क्या सार्वजनिक स्थान पर कृपाण और कड़ा रखने की अनुमति है ?
दिल्ली मेट्रो के द्वारका सेक्टर-21 मेट्रो स्टेशन में एक सिख समुदाय के शख्स को कृपाण लेकर यात्रा करने से मना कर दिया गया। जिसपर राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग (NCM) ने सख्त रवैया अपनाते हुए डीएमआरसी (DMRC) के अध्यक्ष के साथ ही दिल्ली के मुख्य सचिव (Delhi Chief Secretary) से इस मामले में रिपोर्ट मांगी है. शख्स ने खुद को दमदमा साहिब का पूर्व जत्थेदार बताया है।
क्या सिख समुदाय कृपाण के साथ कर सकते हैं यात्रा ?
अल्पसंख्यक आयोग के अनुसार, कृपाण सिख धर्म का एक अभिन्न अंग है और संविधान के अनुच्छेद 25 में सिख व्यक्तियों को कृपाण पहनने और अपने साथ ले जाने की अनुमति दी गई है। कृपाण को सिख पुरुष और स्त्री अक्सर कमर पर लटकाकर ही रखते हैं। सिख धर्म की मान्यताओं के अनुसार, सभी सिखों का केश, कड़ा, कृपाण, कंघा और कच्छा धारण करना अनिवार्य है। सिख समुदाय दी गई यह मान्यता 100 सालों से भी पुरानी है।
पहले भी सुर्खियों मे रहा है मुद्दा —मार्च के महीने में केंद्र सरकार द्वारा एयरपोर्ट पर सिख यात्रियों के कृपाण ले जाने पर लगाई गई रोक को हटाया गया था, यह कदम सिख संगठनों और सिख धार्मिक नेताओं के विरोध के बाद उठाया गया था। दरअसल, अमृतसर के गुरु रामदास अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे पर एक सिख कर्मचारी को कृपाण के साथ ड्यूटी करने से रोका गया था और सिख समुदाय के विरोध के बाद मंत्रालय ने सिख कर्मचारियों और यात्रियों को कृपाण ले जाने की अनुमति दी थी। साथ ही साथ कृपाण का साइज भी निर्धारित कर दिया गया था। इसके तहत कृपाण के ब्लेड की लंबाई 15.24 सेंटीमीटर और कृपाण की कुल लंबाई 22.86 सेंटीमीटर से ज्यादा नहीं होनी चाहिए।