लैंडमार्क जजमेंट्स डट चेंज्ड इंडिया – जस्टिस ऐ के गांगुली
पुस्तक समीक्षा : विप्लव अवस्थी द्वारा

भारतीय राजनैतिक व्यवस्था चाहे केन्द्र सरकार हो या राज्य सरकार, सरकार तीन प्रमुख अंगों कार्यकारी, विधायिका और न्यायपालिका से बनती है। इनमें न्यायपालिका का प्रमुख कार्य संविधानिक व्यवस्था को बनाये रखना और सभी को न्याय मिले, ये बनाये रखना होता है। संविधान के तथ्यों की हर कसौटी पर जाँच-पड़ताल करके उसके सभी पहलुओं को लागू कराने के लिए निर्देश/ आदेश देना न्यायपालिका की प्रमुख ज़िम्मेदारियों में से एक है। यद्यपि हमारा संविधान इंग्लिश कॉमन लॉ से प्रेरित है, लेकिन न्यायपालिका द्वारा समय-समय पर ऐसे ऐतिहासिक आदेश दिये गये जिनसे बदली हुई भारतीय परम्पराओं और लागू होने वाले क़ानूनों में समन्वय लाया जा सके।
भारत के उच्चतम न्यायालय के पूर्व जस्टिस और क़ानून के बड़े जानकार श्री अशोक कुमार गांगुली ने देश की सर्वोच्च अदालत के ऐसे ही विभिन्न ऐतिहासिक आदेशों की विवेचना की है जिन्होंने भारत के बदलते परिवेश में नये क़ानूनों और क़ानूनी व्यवस्था में एक बड़ा योगदान दिया है। केशवानंद भारती बनाम केरल राज्य जिसने संविधान के मूल रुप को बदलने की संसद की शक्ति को सीमित किया, किताब के मुख्य भाग का अंग है। व्यक्तिगत स्वतंत्रता पर आये ऐतिहासिक निर्णय ( मेनका गांधी बनाम केन्द्र सरकार), संविधान में प्रदत्त मूलभूत अधिकारों की संशोधन करके कटौती को ग़लत ठहराने वाले ( गोलकनाथ बनाम पंजाब राज्य) जैसे ऐतिहासिक निर्णयों को इस किताब में विस्तार से बताया गया है। ये किताब न्यायिक व्यवस्था में सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न आदेशों से हुए बड़े और व्यापक बदलाव जानने वालों के लिए बेहद उपयोगी है। जिसे क़ानून के विद्यार्थियों और वकालत करने वाले वकीलों को पढ़ने से संविधान में बदलते स्वरूप को जानने में बहुत मदद मिलेगी।