सुप्रीम कोर्ट और केंद्र सरकार के बीच कॉलेजियम को लेकर तकरार बरकरार है.कानून मंत्री किरेन रिजिजू ने इस मामलें में कहा कि सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी ने एक ई-कोर्ट प्रोजेक्ट शुरू किया है.मुझे उम्मीद है कि हम इसे कैबिनेट में ला सकते हैं. न्यायाधीशों की नियुक्ति एक प्रशासनिक मामला है, न्यायिक मामला नहीं। उन्होंने कहा कि सीजेआई ने सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी का नेतृत्व जारी रखने पर सहमति जताई है. वह सुप्रीम कोर्ट की सभी समितियों के मुख्य संरक्षक हैं. आज लंबित मामलों की कुल संख्या 4.90 करोड़ है. न्याय में देरी का मतलब है न्याय से इनकार करना है।
किरेन रिजिजू ने कहा कि, लंबित मामलों को अगर कम करना हैं तो इसका एकमात्र तरीका ये है कि सरकार और न्यायपालिका को एक साथ आना होगा। उन्होंने आगे कहा, सुप्रीम कोर्ट की ई-कमेटी ने एक ई-कोर्ट प्रोजेक्ट शुरू किया है। यह अंतिम चरण में है। इस प्रस्ताव पर भी भारी धनराशि खर्च होगी. पीएम नरेन्द्र मोदी न्यायपालिका की मांगों में सहायता प्रदान करने में सक्रिय हैं. सरकार और न्यायपालिका के संयुक्त प्रयास से देश में लंबित मामलों की संख्या को कम करने में मदद मिलेगी.
न्याय और कानून मंत्रालय के द्वारा मिलेट लंच का आयोजन
इसके बाद कानून मंत्री किरन रिजिजू ने आईबी और रॉ की रिपोर्ट सार्वजनिक करने पर सुप्रीम कोर्ट के कॉलेजियम की आलोचना की. उन्होंने कहा कि रिपोर्ट संवेदनशील होती हैं. यह एक गंभीर मुद्दा है. ऐसा करना चिंता का विषय है. आने वाले वक्त में इसका काफी असर देखने को मिल सकता है. एक दिन पहले कानून मंत्री ने कॉलेजियम को लेकर हो रही बातों को निराधार बताया था.
उन्होंने कहा कि बीजेपी में ये बात कही जाती है कि मतभेद हो सकता है, लेकिन मनभेद नहीं होना चाहिए. हमारी राय अलग राय हो सकती हैं. राय में अंतर का मतलब ये नहीं होता है कि हम एक-दूसरे पर हमलावर हैं. वहीं 6 जनवरी को CJI को लिखे गए पत्र का जिक्र करते हुए रिजिजू ने कहा कि यह हाई कोर्ट और सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीशों को नियुक्त करने की प्रक्रिया को लेकर लिखा था, जिसमें बताया गया था कि सरकार सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में एक प्रतिनिधि रखना चाहती है.