Monday, June 2, 2025

CJI on Summer Vacation:वकील गर्मी की छुट्टियों में नहीं करना चाहते काम, लेकिन आलोचना जजों की

इस बार सुप्रीम कोर्ट ने 26 मई से 13 जुलाई तक की गर्मी की छुट्टियों को आंशिक न्यायिक कार्य दिवस के रूप में घोषित किया है। इस दौरान 2 से 5 पीठें काम करती रहेंगी, जिसमें खुद सीजेआई और शीर्ष पांच जज शामिल हैं

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CJI on Summer Vacation

CJI on Summer Vacation:सुप्रीम कोर्ट में गर्मी की छुट्टियों को लेकर लंबे समय से चर्चा और विवाद चलता आ रहा है। अदालतों की छुट्टियों के दौरान न्यायिक कार्य बंद होने पर अक्सर जजों को ‘आराम पसंद’ बताया जाता है। लेकिन इस बार देश के नए मुख्य न्यायाधीश (CJI) जस्टिस बीआर गवई ने आलोचकों को करारा जवाब दिया है। उन्होंने कहा कि जब वकील खुद गर्मियों में काम नहीं करना चाहते, तो फिर न्यायाधीशों को दोष क्यों दिया जाता है?


🔹 CJI गवई का तीखा बयान

मुख्य न्यायाधीश बीआर गवई ने यह टिप्पणी सुप्रीम कोर्ट में एक नियमित सुनवाई के दौरान की। उन्होंने कहा:

“हम पर आरोप लगाया जाता है कि हम छुट्टियों में काम नहीं करते। पर जब वकीलों से पूछा जाए कि क्या वे गर्मी की छुट्टियों में सुनवाई चाहते हैं, तो उनका जवाब होता है – ‘नहीं’। फिर दोष केवल जजों को क्यों?”

CJI गवई के इस बयान ने न्यायपालिका में कार्य संस्कृति को लेकर चल रही बहस को एक नई दिशा दे दी है।


🔹 छुट्टियों पर सुप्रीम कोर्ट का पक्ष

CJI on Summer Vacation:सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट की गर्मी की छुट्टियाँ हर साल मई-जून में लगभग 45 से 50 दिनों की होती हैं। हालांकि, इस दौरान कुछ विशेष बेंच (vacation benches) कार्यरत रहती हैं, जो अर्जेंट मामलों की सुनवाई करती हैं। फिर भी, न्यायिक छुट्टियों को लेकर अक्सर मीडिया, सोशल मीडिया और सिविल सोसाइटी से आलोचना होती रही है।इस बार सुप्रीम कोर्ट ने 26 मई से 13 जुलाई तक की गर्मी की छुट्टियों को आंशिक न्यायिक कार्य दिवस के रूप में घोषित किया है। इस दौरान 2 से 5 पीठें काम करती रहेंगी, जिसमें खुद सीजेआई और शीर्ष पांच जज शामिल हैं


🔹 वकीलों का नजरिया: क्या छुट्टियों में सुनवाई वाजिब है?

CJI on Summer Vacation : इस बयान के बाद यह भी जरूरी हो गया है कि वकीलों का नजरिया सामने लाया जाए। सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और अन्य वरिष्ठ अधिवक्ता पहले भी कह चुके हैं कि छुट्टियों के दौरान कई वकील छुट्टी पर रहते हैं, कोर्ट की कार्यवाही का दबाव कम होता है, और यह ब्रेक एक मानसिक विश्राम देता है।

वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने 2023 में एक इंटरव्यू में कहा था:

“न्यायिक अवकाश जरूरी हैं। न्यायाधीश और वकील दोनों ही लगातार मानसिक तनाव में रहते हैं। कुछ सप्ताह का ब्रेक जरूरी है।”


🔹 आंकड़ों से समझिए न्यायपालिका की स्थिति

  • लंबित मामलों की संख्या (2024): भारत में सभी स्तर की अदालतों में 4.9 करोड़ से अधिक मामले लंबित हैं।
  • सुप्रीम कोर्ट में लंबित मामले: लगभग 72,000
  • जज-पॉपुलेशन अनुपात: भारत में प्रति 10 लाख जनसंख्या पर केवल 21 जज, जबकि लॉ कमीशन की सिफारिश 50 जज की है।

इन आंकड़ों के कारण भी यह सवाल उठता है कि क्या छुट्टियों का मौजूदा ढांचा जारी रहना चाहिए या इसमें बदलाव किया जाना चाहिए?


🔹 छुट्टियों के दौरान क्या वाकई काम नहीं होता?

CJI on Summer Vacation:यह धारणा भी गलत है कि न्यायाधीश पूरी गर्मी की छुट्टियों में कोई काम नहीं करते। कुछ तथ्य:

  • सुप्रीम कोर्ट और हाई कोर्ट में vacation benches गठित की जाती हैं।
  • अर्जेंट मामलों जैसे जमानत, स्टे और हैबियस कॉर्पस याचिकाओं की सुनवाई होती रहती है।
  • न्यायाधीश छुट्टियों के दौरान भी लंबित मामलों के फैसलों को लिखते हैं, स्टडी करते हैं और केस लॉ का विश्लेषण करते हैं।

🔹 बार और बेंच को मिलकर हल निकालना होगा

CJI on Summer Vacation:CJI गवई का बयान यह साफ करता है कि छुट्टियों को लेकर सिर्फ न्यायपालिका को दोष देना सही नहीं है। अगर वकील खुद इस अवधि में काम करने के लिए तैयार नहीं हैं, तो न्यायाधीशों से इसकी अपेक्षा क्यों?

बार काउंसिल ऑफ इंडिया, सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन और अन्य निकायों को इस मुद्दे पर एक संयुक्त नीति पर विचार करना चाहिए। हो सकता है कि भविष्य में छुट्टियों की अवधि को घटाकर कार्यदिवस बढ़ाए जाएं, या रोटेशन प्रणाली अपनाई जाए जिससे अदालतें निरंतर चल सकें।


🔹 निष्कर्ष

CJI on Summer Vacation:CJI गवई का यह बयान केवल व्यक्तिगत प्रतिक्रिया नहीं, बल्कि पूरे न्यायिक सिस्टम की चिंताओं को उजागर करता है। लंबे समय से न्यायपालिका को ‘छुट्टियों में आराम करने वाला संस्थान’ कहकर जो आलोचना की जाती रही है, उस पर अब संतुलित और तथ्य आधारित विमर्श की आवश्यकता है।


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आंतरिक लिंक सुझाव:


बाहरी लिंक (YouTube):
देखें CJI गवई का बयान वीडियो में CJI on Summer Vacation


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