
राजस्थान में आयोजित राज्य स्तरीय Lok Adalat में 40 दंपतियों ने आपसी सहमति से तलाक लिया, जिससे यह मामला देशभर में चर्चा का विषय बन गया। कई मामलों में दोनों पक्षों ने कहा कि वे लंबे समय से अलग रह रहे थे और सामाजिक दबाव या अदालती विलंब के कारण तलाक का औपचारिक रास्ता नहीं चुन पाए थे। लोक अदालत की कार्यवाही में यह संभव हुआ कि बिना लंबी न्यायिक प्रक्रिया के, उनका मामला एक दिन में सुलझ गया।
यह उदाहरण वैकल्पिक विवाद निवारण (ADR) की कार्यकुशलता और उपयोगिता को सामने लाता है, खासतौर पर विवाह से संबंधित जटिल मामलों में।
क्या कहते हैं आंकड़े?
राष्ट्रीय न्यायिक डेटा ग्रिड (NJDG) के अनुसार, भारत में पारिवारिक विवादों से जुड़े 11 लाख से अधिक मामले लंबित हैं। ऐसे में लोक अदालतों और ADR तंत्रों की उपयोगिता और भी बढ़ जाती है।
2023 में आयोजित नेशनल लोक अदालतों में 1.5 करोड़ मामलों का निपटारा हुआ, जिनमें से 7 लाख से अधिक मामले पारिवारिक विवादों से संबंधित थे।
CJI का बयान: “ADR है न्याय प्रणाली का भविष्य”
भारत के प्रधान न्यायाधीश (CJI) संजय किशन कौल (पूर्व) और वर्तमान CJI संजीव खन्ना कई बार ADR की भूमिका पर प्रकाश डाल चुके हैं। खन्ना ने हाल ही में कहा:
“विवादों के समाधान में लोक अदालतें और मध्यस्थता जैसे तरीके अब न्याय प्रक्रिया का अनिवार्य हिस्सा बन चुके हैं।”
समाज और परिवार के बीच की दरार
हालांकि, यह मामला न्यायिक दृष्टिकोण से भले ही ADR की सफलता हो, लेकिन सामाजिक दृष्टिकोण से यह कई सवाल खड़े करता है। एक ही दिन में 40 दंपतियों का अलग होना इस बात का संकेत है कि आज भी विवाह संस्थान के भीतर सामंजस्य की कमी, संवादहीनता और सामाजिक दबाव मौजूद हैं।
कुछ मुख्य कारण जो सामने आए:
- पारिवारिक हस्तक्षेप
- आर्थिक तनाव
- घरेलू हिंसा
- पति-पत्नी के बीच संवाद की कमी
विशेषज्ञों की राय
परिवार परामर्शदाता डॉ. मीनाक्षी शर्मा कहती हैं:
“लोक अदालत में आने वाले अधिकतर मामले अंतिम विकल्प के तौर पर आते हैं। यह इस बात का संकेत है कि विवाह संस्था में संवाद और परामर्श की व्यवस्था कमजोर होती जा रही है।”
ADR का बढ़ता महत्व
लोक अदालतें भारतीय न्याय प्रणाली का अभिन्न अंग हैं, जहां भारतीय विधिक सेवा प्राधिकरण अधिनियम, 1987 के तहत विवादों का समाधान आपसी सहमति से किया जाता है।
यह तलाक जैसे भावनात्मक और सामाजिक रूप से संवेदनशील मामलों में विशेष रूप से प्रभावी साबित हो रही हैं।
निष्कर्ष
इस मामले ने यह स्पष्ट किया है कि न्यायिक प्रणाली में ADR का महत्व दिन-ब-दिन बढ़ता जा रहा है। लेकिन इसके साथ ही समाज को भी आत्मचिंतन करना होगा कि क्या हम विवाह संस्था को संवादहीनता की ओर धकेल रहे हैं?
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Focus Keywords:
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