जानिए सुप्रीम कोर्ट के नए जज अरविंद कुमार और राजेश बिंदल के बारे में

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सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचुड़ ने सोमवार को इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस अरविंद कुमार को शपथ दिलायी हैं. दोनों की नियुक्ति के बाद सुप्रीम कोर्ट में जजों के 34 पद पूरे हो गए. ऐसा तीन साल से ज्यादा समय के बाद हुआ कि सुप्रीम कोर्ट में जजों की स्ट्रेंथ पूरी हो गई है.

इसके पहले सितंबर 2019 से नवंबर 2019 तक सुप्रीम कोर्ट में 34 जजों की क्षमता पूरी थी. तब जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश थे. तब से 9 फरवरी 2023 तक जजों की कुछ न कुछ जगह खाली ही रहीं. दोनों जजों का शपथग्रहण हुआ है. आइए जानते हैं, दोनों जजों के बारे में

जस्टिस अरविंद कुमार

जस्टिस अरविंद कुमार गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे. अक्टूबर 2021 में उन्होंने गुजरात हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस पद की शपथ ली थी. उन्होंने तत्कालीन गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश विक्रम नाथ की जगह ली थी. गुजरात हाईकोर्ट के मुख्य न्यायधीश बनने से पहले जस्टिस अरविंद कुमार कर्नाटक हाईकोर्ट में थे. जस्टिस अरविंद कुमार को सुप्रीम कोर्ट का जस्टिस बनाए जाने को लेकर सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम के एक सदस्य जस्टिस केएम जोसेफ ने आपत्ति जताई थी. आपको बता दें, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम में चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के साथ जस्टिस एसके कौल, जस्टिस एस अब्दुल नजीर, जस्टिस एमआर शाह, जस्टिस संजीव खन्ना और जस्टिस केएम जोसेफ शामिल हैं. जस्टिस केएम जोसेफ ने जस्टिस अरविंद कुमार की पदोन्नति पर आपत्ति दर्ज कराई थी. दरअसल कर्नाटक हाईकोर्ट से ताल्लुक रखने वाले जस्टिस अरविंद कुमार अखिल भारतीय वरिष्ठता सूची में 26वें नंबर पर आते हैं. ऐसे में जस्टिस जोसेफ का तर्क है कि उनके नाम पर बाद में विचार किया जाना चाहिए था.

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जस्टिस राजेश बिंदल

जस्टिस राजेश बिंदल इलाहाबाद हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस थे. उन्होंने 22 मार्च 2006 को पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में बतौर जस्टिस कार्यभार संभाला था. कलकत्ता हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में भी कार्य कर चुके हैं. इससे पहले जस्टिस बिंदल जम्मू-कश्मीर हाईकोर्ट के एक्टिंग चीफ जस्टिस के रूप में कार्यरत थे. कुरुक्षेत्र से उन्होंने लॉ की पढ़ाई की थी, साथ हीं वह हरियाणा के अंबाला शहर में एक सामान्य परिवार में जस्टिस राजेश बिंदल का जन्म 16 अप्रैल 1960 को हुआ था. उन्होंने 1985 में कुरुक्षेत्र यूनिवर्सिटी से कानून की डिग्री ली. इसके बाद एक अधिवक्ता के रूप में करियर की शुरुआत उन्होंने सितंबर 1985 में पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय से की. 2004 से करीब 10 साल तक वो केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में चंडीगढ़ प्रशासन का कामकाज देखते रहे. उन्हें पंजाब और हरियाणा में लगभग 80 हजार मामलों के निपटारे का अनुभव है. वो 1992 में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण में शामिल हुए. उन्होंने सतलुज यमुना जल से संबंधित विवाद के निपटारे में पंजाब राज्य के साथ एराडी ट्रिब्यूनल के समक्ष और सुप्रीम कोर्ट में हरियाणा का पक्ष रखा था. हरियाणा हाई कोर्ट में इनकम टैक्स विभाग के कई मुकदमे लड़ चुके हैं.अंतरराष्ट्रीय बाल अपहरण विधेयक 2016 के नागरिक पहलुओं की स्टडी के लिए भी उन्होंने सिफारिशों के साथ रिपोर्ट प्रस्तुत की थी.

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बता दें,इससे पहले 5 फरवरी को 5 जजों के नाम पर मुहर लगी थी जिसके बाद 6 फरवरी को इन्हें शपथ दिलाई गई थी. बाकी बचे दो जजों के नाम पर 10 फरवरी के दिन मुहर लगते हुए मंजूरी दी गई थी. वहीं, सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम ने 13 दिसंबर को सरकार ने पांच नामों की सिफारिश की थी जिसमें पंकज मित्तल, चीफ जस्टिस राजस्थान हाई कोर्ट का नाम शामिल था. इसके अलावा, जस्टिस संजय करोल चीफ जस्टिस पटना हाई कोर्ट, जस्टिस पी वी संजय कुमार चीफ जस्टिस मणिपुर हाई कोर्ट, पटना हाईकोर्ट के जस्टिस अहसानुद्दीन अमानुल्लाह और इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस मनोज मिश्रा का नाम शामिल था.

Bhawna
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