Sunday, June 1, 2025
होमCurrent Affairs'This is not remorse, this is hypocrisy': Supreme Court flatly rejects Vijay...

‘This is not remorse, this is hypocrisy’: Supreme Court flatly rejects Vijay Shah’s apology

Published on

Vijay Shah

सुप्रीम कोर्ट ने हाल ही में सेना की वरिष्ठ महिला अधिकारी कर्नल सोफिया कुरैशी पर विवादास्पद टिप्पणी करने वाले Vijay Shah को आड़े हाथों लिया है। विजय शाह की ओर से दाख़िल माफ़ीनामे को कोर्ट ने खारिज करते हुए कहा कि यह ‘These are crocodile tears’ हैं और यह अदालत की गरिमा को ठेस पहुंचाने वाला व्यवहार है।

CJI बी.आर. गवई और Justice संजय करोल की पीठ ने टिप्पणी की,

“यह माफ़ीनामा दिखावे के लिए है, न कि वास्तविक पछतावे का परिणाम। अदालत को अपमानित करने वालों को कानून बख्शता नहीं है।”

Vijay Shah पर मामला क्या है?

Vijay Shah ने कर्नल सोफिया कुरैशी, जो पहली भारतीय महिला हैं जिन्होंने पुरुष टुकड़ी का नेतृत्व किया था, पर सार्वजनिक मंच से बेहद आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग किया था। इस पर स्वतः संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने अवमानना की कार्यवाही शुरू की थी।

माफी मांगने के बावजूद अदालत सख्त

Vijay Shah ने अपने बयान पर खेद जताते हुए सुप्रीम कोर्ट में शपथ-पत्र दाखिल कर माफी मांगी थी। लेकिन न्यायालय ने इसे “देर से आया और रणनीति से प्रेरित” बताते हुए अस्वीकार कर दिया।

पीठ ने कहा,

“हमारा दायित्व है कि हम सेना के अधिकारियों की प्रतिष्ठा और गरिमा की रक्षा करें। इस तरह के बयान राष्ट्रविरोधी मानसिकता को जन्म देते हैं।”

अदालत का अवमानना पर रुख सख्त

सुप्रीम कोर्ट ने हाल के वर्षों में ऐसे मामलों पर कठोर रुख अपनाया है, जहाँ न केवल अदालत बल्कि अन्य संस्थाओं जैसे सेना, पुलिस, और कार्यपालिका की प्रतिष्ठा पर चोट पहुंचाने की कोशिश की गई हो।

यह फैसला एक स्पष्ट संदेश देता है कि

  • संविधान प्रदत्त स्वतंत्रता का दुरुपयोग नहीं किया जा सकता
  • गैर-जिम्मेदाराना वक्तव्यों से बचा जाना चाहिए

सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया

इस मुद्दे को लेकर सोशल मीडिया पर भी तीखी प्रतिक्रिया देखने को मिली है। कई रिटायर्ड सेना अधिकारियों और महिला अधिकार संगठनों ने सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का समर्थन किया है। एक ट्विटर यूज़र ने लिखा,

“इस तरह की बयानबाज़ी पर सख़्त कार्रवाई ज़रूरी थी, ये सिर्फ़ एक महिला पर नहीं, पूरे सैन्य संस्थान पर हमला है।”

गौरतलब है कि Supreme Court पहले भी कई मामलों में चेतावनी दे चुका है कि ‘न्यायपालिका, सेना और संवैधानिक संस्थाओं पर हमले’ लोकतंत्र को कमजोर करते हैं और ऐसे मामलों में दंडात्मक कार्रवाई अनिवार्य है।

क्या होगा आगे?

कोर्ट ने अब Vijay Shah को कड़ी चेतावनी देते हुए अगली सुनवाई में वास्तविक पश्चात्ताप के ठोस प्रमाण पेश करने के लिए कहा है। यदि ऐसा नहीं हुआ, तो उन्हें कड़ी सज़ा का सामना करना पड़ सकता है, जिसमें जेल भी शामिल हो सकती है।


निष्कर्ष

सुप्रीम कोर्ट की यह कार्यवाही स्पष्ट करती है कि ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता’ का मतलब किसी की गरिमा पर हमला नहीं है। कर्नल सोफिया कुरैशी जैसी महिला अधिकारियों पर की गई अमर्यादित टिप्पणी को न सिर्फ़ न्यायालय ने गंभीरता से लिया, बल्कि एक उदाहरण भी पेश किया कि सार्वजनिक जीवन में शब्दों की मर्यादा कितनी महत्वपूर्ण है।


📌 और खबरें पढ़ें: Legal Observer की ताज़ा ख़बरें

📺 संबंधित वीडियो देखें: The Legal Observer YouTube Channel


✅ Focus Keywords Used:

  • Supreme Court, Vijay Shah,कर्नल सोफिया कुरैशी,आपत्तिजनक टिप्पणी,अवमानना,सेना की गरिमा

Latest articles

Meet Justices NV Anjaria, Vijay Bishnoi & AS Chandurkar: Supreme Court’s Newest Appointments

The Supreme Court welcomed three new judges – Justices NV Anjaria, Vijay Bishnoi and...

West Bengal “Aprajita” Anti-Rape Bill Passed | The Legal Observer

West Bengal's “Aprajita” Anti-Rape Bill, proposing stringent measures including death penalty for rapists, passes...

Public Exams, J&K, Water Bills Cleared by Parliament | The Legal Observer

Parliament clears Public Examinations, J&K Local Bodies, and Water Pollution Bills to enhance exam...

How to File a PIL in India: Easy Guide

PIL जनहित याचिका (Public Interest Litigation) एक ऐसा अधिकार है जो किसी भी नागरिक...

More like this

Meet Justices NV Anjaria, Vijay Bishnoi & AS Chandurkar: Supreme Court’s Newest Appointments

The Supreme Court welcomed three new judges – Justices NV Anjaria, Vijay Bishnoi and...

Supreme Court Collegium recommends transfer of 21 judges

Supreme Court Collegium ने सोमवार को हुई अपनी अहम बैठक में देशभर के उच्च...

Family Court:इलाहाबाद High Court ने जताई चिंता, “तारीख पर तारीख” से जूझ रही महिलाएं, Supreme Court के आदेशों की हो रही अवहेलना

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण टिप्पणी में Family Court में भरण-पोषण...