
सुप्रीम कोर्ट के CJI Sanjiv Khanna ने अपने कार्यकाल के दौरान 406 Judge की नियुक्ति की सिफारिश की। हालांकि, इन सिफारिशों में सामाजिक विविधता की कमी स्पष्ट रूप से दिखाई देती है, जिससे न्यायपालिका में समावेशिता पर सवाल उठते हैं।
जातिगत प्रतिनिधित्व का विश्लेषण:
केंद्र सरकार द्वारा संसद में प्रस्तुत आंकड़ों के अनुसार, 2018 से 2024 के बीच High Court में नियुक्त 661 Judge में से:
- सामान्य वर्ग (General Category): 499 (लगभग 75.5%)
- अन्य पिछड़ा वर्ग (OBC): 78 (11.8%)
- अनुसूचित जाति (SC): 21 (3.2%)
- अनुसूचित जनजाति (ST): 12 (1.8%)
- अल्पसंख्यक समुदाय: 34 (5.1%)
इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि उच्च जातियों का वर्चस्व बना हुआ है, जबकि अनुसूचित जाति, जनजाति और अन्य पिछड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व में कमी है।
सुप्रीम कोर्ट में भी समान प्रवृत्ति:
सुप्रीम कोर्ट में भी उच्च जातियों का वर्चस्व देखा गया है। 2023 में नियुक्त 15 Judge में से कम से कम 5 ब्राह्मण समुदाय से थे। वर्तमान में, सुप्रीम कोर्ट के 33 में से लगभग 12 Judge ब्राह्मण समुदाय से हैं, जो कि देश की कुल जनसंख्या में 5% हिस्सेदारी के मुकाबले असमानुपातिक है।
सरकार की पहल:
केंद्र सरकार ने High Court के CJI से अनुरोध किया है कि वे Judge की नियुक्ति के लिए सिफारिश करते समय अनुसूचित जाति, जनजाति, अन्य पिछड़ा वर्ग, अल्पसंख्यकों और महिलाओं को उचित प्रतिनिधित्व दें। हालांकि, संविधान के अनुच्छेद 124, 217 और 224 के तहत Judge की नियुक्ति में आरक्षण का प्रावधान नहीं है।