9 मार्च को राज्य चुनाव आयोग ने प्रेस कांफ्रेंस बुलाई थी, लेकिन प्रेस कांफ्रेंस ये कहकर टाल दी गयी कि उपराज्यपाल ने आयोग को सूचित किया है कि तीनों एमसीडी का विलय केन्द्र सरकार करने जा रही है, इसलिए फिलहाल चुनावी कार्यक्रम टालना पड़ेगा

दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) चुनाव के लिए आम आदमी पार्टी (आप) ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है। पार्टी के अधिकृत प्रतिनिधि की तरफ से दाखिल याचिका में कहा गया है कि केन्द्र सरकार के दबाव में राज्य चुनाव आयोग म्यूनिसिपल चुनाव टाल रहा है जबकि एमसीडी का कार्यकाल मई में पूरा होने जा रहा है और अप्रैल में चुनाव हो जाने चाहिए।
आप की तरफ से अधिकृत प्रतिनिधि दुर्गेश कुमार ने ये याचिका दाखिल की है। इस याचिका में अंकुश नारंग और मनोज कुमार त्यागी भी शामिल हैं।वकील शादान फरासत के माध्यम से दाखिल याचिका में कहा गया है कि एमसीडी चुनाव की तैयारियों को लेकर राज्य चुनाव आयोग ने पहले भी कई नोटिस जारी किए हैं जिसमें अप्रैल महीने में चुनाव कराये जाने की बात कही गयी है।
याचिका में राज्य चुनाव आयोग के 9 मार्च के फैसले का जिक्र किया गया है जिसमें आयोग ने शाम 5 बजे एक प्रेस कांफ्रेस बुलाई थी। लेकिन शाम5 बजे से पहले ही प्रेस कांफ्रेस को स्थगित कर दिया गया। बाद में आयोग ने एक प्रेस नोट जारी करके सूचना दी जिसमें दिल्ली के उपराज्यपाल की चिठ्ठी का जिक्र किया गया। आयोग के मुताबिक उपराज्यपाल ने चिठ्ठी में कहा है कि केन्द्र सरकार तीनों एमसीडी का आपस में विलय करने जा रही है इसलिए चुनाव कार्यक्रम का एलान फिलहाल स्थगित करना पड़ेगा।
इस मामले का दिया गया हवाला
याचिकाकर्ताओं ने 2006 में ‘किशन सिंह तोमर बनाम म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन, अहमदाबाद’ मामले में आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले का हवाला दियाहै। इस फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि संविधान के अनुच्छेद 324 के तहत केंद्रीय चुनाव आयोग को जो स्वायत्तता और राजनीतिक दखलंदाज़ी से स्वतंत्रता हासिल है। वैसी ही स्थिति राज्य चुनाव आयोग की भी है। ऐसे में केंद्र सरकार के कहने पर राज्य चुनाव आयोग का चुनाव की घोषणा नकरना इस स्वायत्तता के विरुद्ध है।
आम आदमी पार्टी ने कहा है कि दिल्ली म्युनिसिपल कॉर्पोरेशन एक्ट, 1957 में नगर निगम के लिए 5 साल के कार्यकाल का प्रावधान किया गयाहै। तीनों नगर निगमों का कार्यकाल मई में पूरा हो रहा है. ऐसे में पार्टी ने मांग की है कि सुप्रीम कोर्ट दिल्ली चुनाव आयोग को पूर्वनिर्धारित कार्यक्रमके मुताबिक अप्रैल में ही चुनाव आयोजित करने का निर्देश दे।