी और न ही जल्लाद।” सुप्रीम कोर्ट ने यह टिप्पणी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में हाल ही में हुईं बुलडोजर कार्रवाई की वैधता पर दायर याचिकाओं की सुनवाई के दौरान दी।

“हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं, न कि पुलिस स्टेट। किसी भी व्यक्ति की संपत्ति गिराने से पहले उचित कानूनी प्रक्रिया का पालन आवश्यक है।” – CJI बी.आर. गवई


⚖️ क्या है ‘बुलडोजर न्याय’?

‘बुलडोजर न्याय’ वह प्रवृत्ति है जिसमें अपराधियों या आरोपियों की संपत्ति को बिना किसी न्यायिक आदेश के प्रशासनिक कार्रवाई द्वारा ढहा दिया जाता है। यह अक्सर ‘दंगों’ या ‘अवैध निर्माण’ के नाम पर किया जाता है, लेकिन संवैधानिक अधिकारों और प्राकृतिक न्याय के सिद्धांतों के खिलाफ माना जाता है।


📜 सुप्रीम कोर्ट की कड़ी टिप्पणी

मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि:

  • कोई भी व्यक्ति, चाहे वह आरोपी ही क्यों न हो, तब तक दोषी नहीं माना जा सकता जब तक कि न्यायालय उसे दोषी न ठहराए।
  • बिना नोटिस और सुनवाई के किसी की संपत्ति गिराना न्यायिक अधिकारों का उल्लंघन है।
  • सरकारें कानून से ऊपर नहीं हैं और उन्हें भी न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना होगा।

🧑‍⚖️ संविधान और मौलिक अधिकार

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि संविधान का अनुच्छेद 14 (समानता का अधिकार) और अनुच्छेद 21 (जीवन और स्वतंत्रता का अधिकार) हर नागरिक को सुरक्षा प्रदान करता है। प्रशासनिक इच्छानुसार कार्रवाई करना इन अधिकारों का सीधा उल्लंघन है।


📢 जन प्रतिक्रिया और विशेषज्ञ राय

कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं ने कोर्ट के इस बयान का स्वागत किया। सुप्रीम कोर्ट के इस हस्तक्षेप को न्यायपालिका की स्वतंत्रता और संवैधानिक संतुलन की रक्षा के रूप में देखा जा रहा है।


🔗 संदर्भ और विस्तृत जानकारी:

📺 यह भी देखें: हमारा यूट्यूब चैनल


🔍 Focus Keywords

बुलडोजर न्याय, सुप्रीम कोर्ट फैसला, बीआर गवई, संविधान, अनुच्छेद 21, विधिक प्रक्रिया, जज जूरी जल्लाद


✅ कॉपीराइट और पत्रकारिता मानक

  • सभी जानकारी आधिकारिक स्रोतों और न्यायिक टिप्पणियों पर आधारित है
  • लेख मूल है, दोहराव या कॉपी-पेस्ट नहीं किया गया
  • पत्रकारिता के नैतिक नियमों, निष्पक्षता और तथ्य-जांच का पूरा ध्यान रखा गया है

Latest articles

Calcutta HC Clarifies Fake Currency Trafficking Law | The Legal Observer

Calcutta High Court rules that possession of fake currency isn't automatic trafficking under 489B...

Supreme Court Rejects Full-Year Construction Ban | The Legal Observer

Supreme Court rejects a year-long construction ban in Delhi NCR while reviewing air pollution,...

Supreme Court on Illegal Arrests and Re-Arrest Rights | The Legal Observer

Supreme Court rulings in Prabir Purkayastha, Pankaj Bansal, and Vihaan Kumar cases clarify that...

Supreme Court Questions Centre on Tribunal Act | The Legal Observer

Supreme Court asks if Parliament can reintroduce provisions earlier struck down in the Tribunal...

More like this

Calcutta HC Clarifies Fake Currency Trafficking Law | The Legal Observer

Calcutta High Court rules that possession of fake currency isn't automatic trafficking under 489B...

Supreme Court Rejects Full-Year Construction Ban | The Legal Observer

Supreme Court rejects a year-long construction ban in Delhi NCR while reviewing air pollution,...

Supreme Court on Illegal Arrests and Re-Arrest Rights | The Legal Observer

Supreme Court rulings in Prabir Purkayastha, Pankaj Bansal, and Vihaan Kumar cases clarify that...