कोर्ट में आज क्या खास (29.11.2022)

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1-सुप्रीम कोर्ट महाराष्ट्र राजनीतिक संकट के संबंध में शिवसेना के प्रतिद्वंद्वी समूहों द्वारा दायर याचिकाओं पर 29 नवंबर को सुनवाई करेगा।

सुप्रीम कोर्ट की तीन-न्यायाधीशों की पीठ ने कहा था कि महाराष्ट्र के राजनीतिक संकट से जुड़े कुछ मुद्दों पर विचार के लिए एक बड़ी संवैधानिक पीठ की आवश्यकता हो सकती है।

इसने महाराष्ट्र विधानसभा के अध्यक्ष राहुल नार्वेकर से शिवसेना के सदस्यों के खिलाफ जारी किए गए नए अयोग्यता नोटिस पर कोई कार्रवाई नहीं करने के लिए भी कहा था। शिवसेना के दोनों धड़ों द्वारा दायर की गई विभिन्न याचिकाएं शीर्ष अदालत के समक्ष लंबित हैं।

2-बिलकिस बानो मामले में 11 दोषियों की रिहाई के खिलाफ दाखिल याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 29 नवंबर को सुनवाई करेगा।

यह याचिका महिला संगठन – ‘नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वूमन’ सहित अन्य की ओर से दायर की गई है। नेशनल फेडरेशन ऑफ इंडियन वुमन ने अपनी इस याचिका के माध्यम से कहा है कि समय से पहले दोषियों की रिहाई का गुजरात सरकार का फैसला पूरी तरह से मनमाना है।

इस याचिका में गुजरात सरकार के दोषियों की रिहाई के आदेश को तत्काल रद्द करने की मांग गई है। याचिका में सभी 11 दोषियों को दोबारा गिरफ्तार कर जेल भेजने की मांग भी की गई है।

3-सुप्रीम कोर्ट मुंबई की आरे कॉलोनी में काटे गए पेड़ों के मामले में 29 नवंबर को सुनवाई करेगा।

पांच अगस्त को मुंबई मेट्रो रेल कॉरपोरेशन लिमिटेड (एमएमआरसीएल) ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि अक्तूबर 2019 के बाद आरे कॉलोनी में कोई पेड़ नहीं काटा गया है। कोर्ट ने 24 अगस्त को एमएमआरसीएल को पेड़ न काटने के निर्देश दिए थे। सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अगर निर्देश का उल्लंघन किया जाता है तो सख्त कार्रवाई की जाएगी।

4-सुप्रीम कोर्ट ने तमिलनाडु के ‘जल्लीकट्टू’ खेल और महाराष्ट्र की बैलगाड़ी दौड़ के खिलाफ दायर याचिकाओं पर 29 नवंबर को सुनवाई करेगा।

इन याचिकाओं में तमिलनाडु व महाराष्ट्र सरकार के इन खेलों से संबंधित कानूनों को चुनौती दी गई है। तमिलनाडु सरकार के वकील ने शीर्ष कोर्ट से आग्रह किया था कि वह जल्लीकट्टू (सांडों को काबू में करने के खेल) पर सुनवाई शीतकालीन अवकाश के बाद करे, क्योंकि मामले में एक संकलित रिपोर्ट पेश की जाना है।

5-जेनेटिकली मॉडिफाइड सरसों की खेती की सिफारिश के मामले में सुप्रीम कोर्ट 29 नवंबर को सुनवाई करेगा।

यह याचिका एंटी जीएम कार्यकर्ता अरुणा रोड्रिग्स की ओर से दायर की गई है। वकील प्रशांत भूषण के ज़रिए दाखिल याचिका में कहा गया है कि जीएम खेती पर्यावरण जैव विविधता के लिए नुकसानदायक हैं।

वहीं जीएम सरसों को जीईएसी से मंजूरी मिलने के बाद कई स्वयंसेवी कार्यकर्ता, किसान संगठन और मधुमक्खी पालकों ने विरोध किया है। 2012 में कोर्ट की तरफ गठित कमिटी ने जीएम फसलों के खिलाफ सिफारिश दी थी।

6- यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण यूक्रेन से भारत में अपनी चिकित्सा पाठ्यक्रम की शिक्षा पूरी करने की मांग वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट 29 नवंबर को सुनवाई करेगा।

पिछली सुनवाई में एएसजी ऐश्वर्या भाटी ने सुप्रीम कोर्ट को बताया था कि यूक्रेनी चिकित्सा विश्वविद्यालयों में दाखिला लेने वाले कुल 15,783 भारतीय छात्रों में से 14,973 ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं, जो विश्वविद्यालयों द्वारा संचालित की जा रही हैं.

स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने हलफनामे में कहा कुल 15,783 भारतीय छात्र यूक्रेन के विभिन्न चिकित्सा विश्वविद्यालयों में नामांकित हैं, जिनमें से 14,973 छात्र यूक्रेन के संबंधित चिकित्सा विश्वविद्यालयों द्वारा आयोजित ऑनलाइन कक्षाओं में भाग ले रहे हैं, और 640 छात्र यूक्रेन में ऑफलाइन शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं.

7-सुप्रीम कोर्ट जम्मू-कश्मीर परिसीमन को लेकर दायर याचिका पर अब 29 नवंबर को सुनवाई करेगा।

पिछली सुनवाई में केंद्र सरकार ने कहा था कि वह इस मामले में कुछ और दस्तावेज दाखिल करना चाहती है। इस पर कोर्ट ने सरकार को अतिरिक्त दस्तावेज दाखिल करने की इजाजत दे दी थी।

याचिका में केंद्रशासित प्रदेश जम्मू-कश्मीर में विधानसभा और लोकसभा क्षेत्रों के पुनर्निर्धारण के लिए परिसीमन आयोग के गठन के सरकार के फैसले को सांविधानिक प्रावधानों का उल्लंघन बताते हुए चुनौती दी गई है।

8-दिल्ली के जामिया विश्वविद्यालय में CAA के विरोध में हुई हिंसा के मामले में दाखिल याचिकाओं पर दिल्ली हाइकोर्ट 29 नवंबर को सुनवाई करेगा।

उसी दिन CAA के विरोध में हुए प्रदर्शन के मामले की भी सुनवाई की जाएगी।

9-अपनी बहन की शादी में शरीक होने के लिए अंतरिम जमानत मांग रहे उमर खालिद की अपील पर कड़कड़डुमा कोर्ट 29 नवंबर को सुनवाई करेगा।

खालिद का कहना है कि वो इस दौरान ऐसी कोई हरकत नहीं करेगा, जिससे कानून व्यवस्था को खतरा हो, लेकिन कड़कड़डूमा कोर्ट में दाखिल अपने जवाब में दिल्ली पुलिस का कहना है कि उसके बाहर जाने से समाज में अशांति फैल सकती है। वो अंतरिम जमानत पर छोड़ने का फैसला गलत होगा। कोर्ट इस पर सुनवाई कर रही है।

Bhawna
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