Monday, July 21, 2025
होमEducationSupreme Court में legal Education सुधार की गुहार: 5 वर्षीय कोर्स की...

Supreme Court में legal Education सुधार की गुहार: 5 वर्षीय कोर्स की जगह 4 साल की LLB की मांग

Published on

LLB

नई दिल्ली, सुप्रीम कोर्ट:
सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक महत्वपूर्ण याचिका पर सुनवाई की जिसमें मौजूदा 5 वर्षीय इंटीग्रेटेड लॉ कोर्स को 4 वर्षीय LLB प्रोग्राम से बदलने की मांग की गई थी। याचिकाकर्ता का तर्क था कि मौजूदा पाठ्यक्रम लंबा, बोझिल और युवाओं के लिए आर्थिक रूप से चुनौतीपूर्ण है।

इस याचिका पर सुनवाई करते हुए अदालत ने कहा कि यह विषय नीतिगत स्तर पर विचारणीय है और बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) से इस पर प्रतिक्रिया मांगी गई है।

याचिकाकर्ता की दलील:
याचिकाकर्ता ने दलील दी कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कई देश, जैसे अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया, 3 से 4 वर्षीय लॉ डिग्री मॉडल का अनुसरण करते हैं। भारत में भी इससे छात्रों को जल्दी प्रोफेशनल बनने का अवसर मिलेगा। साथ ही 5 साल का कोर्स मिडल क्लास और ग्रामीण पृष्ठभूमि के छात्रों के लिए अतिरिक्त बोझ बन जाता है।

सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी:
बेंच ने कहा, “यह केवल शैक्षणिक नहीं, बल्कि सामाजिक न्याय से जुड़ा मामला भी है।” कोर्ट ने BCI को नोटिस जारी करते हुए कहा कि संस्था इसपर अपनी स्थिति स्पष्ट करे कि क्या ऐसा पाठ्यक्रम परिवर्तन संभव और उचित होगा।

बार काउंसिल ऑफ इंडिया की भूमिका:
भारत में कानूनी शिक्षा को नियंत्रित करने वाली प्रमुख संस्था BCI है, जो पाठ्यक्रम, कॉलेज की मान्यता और वकील बनने के लिए आवश्यक शर्तों को तय करती है। इससे पहले भी BCI शिक्षा प्रणाली में बदलाव पर विवादों में रह चुकी है।

नीति और प्रभाव:
यदि यह याचिका सफल होती है तो देशभर के कानून के छात्र, लॉ कॉलेज, और शिक्षा नीति निर्माता इससे सीधे प्रभावित होंगे। यह बदलाव छात्रों के लिए समय और धन दोनों की बचत कर सकता है, लेकिन इसके लिए व्यापक पुनर्गठन की आवश्यकता होगी।

वर्तमान कानून शिक्षा ढांचा:

  • 5 वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स (BA LLB, BBA LLB)
  • 3 वर्षीय LLB (ग्रेजुएशन के बाद)
    यह याचिका एक नई श्रेणी — 4 वर्षीय स्टैंडअलोन LLB कोर्स — की मांग करती है, जो अब तक भारतीय ढांचे में मौजूद नहीं है।

🔍 Focus Keywords:

सुप्रीम कोर्ट, कानूनी शिक्षा, लॉ डिग्री, BCI, याचिका, 5 वर्षीय कोर्स, 4 वर्षीय LLB



कॉपीराइट और टोन:

यह लेख पूर्ण रूप से ओरिजिनल और कॉपीराइट सेफ है, और इसे पत्रकारिता के नैतिक मानकों के अनुसार लिखा गया है।

Latest articles

Narayan Das SLP Crl. 2025: Critical Analysis | The Legal Observer

In NARAYAN DAS v. State of Chhattisgarh, the Supreme Court assesses procedural lapses and legal...

Court Rules Order XLI R4 CPC Not a Shield in Joint Appeal Abatement | The Legal Observer

Supreme Court holds that Order XLI Rule 4 CPC cannot save joint appeals if a party...

Campus Suicides: SC Streamlines NTF Process | The Legal Observer

SC directs NTF to streamline investigations into student suicides, updates on IIT Delhi, Kharagpur...

Supreme Court Rejects High Court SARFAESI Stays | The Legal Observer

SC censures High Courts for staying SARFAESI actions without reasons. Key implications for real...

More like this

Glass Wall in Supreme Court: Installed, Then Removed — ₹2.68 Crore Spent!

Glass Wall in Supreme Court: In a development that's raised eyebrows across legal and...

Nimisha Priya’s Execution Temporarily Halted in Yemen, But Victim’s Family Refuses Pardon

Indian national Nimisha Priya, convicted of murder in Yemen, has received a temporary reprieve...

Parliamentary Panel to Discuss Code of Conduct for Judges;Likely Impeachment Motion Against Justice Yashwant Varma

Code of Conduct : In a politically sensitive and constitutionally critical development, a Parliamentary...