वर्चुअल सुनवाई समय की जरुरत- CJI डीवाई चंद्रचूड़

0
186

CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने कोर्ट में तकनीकी को समय की जरुरत बताया हैं, कोर्ट में हुई सुनवाई में CJI ने कहा कि वर्चुअल सुनवाई को खत्म करने की कोई जरूरत नहीं है. क्योंकि ये आज के समय की जरूरत है, माना कि ये व्यवस्था महामारी के समय पर जरूर शुरू हुई लेकिन इसे सिर्फ महामारी या संकटकाल तक सीमित रखने की जरूरत नहीं है. अधुनिक युग में ये बदलाव और तेज रफ्तार हमारी जरूरत है.सीजेआई ने इस बात को बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के अध्यक्ष मनन मिश्रा और उपाध्यक्ष एस प्रभाकरण से भी इस मामले पर अपनी राय और सलाह देने को कहा हैं. 

वर्चुअल सुनवाई को बुनियादी अधिकार घोषित करने की मांग वाली जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने ये टिप्पणी की. सुनवाई के दौरान बताया गया कि कुछ हाईकोर्ट में वहां के चीफ जस्टिस वर्चुअल सुनवाई का सिस्टम और बुनियादी ढांचा खत्म करने जा रहे हैं. कई जगह तो इसकी शुरुआत भी हो चुकी है. 

Read Also:Collegium Issue:कानून मंत्री किरेन रिजिजू को मिला कांग्रेस सांसद का साथ

वैसे भी हमने कई बार सुना हैं कि चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ तकनीक के प्रयोग से आम लोगों की इंसाफ की लड़ाई को आसान बनाने के लिए किए गए उपायों के साथ वर्चुअल सुनवाई के हिमायती रहे हैं. जस्टिस चंद्रचूड़ ने सभी हाइकोर्ट के चीफ जस्टिस के लिए कहा कि आप किसी तकनीक के समर्थक हों या नहीं, लेकिन आज के बदलते समय में तकनीक के इस्तेमाल को बढ़ावा देना जरूरी है. 

इसके साथ ही CJI डीवाई चंद्रचूड़ ने बजट का जिक्र करते हुए ये भी कहा कि, बहुत बड़ा हिस्सा इन वर्चुअल सुनवाई के बुनियादी ढांचे को विकसित करने में खर्च हुआ है. उसे खत्म करने के बजाय उसका इस्तेमाल किया जाना चाहिए.आंकड़ों के बात करें तो सरकार ने ई कोर्ट्स के तीसरे चरण में 7000 करोड़ रुपए का बजट प्रस्ताव दिया है. इस धन से जिला अदालतों में ई कोर्ट्स का बुनियादी ढांचा मजबूत किया जाएगा. 

Read Also:जानिए सुप्रीम कोर्ट के नए जज अरविंद कुमार और राजेश बिंदल के बारे में


ऑल इंडिया एसोसिएशन ऑफ जूरिस्ट्स और अन्य बनाम उत्तराखंड हाईकोर्ट और अन्य के मामले में सुनवाई के दौरान सीजेआई ने कहा कि कुछ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तो इस बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में जी जान से जुटे हैं. लेकिन वहीं मुझे ये देखकर अफसोस होता है कि कुछ हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस तकनीक प्रयोग की इस व्यवस्था को खत्म करना चाहते हैं. क्योंकि जजों को लगता है कि जब हम अदालतों में आकर अपना न्यायिक काम करते हैं तो वकील क्यों ऑनलाइन पेश हों? वो क्यों अदालत में नहीं आएंगे? लेकिन जजों को अपने आने के साथ साथ वकीलों की स्थिति को भी समझना चाहिए. 

Bhawna
Bhawna

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here