कॉलेजियम की सिफारिश पर सरकार की मुहर, सुप्रीम कोर्ट को मिलेंगे 5 नए जज

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सुप्रीम कोर्ट को जल्दी ही 5 नए जज मिलने वाले हैं. सरकार की ओर से सर्वोच्च न्यायालय की बेंच को यह जानकारी दी गई है. अटॉर्नी जनरल की ओर से कहा गया हैं कि इन नियुक्तियों पर रविवार तक मुहर लग जाएगी. इन 5 जजों में जस्टिस पंकज मित्तल, संजय करोल, पीवी संजय कुमार, अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और मनोज मिश्रा शामिल हैं। इनमें से तीन जज हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं और दो अन्य भी हाईकोर्ट में ही जस्टिस हैं।

साल 13 दिसंबर को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने इन जजों के नामों की सिफारिश की थी। पंकज मित्तल राजस्थान हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। इसके अलावा संजय करोल पटना हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं। वहीं जस्टिस पीवी संजय कुमार भी मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस हैं. जबकि जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह पटना हाई कोर्ट के जज हैं और मनोज मिश्रा फिलहाल इलाहाबाद हाई के जज हैं। सरकार की ओर से जल्दी ही इन जजों के नामों को मंजूर किया जा सकता है। इन 5 जजों के शपथ लेने के साथ ही सुप्रीम कोर्ट में जजों की कुल संख्या 32 हो जाएगी।

पंकज मित्तल का जन्म 17 जून 1961 को उत्तर प्रदेश के मेरठ में हुआ. इन्हें वकील कोटे से 7 जुलाई 2006 को एडिशनल जज बनाया गया. उसके बाद 2 जुलाई 2008 को यह परमानेंट जज बनाए गए. जस्टिस पंकज मित्तल 2021 तक इलाहाबाद हाईकोर्ट में रहे. उन्होंने 4 जनवरी 2021 को जम्मू, कश्मीर व लद्दाख हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में शपथ ली थी. धारा 370 हटने के बाद उन्हें यह पद दिया गया था. इसके बाद वे राजस्थान हाईकोर्ट में चीफ जस्टिस बने थे।

जस्टिस पीवी संजय कुमार (Justice P.V. Sanjay Kumar). मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस. इन्हें भी सुप्रीम कोर्ट में तैनात करने की सिफारिश हुई है. 14 अगस्त, 1963 को हैदराबाद में पैदा हुए जस्टिस कुमार के पिता पी रामचंद्र रेड्डी आंध्र प्रदेश के एडवोकेट जनरल रहे थे. संजय कुमार ने 1998 में दिल्ली यूनिवर्सिटी से एलएलबी की पढ़ाई की और वकालत की प्रैक्टिस शुरू की.संजय कुमार अगस्त 2008 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट के एडिशनल जज नियुक्त हुए. जनवरी 2010 में उन्हें स्थायी जज नियुक्त कर दिया गया. 14 अक्टूबर, 2019 को उनका तबादला पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट में किया गया. फरवरी 2021 में जस्टिस पीवी संजय कुमार मणिपुर हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस बन गए.

सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा चुने गए पांचवें जज मनोज मिश्रा (Justice Manoj Misra) हैं. उनका जन्म 2 जून, 1965 को हुआ था. मिश्रा ने साल 1988 में इलाहाबाद विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री ली. दिसंबर 1988 में वकील बने. उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट में नागरिक, राजस्व, आपराधिक और संवैधानिक मुद्दों पर बहस की. नवंबर 2011 में इलाहाबाद हाईकोर्ट में ही एडिशनल जस्टिस बने. मनोज मिश्रा अगस्त 2013 से हाईकोर्ट के स्थायी जज हैं.

जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह (Justice Ahsanuddin Amanullah). इस बार सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम द्वारा की गयी सिफारिशों में पटना हाईकोर्ट के दूसरे जस्टिस हैं. 11 मई, 1963 को पैदा हुए. केमिस्ट्री में ऑनर्स के साथ स्नातक की डिग्री ली. पटना लॉ कॉलेज से लॉ किया.जस्टिस अमानुल्लाह सितम्बर 1991 में प्रैक्टिस के लिए बिहार बार काउंसिल में इनरोल हुए. उन्होंने मुख्य रूप से पटना हाईकोर्ट में प्रैक्टिस की. लेकिन दिल्ली हाईकोर्ट, झारखंड हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी एक्टिव रहे. जस्टिस अमानुल्लाह को जून 2011 में पटना हाईकोर्ट में नियुक्त किया गया. करीब दस साल बाद अक्टूबर 2021 में आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में उनका ट्रांसफर हो गया. कुछ महीने बाद ही जून 2022 में फिर पटना आ गए.

न्यायमूर्ति संजय करोल हिमाचल प्रदेश के जिला कांगड़ा में गरली गांव के तहसील देहरा गोपीपुर के रहने वाले हैं. उन्होंने हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय से कानून में डिग्री ली थी. साल 1986 में एक वकील के रूप में रजिस्टर्ड हुए. 1998 से 2003 तक हिमाचल के महाधिवक्ता रहे.8 मार्च 2007 को हिमाचल प्रदेश के उच्च न्यायालय के न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत किया गया. 25 अप्रैल 2017 को हिमाचल हाईकोर्ट के कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश का पदभार ग्रहण किया और 5 अक्तूबर 2018 तक इसी पद पर कार्य किया. उसके बाद 9 नवंबर 2018 को त्रिपुरा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश के रूप में पदोन्नत हुए. फिर वहां से पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के रूप में उनका ट्रांसफर हुआ.

सुप्रीम कोर्ट में जजों के कुल 34 पद हैं, जिनमें से अभी 27 पद ही भरे हुए हैं. इससे पहले 31 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने दो और नामों को सुप्रीम कोर्ट में भेजे जाने की सिफारिश की है. इनमें इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और गुजरात हाई कोर्ट के चीफजस्टिस अरविंद कुमार शामिल हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम और केंद्र सरकार के बीच जजों की नियुक्ति प्रक्रिया को लेकर काफी दिनों से विवाद चल रहा है. कई बार कानून मंत्री किरेन रिजिजू कॉलेजियम सिस्टम पर सवाल उठा चुके हैं और इसे गैर-संवैधानिक बता चुके हैं।

किरेन रिजिजू ने कहा था कि संविधान में कहीं भी जजों की नियुक्ति के लिए कॉलेजियम की व्यवस्था का जिक्र नहीं है. ऐसे में 5 जजों की नियुक्ति पर सरकार की मुहर लगना अहम है. गुरुवार को भी किरेन रिजिजू ने राज्यसभा में कहा था कि हम चाहते हैं कि हाईकोर्ट में जजों की नियुक्ति में सामाजिक विविधता का ख्याल रखा जाए. दलितों, आदिवासियों के अलावा अल्पसंख्यक एवं महिला वर्ग के जजों को भी इसमें शामिल किया जाए।

Bhawna
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