मथुरा- ज्ञानवापी मस्जिद के भीतर शिवलिंग मिलने के दावे के बीच अब मथुरा की ईदगाह मस्जिद को लेकर कानून लड़ाई शुरु हो गयी है। विवादित ईदगाह मस्जिद परिसर को सील करने की प्रार्थना के साथ मथुरा की स्थानीय अदालत में एक आवेदन दायर किया गया है। यह आवेदन एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह और राजेंद्र माहेश्वरी ने दायर किया है।
आवेदन में दावा किया गया है कि अगर विवादित परिसर को सील नहीं किया गया, तो संपत्ति का धार्मिक चरित्र बदल जाएगा। आवेदन में यह भी मांग की गई है कि शाही ईदगाह मस्जिद परिसर की सुरक्षा बढ़ाई जाए, किसी भी तरह की आवाजाही पर रोक लगाई जाए और सुरक्षा अधिकारियों की नियुक्ति की जाए।
सिविल जज सीनियर डिवीजन कोर्ट अब इस याचिका पर एक जुलाई को सुनवाई करेगा। आवेदन में मथुरा के एसपी, मथुरा के डीएम और सीआरपीएफ कमांडेट को परिसर को सील करने और हिंदू धार्मिक प्रतीकों को संरक्षित करने का निर्देश देने की मांग की गई है।
“एडवोकेट महेंद्र प्रताप सिंह, जो श्रीकृष्ण जन्मभूमि मुक्ति न्यास के अध्यक्ष भी हैं, ने अपने आवेदन में कहा है कि शाही ईदगाह मस्जिद में स्वस्तिक, कमल का फूल, सांप, घंटी, कलश, फूलों की माला और अन्य धार्मिक प्रतीकों जैसे सनातन मंदिरों के प्रमाण भी मौजूद हैं”।
ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के उस स्थान को सील करने के वाराणसी कोर्ट के आदेश का उल्लेख करते हुए, आवेदन में कहा गया है कि ईदगाह मस्जिद परिसर को भी सबूत के रूप में तुरंत संरक्षित करने की आवश्यकता है, अन्यथा पक्षकार इन सबूतों को नष्ट कर सकते हैं।
13 मई को मनीष यादव नाम के एक व्यक्ति ने सिविल जज (सीनियर डिवीजन), मथुरा की अदालत में शाही ईदगाह मस्जिद का निरीक्षण करने के लिए एक एडवोकेट कमिश्नर की नियुक्ति की मांग करते हुए एक आवेदन दिया था। आवेदन में एक सीनियर एडवोकेट, एक एडवोकेट कमिश्नर को नियुक्त करने और मस्जिद के अंदर हिंदू धार्मिक प्रतीकों के मौजूद होने के तथ्य को देखते हुए तुरंत शाही ईदगाह का वीडियो सर्वेक्षण कराने की प्रार्थना की गई थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने हाल ही में मथुरा की एक स्थानीय अदालत को श्रीकृष्ण जन्मभूमि विवाद के संबंध में उनके समक्ष लंबित दो आवेदनों पर 4 महीने के भीतर निर्णय लेने का निर्देश दिया है।