
SC Judgements: महिला वायुसेना अफसर को सेवा में बहाल करने का आदेश
जनवरी की शुरुआत में सुप्रीम कोर्ट ने भारतीय वायुसेना की एक महिला विंग कमांडर को सेवा में बनाए रखने का ऐतिहासिक फैसला दिया। यह अधिकारी ऑपरेशन सिंदूर और बालाकोट एयरस्ट्राइक जैसे अहम मिशनों में शामिल रही थीं। अदालत ने कहा,
“राष्ट्र की सेवा करने वाली महिला अधिकारियों को अवसरों से वंचित नहीं किया जा सकता।”
यह निर्णय लैंगिक समानता की दिशा में एक अहम कदम माना गया। महिला अधिकारों के दृष्टिकोण से यह फैसला प्रेरणादायक है।
SC Judgements: न्यायपालिका में पारदर्शिता: न्यायाधीशों की संपत्ति का खुलासा
जनवरी में भारत के मुख्य न्यायाधीश संजीव खन्ना और नव नियुक्त CJI बी.आर. गवई सहित कई सुप्रीम कोर्ट जजों ने सार्वजनिक रूप से अपनी संपत्तियों का विवरण साझा किया। यह न्यायिक जवाबदेही और पारदर्शिता की दिशा में एक सराहनीय पहल रही।
CJI बी.आर. गवई द्वारा दलित समुदाय से पहले CJI बनने के साथ यह पहल और भी अधिक ऐतिहासिक बन गई।
SC Judgements:नोएडा भूमि अधिग्रहण: पूरी मुआवज़ा राशि देने का आदेश
सुप्रीम कोर्ट ने नोएडा अथॉरिटी को 10,420 वर्ग मीटर ज़मीन के अधिग्रहण पर किसानों को पूरा मुआवज़ा देने का आदेश दिया। अदालत ने कहा कि
“किसी भी विकास परियोजना की कीमत किसानों के अधिकारों को कुचल कर नहीं चुकाई जा सकती।”
यह फैसला भूमि अधिग्रहण मामलों में न्याय का नया मानक स्थापित करता है। राष्ट्रीय खबरों की दृष्टि से यह निर्णय बेहद अहम रहा।
गिरफ्तारी पर सुप्रीम कोर्ट की सख्ती: ‘गाइडलाइंस नहीं मानने पर अवमानना’
जनवरी में एक याचिका की सुनवाई में सुप्रीम कोर्ट ने राज्यों के DGPs को स्पष्ट चेतावनी दी कि यदि पुलिस गिरफ्तारी से जुड़ी कोर्ट की पूर्व गाइडलाइंस का पालन नहीं करती है, तो अवमानना की कार्रवाई की जाएगी। अदालत ने कहा,
“अवैध गिरफ़्तारी नागरिक अधिकारों का घोर उल्लंघन है।”
यह फैसला आरोपियों के अधिकार की रक्षा और पुलिस सुधार की दिशा में मील का पत्थर साबित हो सकता है।
SC Judgements:न्यायिक सेवा में आरक्षण पर केंद्र को नोटिस
सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र सरकार से पूछा कि उच्च न्यायिक सेवाओं में अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग को उचित आरक्षण क्यों नहीं दिया जा रहा। कोर्ट ने कहा कि
“न्यायपालिका में विविधता लोकतंत्र की आत्मा है।”
यह निर्णय न्यायिक प्रतिनिधित्व और समान अवसर की मांग को बल देता है।
निष्कर्ष
जनवरी 2025 में सुप्रीम कोर्ट के फैसलों ने न केवल नागरिक अधिकारों की रक्षा की बल्कि न्यायपालिका की जवाबदेही और पारदर्शिता को भी मज़बूती दी। महिला सशक्तिकरण, भूमि अधिकार, न्यायिक सेवा में विविधता और अवैध गिरफ़्तारियों पर अदालत की टिप्पणियां लोकतंत्र को और मज़बूत बनाती हैं।
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