
भारत के सर्वोच्च न्यायालय ने हाल ही में एक सुनवाई के दौरान Bitcoin ट्रेडिंग को “हवाला जैसा कारोबार” बताते हुए चिंता जताई है कि देश में क्रिप्टोकरेंसी की खरीद-फरोख्त का दुरुपयोग काले धन को सफेद करने में हो रहा है। अदालत ने कहा, “Bitcoin जैसी वस्तु का इस्तेमाल हवाला के रूप में किया जा रहा है। यह भारत के लिए गंभीर चिंता का विषय है।”
यह टिप्पणी उस समय आई जब अदालत एक आरोपी की ज़मानत याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जो मनी लॉन्ड्रिंग के आरोप में गिरफ्तार हुआ था और जिसके पास से लाखों रुपये की क्रिप्टोकरेंसी ज़ब्त की गई थी।
क्रिप्टोकरेंसी और कानूनी शून्यता
भारत में Bitcoin सहित अन्य क्रिप्टोकरेंसी को लेकर स्पष्ट कानून की कमी लंबे समय से चिंता का विषय रही है। भारतीय रिज़र्व बैंक (RBI) ने 2018 में बैंकों को क्रिप्टोकरेंसी से जुड़े लेन-देन से रोक दिया था, जिसे 2020 में सुप्रीम कोर्ट ने रद्द कर दिया था। इसके बाद से क्रिप्टो मार्केट अनियमित रूप से फला-फूला है।
हालांकि वित्त मंत्रालय ने 2022-23 के बजट में वर्चुअल डिजिटल एसेट्स (VDA) पर कर लगाने की घोषणा की, परंतु यह कानून बिटकॉइन के दुरुपयोग को रोकने में पर्याप्त नहीं है। सुप्रीम कोर्ट की हालिया टिप्पणी इसी पृष्ठभूमि में अत्यधिक महत्व रखती है।
हवाला और बिटकॉइन: क्या समानता है?
हवाला एक अनौपचारिक और ग़ैर-क़ानूनी धन प्रेषण प्रणाली है जो बैंकों के बाहर काम करती है और आतंकवाद से लेकर टैक्स चोरी तक कई गैरकानूनी गतिविधियों में इस्तेमाल होती है।
बिटकॉइन ट्रेडिंग, बिना पहचान के वॉलेट्स और ग्लोबल लेन-देन की वजह से, हवाला की ही तरह सरकारी निगरानी से बचने का जरिया बन रही है।
सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा?
“इसका इस्तेमाल हवाला के रूप में हो रहा है। इस पर तत्काल नीति और निगरानी की आवश्यकता है।”
ED और FIU की भी चेतावनी
प्रवर्तन निदेशालय (ED) और फाइनेंशियल इंटेलिजेंस यूनिट (FIU) पहले ही कई बड़े क्रिप्टो एक्सचेंजों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग और FEMA उल्लंघन की जांच कर रहे हैं। नवंबर 2023 में FIU ने 9 एक्सचेंजों को नोटिस भेजे थे।
भारत में कई आरोपी अब क्रिप्टो वॉलेट्स के माध्यम से अपराध की कमाई छिपाने की कोशिश करते हैं — यह हवाला की तरह ही जोखिम पैदा करता है, लेकिन डिजिटल स्तर पर।
क्या कहता है कानून?
वर्तमान में भारत में कोई विशिष्ट क्रिप्टोकरेंसी रेगुलेशन कानून नहीं है। हालांकि:
- मनी लॉन्ड्रिंग को रोकने के लिए PMLA (Prevention of Money Laundering Act) लागू होता है
- 2023 में क्रिप्टो एक्सचेंजों को FIU में रजिस्ट्रेशन अनिवार्य किया गया है
- सरकार ने Banning of Cryptocurrency Bill (2019) का ड्राफ्ट पेश किया था, जो आगे नहीं बढ़ सका
नीति आयोग और RBI की चिंताएं
नीति आयोग ने पहले ही क्रिप्टो के अनियमित इस्तेमाल पर चेताया है। वहीं RBI गवर्नर शक्तिकांत दास ने क्रिप्टो को “बहुत बड़ा खतरा” बताया है।
“क्रिप्टोकरेंसी वित्तीय स्थिरता और निवेशकों के हितों के लिए अत्यंत जोखिमभरा है।”
— शक्तिकांत दास, गवर्नर, RBI
अंतरराष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य
दुनिया भर में क्रिप्टो पर नियमन की दिशा में तेजी आई है:
- अमेरिका में SEC और FinCEN बिटकॉइन एक्सचेंजों को लाइसेंसिंग के दायरे में ला चुके हैं
- यूरोपीय यूनियन ने MiCA (Markets in Crypto Assets) कानून लागू किया है
- G20 सम्मेलन (भारत 2023) में क्रिप्टो रेगुलेशन पर वैश्विक सहमति बनाने की कोशिश की गई थी
जनता को क्या जानना चाहिए?
- बिटकॉइन जैसी क्रिप्टोकरेंसी में निवेश से पहले उनकी कानूनी स्थिति और जोखिम को समझें
- क्रिप्टो एक्सचेंज का FIU रजिस्ट्रेशन जांचें
- अनाम और अनट्रेस्ड ट्रांजैक्शन से कानूनी जटिलताओं में फंसने की आशंका होती है
निष्कर्ष: सुप्रीम कोर्ट की बात को हल्के में न लें
सुप्रीम कोर्ट का हवाला और बिटकॉइन के बीच सीधा संबंध बनाना कोई सामान्य टिप्पणी नहीं है। यह एक संकेत है कि भारत में अब क्रिप्टोकरेंसी को रेगुलेट करने की सख्त जरूरत है — वरना यह हवाला, टेरर फंडिंग और मनी लॉन्ड्रिंग जैसे मामलों में एक नया आयाम जोड़ देगा।
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