देश के बेहद चर्चित राडीया टेप लीक मामले के बारे में तो आपने सुना ही होगा। पूर्व कॉरपोरेट लॉबिस्ट नीरा राडिया की उद्योगपतियों, पत्रकारों, सरकारी अधिकारियों और प्रमुख पदों पर बैठे अन्य लोगों के साथ फोन पर हुई बातचीत के टेप लीक होने के बाद देश की राजनीति में बेहद हलचल का माहौल बन गया था। बात साल 2010 की है जब देश के प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह थे। 2010 में लीक हुए इस ऑडियो टेप की जांच की मांग करने वाले उद्योगपति रतन टाटा की याचिका पर आज 8 साल के बाद सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी। देश के जाने माने उद्योगपति रतन टाटा का कहना है की यह उनके निजता के अधिकार का उल्लंघन है।
रतन टाटा ने 2011 में दायर की थी याचिका
टाटा ने 2011 में याचिका दायर की थी और आखिरी बार इस पर 2014 में सुप्रीम कोर्ट ने सुनवाई की थी। देश के तमाम बड़े चेहरों से की गई नीरा राडीया की बातचीत ‘राडीया टेप’ के नाम से मशहूर है। यह बातचीत 2010 की एक जांच के हिस्से के रूप में टैप की गई थी। रतन टाटा ने सुप्रीम कोर्ट से अगस्त 2012 में सरकार द्वारा दी गई रिपोर्ट की एक प्रति मांगी थी, जिसमें बताया गया था की यह टेप कैसे लीक हुआ।
निजता के अधिकार को मौलिक अधिकार घोषित कर चुका है सप्रीम कोर्ट
अगस्त 2017 में सुप्रीम कोर्ट ने एक ऐतिहासिक फैसले में निजता के अधिकार को मौलिक घोषित किया था। सुप्रीम कोर्ट की 9 सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने सर्वसम्मति से इस फ़ैसले को सुनाया था।
निजता के अधिकार के मौलिक घोषित होने के बाद पहली बार इस मामले में सुनवाई होने जा रही है। 2011 में याचिका दायर होने के बाद इस मामले में पहली बार 2014 में सुनवाई हुई थी। अब तकरीबन 8 साल बाद राडीया टेप लीक से जुड़ी रतन टाटा की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करेगा।
Creative and driven journalist with 4+ years of experience in Digital Media.