Sunday, May 18, 2025

सुप्रीम कोर्ट का एसिड अटैक सर्वाइवर्स व दिव्यांग लोगों के लिए ऐतिहासिक फैसला

कोर्ट ने फैसले में कहा, ‘एक्चुअल इक्वलिटी का सिद्धांत यह मांग करता है कि डिजिटल बदलाव इनक्लूसिव और न्यायसंगत दोनों हो। इसलिए डिजिटल पहुंच का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का एक सहज घटक बन जाता है।’

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सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एसिड अटैक सर्वाइवर्स व दिव्यांग लोगों के लिए एक ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि डिजिटल पहुंच एक मौलिक अधिकार है और केवाईसी प्रक्रिया को आसान बनाया जाना चाहिए। जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने इन मुद्दों पर दायर दो जनहित याचिकाओं पर यह फैसला सुनाया।

कोर्ट ने फैसले में कहा, ‘एक्चुअल इक्वलिटी का सिद्धांत यह मांग करता है कि डिजिटल बदलाव इनक्लूसिव और न्यायसंगत दोनों हो। इसलिए डिजिटल पहुंच का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत जीवन और स्वतंत्रता के अधिकार का एक सहज घटक बन जाता है।’

दिव्यांग लोगों बदलाव की जरूरत

रिपोर्ट के मुताबिक, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस आर महादेवन की बेंच ने अपने फैसले में कहा, ‘हमने माना है कि दिव्यांगों के लिए केवाईसी प्रक्रिया में बदलाव की जरूरत है। हमने 20 निर्देश दिए हैं। एसिड अटैक और अंधेपन से पीड़ित याचिकाकर्ता चेहरे की विकृति की वजह से केवाईसी प्रक्रिया पूरी करने में असमर्थ रहे हैं। संवैधानिक प्रावधान याचिकाकर्ताओं को केवाईसी प्रक्रिया में समायोजित करने का वैधानिक अधिकार देते हैं। यह जरूरी है कि डिजिटल केवाईसी दिशा-निर्देशों को एक्सेसिबिलिटी कोड के साथ संशोधित किया जाए।’

कौन है याचिकाकर्ता ?

कोर्ट के सामने एक याचिका अमर जैन की थी। वह पेशे से वकील हैं। उन्हें खुद इस समस्या का सामना करना पड़ा है। उन्होंने तर्क दिया था कि उन्हें खुद ऑनलाइन केवाईसी को पूरा करने में काफी समस्याओं का सामना करना पड़ता है। ये समस्याएं सभी दिव्यांग व्यक्तियों, खासतौर पर अंधेपन या कम दृष्टि वाले लोगों को होती हैं। दूसरी याचिका प्रज्ञा प्रसून की थी। वह एसिड अटैक पीड़िता थीं।

प्रज्ञा प्रसून ने जुलाई 2023 में ICICI बैंक में खाता खोलने के लिए संपर्क किया था। हालांकि वह डिजिटल KYC को पूरा नहीं कर पाईं। बैंक ने पलक झपकाकर लाइव फोटोग्राफ लेने पर जोर दिया था। जनहित याचिका में कहा गया है कि ऐसे कई पीड़ितों को इसी तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ता है। साथ ही, इसमें केंद्र को ऐसे एसिड अटैक पीड़ितों के लिए डिजिटल KYC प्रक्रिया पर नए दिशानिर्देश जारी करने की मांग की गई थी।

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