दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक से कहा अपने मास्टर सकरुलर पर करें पुनर्विचार

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दिल्ली हाईकोर्ट ने भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) से अपने मास्टर सकरुलर पर पुनर्विचार करने को कहा हैं. सकरुलर में महिला कर्मचारियों को बीमारी की अग्रिम अवकाश देने पर विचार के समय और उसकी गर्भावस्था से होने वाले चिकित्सीय जटिलताओं के मामलों को शामिल नहीं किया गया है। सकरुलर के पैरा 6.5 के अनुसार बीमारी के मामलों में लंबे समय तक इलाज या अस्पताल में भर्ती होने की दशा में आरबीआई के कर्मचारियों को आधे अवकाश वेतन पर 180 दिनों तक की अग्रिम बीमारी अवकाश दी जा सकती है।

न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने आरबीआई के एक सहायक प्रबंधक के 1 जुलाई, 2020 को जारी मास्टर सर्कुलर के पैरा 6.5 के तहत गर्भावस्था से उत्पन्न होने वाले मुद्दों या जटिलताओं को कवर करने के निर्देश की मांग वाली याचिका पर सुनवाई की। याचिका में उनकी अवकाश की अवधि के लिए उनकी अनुपस्थिति को समायोजित करने के बाद वेतन एवं भत्तों के लाभों के साथ पैरा 6.5 के अनुसार उन्हें अग्रिम बीमार अवकाश देने का निर्देश देने का भी अनुरोध किया गया है।

न्यायमूर्ति ज्योति सिंह ने कहा कि पैरा 6.5 तपेदिक, मानिसक विक्षिप्तता आदि जैसी बीमारियों के सदर्भ में है। उसमें जैसे व आदि शब्द का इस्तेमाल किया गया है। यह दर्शाता है कि उसमें उल्लिखित बीमारियों की सूची केवल समावेशी है, संपूर्ण नहीं। आरबीआई के वकील ने इस बात से सहमति जताई कि गर्भावस्था को बीमारी नहीं कहा जा सकता है।

न्यायमूर्ति सिंह ने कहा कि इसे अनदेखा नहीं किया जा सकता है कि कुछ मामलों में गर्भावस्था के दौरान भी गंभीर चिकित्सा जटिलताएं उत्पन्न हो सकती है। उसके लिए सर्जरी या अस्पताल में भर्ती होने की आवश्यकता होती है। पैरा 6.5 में कोई निषेध नहीं है जो प्रतिवादी महिला को गर्भावस्था से उत्पन्न होने वाली चिकित्सा जटिलताओं के मामले का इलाज करने से रोकता है। न्यायमूर्ति ने इसके बाद कहा कि वह पैरा 6.5 की मंशा पर फिर से विचार करने का निर्देश देना उचित समझती है।

याचिकाकर्ता महिला ने कहा था कि उसने अपने रिश्तेदार के खराब स्वास्थ्य के कारण 9 नवंबर, 2020 से आकस्मिक अवकाश के लिए आवेदन किया था और शहर से बाहर चली गई थी। लेकिन वह खुद बीमार पड़ गई और उन्हें भोपाल में इलाज कराना पड़ा। जिसके कारण वह 15 नवंबर, 2020 को दिल्ली नहीं लौट सकीं थी। उसने 14 नवंबर, 2020 से 27 नवंबर, 2020 तक बीमारी का अवकाश के लिए मंजूरी मांगी थी। बाद में वह और उसके परिवार के सदस्य कोरोना से संक्रमित हो गए और उन्हें 13 दिसंबर, 2020 तक क्वारंटाइन किया गया। गर्मावस्था की जटिलताओं के कारण उन्हें बेड रेस्ट की भी सलाह दी गई थी। इसलिए उनकी अवकाश की अवधि के लिए उनकी अनुपस्थिति को समायोजित करने के बाद वेतन एवं भत्तों के लाभों के साथ पैरा 6.5 के अनुसार उन्हें अग्रिम बीमार अवकाश देने का निर्देश दिया जाए।

Bhawna
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