नई दिल्ली, 21 जून 2025 – उपराष्ट्रपति Jagdeep Dhankhar ने शुक्रवार को एक कार्यक्रम में बोलते हुए भारत के न्यायिक इतिहास के सबसे विवादास्पद क्षण — 1975 के आपातकाल — के दौरान दिए गए ADM जबलपुर बनाम शिवकांत शुक्ला फैसले की कड़ी आलोचना की। उन्होंने इस फैसले को “दुनिया के न्यायिक इतिहास का सबसे काला निर्णय” कहा।
“यह वह समय था जब भारत की न्यायपालिका को संविधान की आत्मा की रक्षा करनी थी, लेकिन उसने आत्मसमर्पण कर दिया,” – उपराष्ट्रपति Jagdeep Dhankhar।
⚖️ ADM जबलपुर केस: क्यों है विवादास्पद?
इस केस में सुप्रीम कोर्ट ने यह निर्णय दिया था कि आपातकाल के दौरान नागरिकों के मौलिक अधिकारों को निलंबित किया जा सकता है, जिसमें हबीयस कॉर्पस (हिरासत में लिए गए व्यक्ति को अदालत में पेश करने का अधिकार) भी शामिल था।
यह फैसला 4:1 बहुमत से दिया गया था, और केवल न्यायमूर्ति हंसराज खन्ना ने विरोध में मत दिया। वर्षों से इस निर्णय की व्यापक आलोचना होती रही है और इसे भारत की न्यायिक स्वतंत्रता पर एक दाग के रूप में देखा जाता है।
🗣️ उपराष्ट्रपति Jagdeep Dhankhar का संदेश
धनखड़ ने कहा कि “इस फैसले के ज़रिए न्यायपालिका ने लोकतंत्र को उस वक्त धोखा दिया, जब उससे सबसे ज़्यादा उम्मीद थी।” उन्होंने युवा पीढ़ी से आग्रह किया कि वे ऐसे क्षणों से सीखें और संवैधानिक मूल्यों और अधिकारों की रक्षा करें।
🧑⚖️ कानूनी और सामाजिक प्रतिक्रिया
कई वरिष्ठ अधिवक्ताओं और संवैधानिक विशेषज्ञों ने उपराष्ट्रपति के बयान का स्वागत किया और इसे “वास्तविकता का सामना करने वाला” बताया। साथ ही उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि न्यायपालिका भी अतीत की गलतियों को स्वीकार करे और आत्मनिरीक्षण करे।
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