कर्नाटक हाईकोर्ट का फैसला, 18 साल से पहले हुई लड़की की शादी भी हो सकती हैं मान्य

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कर्नाटक उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए अहम् फैसला सुनाया कि 18 साल की उम्र से पहले की युवती की शादी को रद्द नहीं किया जा सकता है। पीठ ने इस संबंध में फैमिली कोर्ट के पहले के आदेश को भी रद्द कर दिया हैं।मुख्य न्यायाधीश पी.बी. वराले और न्यायमूर्ति एस विश्वजीत शेट्टी ने यह आदेश हाल ही में एक महिला द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिया. महिला ने फैमली कोर्ट के शादी रद्द करने के आदेश के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील की थी.

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इस मामले पर पीठ ने कहा कि हिन्दू विवाह अधिनियम की धारा 5(3) के अनुसार वर की आयु 21 तथा वधू की आयु 18 वर्ष होनी चाहिए. विवाह के लिए 18 वर्ष की आयु नामांकित करने वाले नियम को अधिनियम की धारा 11 से बाहर रखा गया है. विवाह रद्द करने के अलावा, तथ्यों को धारा 5 और उसके खण्ड 1, 4 और 5 के विपरीत होना चाहिए। इसलिए इस मामले में विवाह को रद्द करना लागू नहीं होता हैं।

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शादी को रद्द करने के लिए धारा 11 में जो अनुबंध लिखे गए हैं उनके अनुसार धारा 5 के खण्ड 1,4 और 5 का उल्लेख किया गया हैं और खण्ड 3 को इससे बाहर रखा गया है, जिसमें युवक और युवती की शादी की उम्र दी गई हैं. जोकि वर की उम्र 21 वर्ष और वधु की उम्र 18 वर्ष होनी चाहिए. इसी को आधार मानते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने फैमली कोर्ट का आदेश रद्द करते हुए महिला के पक्ष में फैसला सुनाया, जिसमें उम्र को शादी रद्द करने की मुख्य वजह नहीं माना गया

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आपको बता दें, फैमिली कोर्ट ने याचिका को स्वीकार करते हुए कहा था कि हिंदू मैरिज एक्ट के मुताबिक दुल्हन की उम्र 18 साल होनी चाहिए और इस मामले में दुल्हन की उम्र 16 साल, 11 महीने और 8 दिन थी। अदालत ने कहा था कि यह विवाह हिंदू विवाह अधिनियम की धारा 11 के तहत मान्य नहीं होगा। फैमिली कोर्ट ने 8 जनवरी 2015 को शादी रद्द करने के संबंध में आदेश दिया था। इस आदेश के खिलाफ  सुशीला ने हाईकोर्ट में अपील की थी।

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