Saturday, May 31, 2025

80 साल के रिटायर्ड अफसर से 4.2 करोड़ की ठगी: नकली Supreme Court warrant और वीडियो कॉल Court से किया Digital Arrest

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Digital Arrest

भारत में साइबर अपराध एक नया मोड़ ले चुका है — Digital Arrest । हाल ही में सामने आए एक चौंकाने वाले मामले में दिल्ली के 80 वर्षीय रिटायर्ड सरकारी अधिकारी से ₹4.2 करोड़ की ठगी की गई। अपराधियों ने उन्हें सुप्रीम कोर्ट का नकली अरेस्ट वॉरंट दिखाकर डराया और वीडियो कॉल पर नकली कोर्ट की सुनवाई कर उन्हें झांसे में ले लिया।


🎯 पूरा मामला: कैसे बुना गया डिजिटल जाल

जानकारी के अनुसार, पीड़ित को एक फोन कॉल आया जिसमें उन्हें बताया गया कि उनके खिलाफ एक मामला लंबित है जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने अरेस्ट वॉरंट जारी किया है। इसके बाद उन्हें एक वीडियो कॉल पर नकली कोर्ट की कार्यवाही दिखाई गई जिसमें एक व्यक्ति ‘जज’ की भूमिका में था।

इस पूरी प्रक्रिया को इतनी सफाई से अंजाम दिया गया कि पीड़ित को यकीन हो गया कि वह किसी गंभीर कानूनी पचड़े में हैं। डर के कारण उन्होंने अलग-अलग खातों में ₹4.2 करोड़ ट्रांसफर कर दिए।


⚖️ डिजिटल अरेस्ट क्या है?

डिजिटल अरेस्ट एक नई साइबर ठगी है जिसमें अपराधी वीडियो कॉल पर नकली पुलिस, CBI या कोर्ट की कार्यवाही दिखाकर व्यक्ति को मानसिक रूप से डराते हैं और उनसे पैसे ऐंठते हैं।

“यह साइबर आतंकवाद का नया रूप है, जो खासतौर पर बुजुर्गों और पढ़े-लिखे वर्ग को निशाना बना रहा है।”
साइबर लॉ विशेषज्ञ अधिवक्ता राकेश त्रिपाठी


📜 कौन-कौन सी धाराएं लगती हैं?

इस तरह की घटनाओं में निम्नलिखित कानून लागू हो सकते हैं:

  • IPC की धारा 419: धोखाधड़ी से पहचान छिपाकर ठगी करना
  • IPC की धारा 420: धोखे से संपत्ति प्राप्त करना
  • IT Act की धारा 66D: किसी व्यक्ति को धोखा देने के लिए कंप्यूटर संसाधनों का दुरुपयोग
  • IT Act की धारा 66C: पहचान की चोरी

इन धाराओं के तहत 3 से 7 साल तक की सजा और जुर्माना हो सकता है।


🛡️ सरकारी दिशानिर्देश क्या कहते हैं?

सुप्रीम कोर्ट:

2022 में सुप्रीम कोर्ट ने एक PIL पर सुनवाई के दौरान कहा था कि

“डिजिटल प्लेटफॉर्म पर न्यायिक प्रक्रिया का अनुकरण कर नागरिकों को गुमराह करना देश की न्यायिक प्रतिष्ठा पर सीधा हमला है।”

CERT-In (इलेक्ट्रॉनिक्स और IT मंत्रालय) की चेतावनी:

CERT-In ने मार्च 2024 में चेतावनी जारी की थी कि

“वीडियो कॉल के माध्यम से की जा रही फर्जी न्यायिक कार्यवाहियों से सावधान रहें। कोई भी सरकारी एजेंसी बिना उचित प्रक्रिया के आपको अरेस्ट नहीं कर सकती।”


👀 कौन हैं टारगेट?

  • बुजुर्ग नागरिक
  • अकेले रहने वाले
  • उच्च शिक्षा प्राप्त लेकिन टेक्नोलॉजी-नौसिखिए
  • NRI और विदेश संपर्क वाले लोग

📉 क्यों नहीं थम रही हैं ये घटनाएं?

  1. डर का माहौल
  2. कानूनी जानकारी की कमी
  3. पुलिस तक तुरंत रिपोर्ट न करना
  4. अंतरराष्ट्रीय नेटवर्किंग — अपराधी देश के बाहर से काम कर रहे हैं

💡 कैसे बचें डिजिटल अरेस्ट से?

कोई कॉल या वीडियो कॉल पर “अरेस्ट वॉरंट” दिखाए तो सतर्क हो जाएं
सरकारी अधिकारी, कोर्ट या पुलिस कभी भी वीडियो कॉल पर कार्रवाई नहीं करती
किसी अनजान खाते में पैसा ट्रांसफर न करें
108, 1930 या स्थानीय साइबर क्राइम हेल्पलाइन पर तुरंत संपर्क करें
www.cybercrime.gov.in पर शिकायत दर्ज करें


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📣 निष्कर्ष

यह मामला न केवल एक तकनीकी ठगी है, बल्कि न्याय प्रणाली की नकली नकल कर आम नागरिक को मानसिक प्रताड़ना देने का अपराध भी है। सुप्रीम कोर्ट को इस पर स्वतः संज्ञान लेना चाहिए और केंद्र सरकार को इसे रोकने के लिए सख्त दिशानिर्देश और कानून लागू करने चाहिए।


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