क्या है Moonlighting? Wipro और Infosys जैसी बड़ी IT कंपनियाँ भी परेशान

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‘मूनलाइटिंग’ शब्द आजकल सोशल मीडिया पर बेहद सुर्खियों में बना हुआ है। इंफोसिस से लेकर विप्रो जैसी बड़ी आईटी कंपनियों ने यह क़बूला है कि यह एक बड़ी समस्या है।

जानिए मूनलाइटिंग होता क्या है

साधारण शब्दों में जब कोई कर्मचारी अपने रेगुलर जॉब के अलावा और भी कहीं काम करता हो तो उसे मूनलाइटिंग कहते हैं। दरअसल, कोरोना के समय से टेक इंडस्ट्री में अधिकतर कर्मचारी वर्क फ्रॉम होम कर रहे हैं, ऐसे में कई एक साथ दो कंपनियों में काम कर रहे हैं। जिससे उन्हे और ज्यादा पैसे कमाने का मौका मिल रहा है।

आईटी कंपनियों का मानना ये है कि एक साथ दो जगह काम करने की वजह से परफॉर्मेंस और कामकाज पर असर पड़ रहा है। कई कंपनियों ने इसे गलत बताया है। विप्रो के Chief Strategy Officer रिशद प्रेमजी ने इस तरह के रवैये को कंपनी के साथ चीटिंग कहा है। वहीं इंफ़ोसिस द्वारा कर्मचारियों को लिखे गए मेल में कहा है कि आपको मूनलाइटिंग करने की अनुमति नहीं है। अगर कोई कर्मचारी ऐसा करता पाया जाता है, तो उसके खिलाफ कार्रवाई होगी और उसे नौकरी से भी निकाला जा सकता है। मूनलाइटिंग करने की अलग-अलग वजहें हैं। कुछ लोग ज्यादा पैसे कमाने के लिए यह करते हैं तो कुछ अपने शौक पूरा करने के लिए।

मूनलाइटिंग कल्चर    

हालांकी मूनलाइटिंग कल्चर के बढ़ने के पीछे कर्मचारी कंपनी को ही जिम्मेदार ठहरा रहे हैं। कर्मचारियों का तर्क है कि कंपनियां सैलरी हाइक या इंसेंटिव आदि देने में कंजूसी दिखा रही हैं। यही वजह है कि कर्मचारी अब नए विकल्प भी देख रहे हैं, जिससे कुछ और कमाई भी हो जाती है।

मूनलाइटिंग को लेकर चर्चा तब शुरू हुई जब देश की टॉप फूड डिलीवरी कंपनी Swiggy ने अगस्त में मूनलाइटिंग पॉलिसी पेश की थी। जिसमें कंपनी ने कहा था कि उसके कर्मचारी पैसे के लिए या फ्री में बाहर के प्रोजेक्ट्स कर सकते हैं। हालांकि इससे उनकी प्रोडक्टिविटी पर कोई असर नहीं पड़ना चाहिये। इसे भारत की पहली मूनलाइटिंग पॉलिसी भी कहा जा रहा है।

भारत में मूनलाइटिंग कानूनी या गैरकानूनी —-

भारत में ऐसा कोई कानून नहीं है, जो किसी को एक साथ दो जगह काम करने से रोके। लेकिन निजी कॉम्पनियाँ को यह अधिकार है कि वह अपने कान्ट्रैक्ट में किसी कर्मचारी को एक साथ दो जगह काम करने से रोक सकती हैं। लीगल एक्स्पर्ट्स की माने तो मूनलाइटिंग करते पाए जाने पर कोर्ट ने कॉम्पनियों को उनके कर्मचारी को नौकरी से निकालने की मंजूरी दी है। फैक्ट्री ऐक्ट 1948 के तहत एक साथ दो जगह काम करने पर पूरी तरह से पाबंदी है।

विश्वभर में आईटी सेक्टर में काम करने वाले लोगों की एक बड़ी संख्या भारत में भी काम करती है। यह देखना दिलचस्प होगा की इंफ़ोसिस विप्रो के बाद बाकी अन्य आईटी कंपनियां इस पर क्या फैसला लेती है। लेकिन एक बात तो तय है उनके फैसले का असर लाखों लोगों पर पड़ेगा।  

Prakher Pandey
Prakher Pandey

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