सुप्रीम कोर्ट ने बताया, “कैसा हो वर्दीवाला!” कांस्टेबल भर्ती में अपने पर दर्ज आपराधिक मामले को छुपाने वाले कैडींडेट की याचिका खारिज।

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राजस्थान में कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के दौरान एक उम्मीदवार ने अपने ऊपर दर्ज हुए आपराधिक मामले को भर्ती परीक्षा फार्म में नहीं दिखाया था। राजस्थान हाईकोर्ट की सिंगल और डबल बैंच ने ये कहकर उम्मीदवार को राहत दे दी थी कि आपराधिक मामला छोटा है इसलिए उम्मीदवार की अर्जी को स्वीकार किया जाना चाहिए। लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने राजस्थान हाईकोर्ट के फैसले को पलट कर उम्मीदवार की अर्जी को खारिज कर दिया।

File Photo- Supreme Court of India

दिल्ली- कांस्टेबल भर्ती परीक्षा के फॉर्म में अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामले को न बताना एक उम्मीदवार के लिए मंहगा सौदा हो गया। सुप्रीम कोर्ट में जस्टिस एम वी शाह और बी वी नागरत्ना ने राजस्थान सरकार की याचिका को स्वीकार करते हुए कहा कि “उम्मीदवार ने पुलिस के जिस पद यानि कि कांस्टेबल के लिए आवेदन करते समय अपने ऊपर दर्ज आपराधिक मामले को छिपाया है, उस कांस्टेबल पद पर आने के साथ ही उस पर कानून व्यवस्था बनाये रखने की जिम्मेदारी हो जाती है। इस तरह के पद पर बैठने वाला ईमानदार, विश्वसनीय और ईमान वाला होना चाहिए। जिसके ऊपर कानून व्यवस्था को लागू करने की जिम्मेदारी दी जा रही है वो ईमान वाला हो। प्रस्तुत मामले में उपरोक्त कोई भी शर्त उम्मीदवार ने पूरी नहीं की है। उसने अपने ऊपर दर्ज आपराधिक केस का इतिहास छुपाया है। उम्मीदवार ने अपने ऊपर दर्ज मामले/एफआईआर को अपने उम्मीदवारी फार्म में भी छुपाया था। इसलिए ही संबंधित विभाग ने उम्मीदवार के फॉर्म को रद्द कर दिया था। लेकिन इसके बावजूद सिंगल बैंच ने विभाग को फॉर्म स्वीकार करने का आदेश ये कहते हुए दिया कि आपराधिक मामला छोटे किस्म का है और विभाग को उसकी उम्मीदवारी को स्वीकार करना चाहिए”।

क्या था मामला?

साल 2008 में राजस्थान के पुलिस महानिदेशक के निर्देश पर 4684 कांस्टेबल की भर्तियां विभाग के अलग-अलग जगहों के लिए निकाली गयी थीं। साल 2008 के नोटीफिकेशन के अनुसार कांस्टेबल की भर्ती के लिए लिखित परीक्षा, शारीरिक परीक्षा और इंटरव्यू पास करना होगा, जिसके लिए सभी उम्मीदवारों को एक फॉर्म भी भरना होगा जिसमें मांगी गयी सभी जानकारियों को भरना अनिवार्य था। अगर कोई भी उम्मीदवार गलत या अधूरी जानकारी देगा तो उसका फॉर्म भर्ती के दौरान किसी भी समय निरस्त कर दिया जाएगा।

राजस्थान हाईकोर्ट में याचिका दाखिल करने वाले उम्मीदवार ने कांस्टेबल भर्ती में शामिल होने के लिए जो फॉर्म भरा, उसमें उसके खिलाफ कोई भी आपराधिक मामला दर्ज होने की बात नहीं भरी। हालांकि उम्मीदवार ने लिखित और शारीरिक परीक्षा को पास कर लिया। लेकिन बाद में इस बात का खुलासा हो गया कि उम्मीदवार के खिलाफ आपराधिक मामला दर्ज है जबकि फॉर्म भरते समय उम्मीदवार ने इसकी सूचना नहीं दी थी।

उम्मीदवार के आपराधिक रिकार्ड की जानकारी मिलते ही विभाग ने फॉर्म ये कहकर खारिज कर दिया था कि उम्मीदवार ने इसकी जानकारी नहीं दी, जिसके खिलाफ उम्मीदवार ने राजस्थान हाईकोर्ट की सिंगल बैंच के सामने मामला प्रस्तुत किया और दावा कि विभाग की तरफ से ऐसा कोई दस्तावेज नहीं पेश किया गया है जो ये साबित करता हो कि उम्मीदवार ने जानभूझकर अपने आपराधिक रिकार्ड को फॉर्म भरते हुए छुपाया हो। हाईकोर्ट की सिंगल बैंच ने याचिकाकार्ता/उम्मीदवार को राहत देते हुए विभाग को उसकी उम्मीदवारी पर विचार करने को कहा। सिंगल बैंच के आदेश को राजस्थान हाईकोर्ट की डबल बैंच ने भी सही ठहराया। जिसके खिलाफ राजस्थान राज्य ने विभाग की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की थी।

Khurram Nizami
Khurram Nizami

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