नोएडा भूमि अधिग्रहण केस: किसानों को मिले पूरा मुआवज़ा
Supreme Court ने नोएडा प्राधिकरण को बड़ा झटका देते हुए आदेश दिया कि वह 10,420 वर्गमीटर भूमि के अधिग्रहण के लिए किसानों को पूरी कीमत के साथ ब्याज चुकाए। कोर्ट ने कहा कि ‘कानून का गलत उपयोग कर भूमि जब्त करना स्वीकार नहीं किया जा सकता।’ यह फैसला न्यायमूर्ति सूर्यकांत की पीठ ने सुनाया। यह आदेश भूमि अधिग्रहण मामलों में एक बड़ी मिसाल बन सकता है।
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बिटकॉइन बनाम हवाला: सुप्रीम कोर्ट ने डिजिटल करेंसी पर दी गंभीर टिप्पणी
एक आर्थिक अपराध के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने बिटकॉइन ट्रांजैक्शन को हवाला से जोड़ते हुए कहा कि “यह भी एक छुपा हुआ लेनदेन है, जिसे आसानी से ट्रेस नहीं किया जा सकता।” कोर्ट ने पूछा कि यदि बिटकॉइन से क्रिप्टो में पैसा डाला गया और ट्रैक नहीं किया जा सका, तो उसे कैसे मान्यता दी जाए?
यह टिप्पणी भारत में क्रिप्टो रेगुलेशन की दिशा में एक गंभीर संकेत मानी जा रही है।
लोक अदालत: एक ही दिन में 40 तलाक, वैकल्पिक समाधान की मिसाल
हरियाणा की एक लोक अदालत में एक ही दिन में 40 जोड़ों ने आपसी सहमति से तलाक लिया। यह नज़ीर वैकल्पिक विवाद समाधान (ADR) के बढ़ते महत्व को दर्शाती है। अदालत ने बिना लंबी कानूनी प्रक्रिया के सभी मामलों को सुलझाया।
लोक अदालतें न्यायिक प्रणाली पर बोझ घटाने में अहम भूमिका निभा रही हैं, विशेष रूप से पारिवारिक विवादों के क्षेत्र में।
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सेना और बार हड़ताल विवाद: CJI संजीव खन्ना का राष्ट्र सेवा पर ज़ोर
पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में बार एसोसिएशन की हड़ताल और पाकिस्तानी मिसाइल हमले के संदर्भ में CJI संजीव खन्ना ने कहा,
“भारत के सैनिक दिन-रात देश की रक्षा में लगे हैं, और हम कानून के मंदिर में हड़ताल कर रहे हैं?”
यह बयान न्यायपालिका में अनुशासन और ज़िम्मेदारी के महत्व को रेखांकित करता है।
कानूनी शिक्षा में सुधार: 4 वर्षीय LLB का प्रस्ताव कोर्ट के समक्ष
सुप्रीम कोर्ट ने 5 वर्षीय इंटीग्रेटेड कोर्स को 4 वर्षीय नया LLB कोर्स बनाने की याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ता का तर्क है कि इससे समय और संसाधन की बचत होगी। कोर्ट ने BCI और UGC से इस पर जवाब मांगा है।
यह मुद्दा भारतीय कानूनी शिक्षा व्यवस्था की संरचना पर बड़ा प्रभाव डाल सकता है।
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संपत्ति प्रकटीकरण: CJI संजीव खन्ना और जस्टिस गवई ने की खुली घोषणा
CJI संजीव खन्ना और जस्टिस बी.आर. गवई ने अपनी संपत्तियों का ब्योरा वेबसाइट पर सार्वजनिक किया। यह पहल न्यायिक पारदर्शिता की दिशा में महत्वपूर्ण मानी जा रही है। इससे आम नागरिकों का विश्वास न्यायपालिका में और भी सुदृढ़ होता है।
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निष्कर्ष
इस सप्ताह सुप्रीम कोर्ट ने संपत्ति पारदर्शिता से लेकर क्रिप्टो मामलों, भूमि अधिग्रहण से लेकर लोक अदालतों और कानूनी शिक्षा तक, कई क्षेत्रों में हस्तक्षेप किया। ये सभी निर्णय भारत की लोकतांत्रिक और न्यायिक प्रक्रिया को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।
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