‘हिजाब विवाद’ पर फैसला देने वाले जजों को ‘वाई’ श्रेणी की सुरक्षा, जान से मारने की धमकी का वीडियो हो रहा है वायरल, पुलिस ने दर्ज किया मामला

हिजाब विवाद पर अपना फ़ैसला सुनाते हुए कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा था कि हिजाब पहनना मुस्लिम धर्म में अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है

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हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट के फैसले के बाद न्यायाधीशों को जान से मारने की धमकी का वीडियो सामने आने के बाद कर्नाटक सरकार ने फैसला देने वाले सभी न्यायाधीशों को वाई श्रेणी की पुलिस सुरक्षा देने का फैसला किया है। कर्नाटक सरकार की ओर से मुख्यमंत्री बी. बोम्बई ने मीडिया के सामने इसका ऐलान किया है। 15 मार्च को हाईकोर्ट ने अपने दिए फैसले में साफ किया था कि स्कूलों के अंदर हिजाब पर रोक जारी रहेगी, साथ ही हिजाब पहनना मुस्लिम धर्म में अनिवार्य प्रथा नहीं है। 

कर्नाटक सरकार ने सुरक्षा देने का फैसला एक वायरल वीडियो पर दर्ज मामले पर लिया है जहां तमिल भाषा के वीडियो में कर्नाटक हाईकोर्ट ने उन न्यायाधीशों को जान से मारने की बात कही जा रही है जिन्होंने हिजाब मामले में अपना फैसला सुनाया था। ये फैसला कर्नाटक हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रितु राज अवस्थी, जस्टिस कृष्णा एस दीक्षित और जस्टिस जे एम काजी की तीन सदस्यीय बैंच ने सुनाया था। 

बेंगलुरू स्थित एक महिला वकील ने अपने मोबाइल पर आये वीडियो का हवाला देते हुए पुलिस को शिकायत दर्ज करायी थी जिस पर पुलिस ने आईपीसी धाराओं 506 (1), 505 (1) ( C ) 505 (1) (b) और 153A, 109, 504, 505 (2) के तहत मुकदमा दर्ज किया था। 

शिकायतकर्ता के मुताबिक मोबाइल पर आये वीडियो में तमिल भाषा में एक व्यक्ति कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायाधीशों को जान से मारने की धमकी दे रहा है। वीडियो में अमुक व्यक्ति उसी तरह से मारने की बात कह रहा है जैसा झारखंड में एक जज की संदेहास्पद स्थितियों में मौत हो गयी थी जब वो सुबह की सैर के लिए निकले थे। 

हिजाब विवाद पर कर्नाटक हाईकोर्ट ने अपने फैसले में सरकार के उस निर्णय को सही ठहराया था जिसमें स्कूल यूनीफार्म के अलावा किसी भी तरह के ड्रेस पहनकर आने पर रोक लगा दी गयी थी। हाईकोर्ट ने हिजाब को लेकर ये भी अपने आदेश में कहा था कि हिजाब पहनना मुस्लिम धर्म में अनिवार्य प्रथा का हिस्सा नहीं है। अनुच्छेद 25 के हवाले से की गयी बहस पर अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि ड्रेस कोड लागू करने का अधिकार सरकार के पास है और इसे अनुच्छेद 25 के तहत मिलने वाले अधिकार का उल्लघंन नहीं कहा जा सकता है। 

हालांकि कर्नाटक हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में कई याचिकाऐं दायर की जा चुकी हैं जिस पर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश एन वी रमन्ना ने जल्द सुनवाई की बात कही है। 

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